ब्लॉग: नवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को समझें
By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: October 16, 2023 08:52 IST2023-10-16T08:47:52+5:302023-10-16T08:52:25+5:30
नवरात्रि देवियों के पूजन का पर्व है। नौ दिन तक देवियों के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है तथा उनसे शक्ति प्राप्त की जाती है।

ब्लॉग: नवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को समझें
नवरात्रि देवियों के पूजन का पर्व है। नौ दिन तक देवियों के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है तथा उनसे शक्ति प्राप्त की जाती है। इन नौ देवियों में पहली देवी हैं शैलपुत्री, फिर ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और दुर्गा।
इन नौ देवियों ने हमारे जीवन में एक सकारात्मक ऊर्जा भरी। आज जब हम अपने घरों में घी के दीपक जलाते, देवियों की आरती-पूजा करते हैं तो सोचना होगा कि क्या किया है इन देवियों ने?
जितनी भी देवियां हैं उनके अधिकांश मंदिर पहाड़ों पर हैं। ऊपर पहाड़ों पर बैठकर तपस्या करके उन्होंने अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया। वह केवल पहाड़ों पर नहीं बैठीं बल्कि उन्होंने अपनी स्व स्थिति को ऊंचा बनाया। देवियों के हाथों में जितने शस्त्र तलवार आदि दिखाए जाते हैं वह सभी बुराइयों, विकारों को खत्म करने के प्रतीक रूप हैं। सभी देवियों की दो से अधिक भुजाएं दिखाई जाती हैं जो कि असीमित शक्ति की प्रतीक हैं।
नवरात्रि में कई रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है जैसे पूजा-अर्चना के साथ ही व्रत-उपवास, अखंड ज्योत जलाना, जागरण, भक्ति, सात्विक भोजन, गरबा रास करना आदि. भोजन के व्रत के साथ ही अगर हम हर दिन एक-एक बुराई को छोड़ने का व्रत करें, ऐसी चीज को त्याग दें जो हमें भी दुख देती हो दूसरों को भी दुख देती हो तो इससे जीवन में पवित्रता, सुख-शांति अवश्य आएगी।
अखंड ज्योत जलाने का अर्थ है इस शरीर रूपी दीपक में आत्मा रूपी ज्योत को सदा जलाए रखने के लिए ज्ञान रूपी घी डालना आवश्यक है। जागरण का अर्थ है अज्ञान रूपी अंधकार से बाहर निकल कर ज्ञान रूपी उजाले की ओर बढ़ते जाना।