लाइव न्यूज़ :

Buddha Purnima 2025: युद्ध को मानवता के लिए अनावश्यक दु:ख मानते थे बुद्ध, शांति, करुणा और अहिंसा के प्रतीक

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 12, 2025 05:23 IST

Buddha Purnima 2025: बुद्ध ने अपने उपदेशों में चार आर्य सत्य और आष्टांगिक मार्ग को प्रतिपादित किया, जो उनके दर्शन का आधार बने.

Open in App
ठळक मुद्देबुद्ध का मानना था कि सभी प्राणी सुख की खोज में हैं और दुख से मुक्ति चाहते हैं.मन, वचन और कर्म से किसी भी प्राणी को हानि न पहुंचाना है.बात पर जोर दिया कि हिंसा से केवल और हिंसा जन्म लेती है.

संदीप सृजन

गौतम बुद्ध, जिन्हें विश्व में शांति, करुणा और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, उनने अपने जीवन और शिक्षाओं के माध्यम से मानवता को एक ऐसा मार्ग दिखाया जो हिंसा और युद्ध से परे है. बुद्ध का दर्शन न केवल व्यक्तिगत शांति और आत्म-जागृति पर केंद्रित है, बल्कि सामाजिक और सामूहिक स्तर पर भी शांति स्थापित करने की दिशा में प्रेरित करता हैं. युद्ध, जो मानव इतिहास में विनाश, दुख और विभाजन का कारण रहा है, बुद्ध के दर्शन में कहीं भी स्वीकार्य नहीं है. बुद्ध ने अपने उपदेशों में चार आर्य सत्य और आष्टांगिक मार्ग को प्रतिपादित किया, जो उनके दर्शन का आधार बने.

इन सिद्धांतों में हिंसा और युद्ध का कोई स्थान नहीं था. बुद्ध का मानना था कि सभी प्राणी सुख की खोज में हैं और दुख से मुक्ति चाहते हैं. युद्ध, जो हिंसा और विनाश का प्रतीक है, इस खोज को न केवल बाधित करता है बल्कि दुख को और बढ़ाता है. बुद्ध के दर्शन का मूल आधार अहिंसा है. अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना ही नहीं है, बल्कि मन, वचन और कर्म से किसी भी प्राणी को हानि न पहुंचाना है.

बुद्ध ने अपने उपदेशों में बार-बार इस बात पर जोर दिया कि हिंसा से केवल और हिंसा जन्म लेती है. बुद्ध ने युद्ध के कारणों को मानव मन की तृष्णा (लोभ), क्रोध और अज्ञानता में देखा. उनके अनुसार, ये तीन "विष" (लोभ, द्वेष, मोह) मानव दुख के मूल कारण हैं. युद्ध अक्सर क्षेत्रीय विस्तार, धन, शक्ति या वैचारिक मतभेदों के कारण होते हैं, जो सभी तृष्णा और अज्ञानता से उत्पन्न होते हैं.

बुद्ध ने अपने उपदेशों में इन मूल कारणों को समझने और उन्हें समाप्त करने पर जोर दिया. बुद्ध के समय में कई छोटे-छोटे राज्यों के बीच युद्ध और संघर्ष आम थे. बुद्ध ने इन युद्धों को रोकने के लिए कई बार मध्यस्थता की. एक प्रसिद्ध घटना में, शाक्य और कोलिय जनजातियों के बीच रोहिणी नदी के जल विभाजन को लेकर विवाद हो गया था, जो युद्ध का रूप लेने वाला था.

बुद्ध ने दोनों पक्षों को समझाया कि जल के लिए युद्ध करने से होने वाली हानि जो मानव जीवन और रिश्तों के नुकसान के रूप में होगी, उस जल के मूल्य से कहीं अधिक होगी. उनकी मध्यस्थता से दोनों पक्षों ने शांति स्थापित की. यह घटना दर्शाती है कि बुद्ध युद्ध को केवल हिंसा के रूप में नहीं देखते थे, बल्कि इसे मानवता के लिए एक अनावश्यक दुख के रूप में समझते थे. उनका दृष्टिकोण यह था कि युद्ध के बजाय संवाद, समझ और करुणा के माध्यम से समस्याओं का समाधान संभव है.

टॅग्स :बुद्ध पूर्णिमागौतम बुद्ध
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठBuddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा विधि और इस पर्व का महत्व

पूजा पाठब्लॉग: अपने-अपने कर्मों के लिए हम खुद ही होते हैं जिम्मेदार

पूजा पाठBuddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा कब है, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

भारतदेश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- हमारे लोकतंत्र में बुद्ध के संदेशों की झलक मिलती है

पूजा पाठब्लॉग: क्यों भगवान बुद्ध के उपदेश आज भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं और क्या है ‘बोधिसत्व’?

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार