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Blog: सोशल मीडिया की 'गाड़ी' को रोको, मैं इससे कूद जाना चाहती हूं

By पल्लवी कुमारी | Updated: June 18, 2018 10:11 IST

दुनिया में लोग कभी इतने खुश नहीं थे, जितने आज हैं। इससे पहले दुनिया में कहां इतने भाग्यशाली और खुशहाल लोग हुआ करते थे।

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'यार प्लीज एक सेल्फी ले, प्लीज, मुझे फेसबुक पर स्टेटस डालना है। ये लाइन आजकल आप कहीं भी, कभी भी किसी के मुंह से सुन सकते हैं, पता है क्यों? क्योंकि सोशल मीडिया पर ये बताना जो है कि आप क्या कर रहे हैं। सोशल मीडिया ने साबित कर दिया है कि हमारी जिंदगी छुट्टियों की मौज मस्ती की तस्वीरों से भरी हुई है। वह भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों में सबकुछ #परफेक्ट ही होता है।

हम सभी कितने किस्तमवाले हैं कि हमें प्यार करने वाला, समझने वाली फैमली और जिनके साथ हम काम करते हैं, कितने अच्छे और समझदार हैं। हम सब अपने माता-पिता को बेहद प्यार करते हैं, स्कूल के दिनों को मिस करते हैं, हमारे दोस्त हमें कितना याद करते हैं, हमारे सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को देखकर तो यही लगता है लेकिन एक बार जरा दिल पर हाथ रखकर बताइए कि क्या सच में ऐसा है? और अगर है तो फिर ये दिखावा क्यों?

सच बोलूं तो मैं भी यही करती हूं- भाई की याद आई तो फोन पर बात करने से पहले एक व्हाट्सअप स्टेटस लगा लेती हूं, स्कूल की दोस्त को मिस किया तो फेसबुक पर फोटो पोस्ट कर लेती हूं। सोशल मीडिया पर उसी फोटो के नीचे कमेंट कर उनका हाल-चाल भी पूछ लेती हूं लेकिन मन में हमेशा एक सवाल यह उठता है कि अगर मुझे मेरी दोस्त की याद आई तो मैंने उसे फोन करके बात क्यों नहीं किया, उस पोस्ट को डालने के पहले। क्या वह मेरा पोस्ट मेरी दोस्त के लिए था या फिर दुनिया वालों के लिए... खैर फिर भी बहुत हद तक मैं अभी भी सोशल मीडिया के प्रभाव से बची हूं। शुक्र है कि मैं उन लोगों में शामिल नहीं हूं जो अपनी नहाने की पिक्चर तक शेयर कर लेते हैं कि देखों दुनिया वालों मैं स्विमिंग पूल में नहा रहा हूं/ रही हूं। अब लोग त्योहारों पर एक-दूसरे को मिलने नहीं जाते बल्कि बधाई संदेश देकर अपना काम चला लेते हैं।

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हम अनगिनत अतिविशिष्ट चीजों से घिरे हुए हैं। हमारी जिंदगी में साधारण चीजों के लिए तो कोई जगह ही नहीं बची है। सब कुछ असाधारण है। अद्भुत है। हम सब अतिप्रतिभाशाली हैं, जीनियस हैं। यकीन नहीं तो आप फेसबुक और इस्टाग्राम पर जो तस्वीरें हैं वह देख लीजिए। आपको भी विश्वास हो जाएगा कि दुनिया में लोग कभी इतने खुश नहीं थे, जितने आज हैं। इससे पहले दुनिया में कहां इतने भाग्यशाली और खुशहाल लोग हुआ करते थे।

लोगों को लगता है कि सोशल मीडिया के जरिए बहुत सारे लोग हमारे साथ जुड़ गए हैं जबकि देखा जाए तो असल में वे अकेले होते हैं। बहुत सारे मनोवैज्ञानिकों ने इस बात को माना है। बहुत सी रिसर्च में यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया के जरिए लोगों को एक नकली सुख मिलता है जो पलभर का होता है। लेकिन कहीं-न-कहीं लोगों में अकेलेपन का भाव बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर हमारी जिंदगी पर इस कदर हावी है कि हम रात को सोने से पहले और सबुह उठते ही अपने फोने के साथ चिपके होते हैं। 

यह सच है कि सोशल मीडिया में सुविधा है और इसके जरिए हम तेजी से दूर बैठे लोगों से जल्दी संपर्क कर सकते हैं। तकनीक की वजह से काफी कुछ कर पाते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में हम हमेशा सच से दूर रहते हैं। फेबी और इंस्टा पर हर कोई आपको नाचता-गाता, घूमता-फिरता और रेस्तरां में खाना खाता नजर आता है। ऐसे में आप वही देखते हैं जो आपको दिख रहा है, उसके पीछे की करुणा या सामाजिक उलझनें आपको नजर नहीं आती हैं। लेकिन अगर आप आप किसी से बात करते हैं या उसके साथ होते हैं तो आप उसके हंसते हुए चेहरे के पीछे के गम को जान पाते हैं। 

एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स का मानना था कि ईमेल और एसएमएस से वैसे-वैसे नए-नए आइडिया नहीं निकल पाते हैं, जैसे आमने-सामने बैठकर चर्चा करने पर। सामने बैठकर बात करने पर लोग एक-दूसरे को ऐसी ऊर्जा देते हैं, जिसमें नए-नए विचारों का सृजन होता है। लेकिन सोशल मीडिया ने उसी विचारों के आदान-प्रदान को भेजने की गति को तो बढ़ा दिया है लेकिन लोगों को रचनात्मक बनने से कहीं-न-कहीं रोक दिया है।

कई रिसर्च ने सोशल मीडिया के हद से ज्यादा इस्तेमाल और तनाव, चिंता और सामाजिक अलगाव के बढ़ते स्तर में सम्बन्ध की ओर इशारा किया है। आज के वक्त में हमारे कई तरह के संपर्क सोशल मीडिया के माध्यम से ही बनते हैं, इसलिए हमने उनको भी आमने-सामने वाले संवाद के जैसा ही महत्व देना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि टेक्स्टिंग के माध्यम से बात करना हमारे विचारों पर हावी होने लगे हैं और फेसबुक के 'लाइक' या 'रियेक्ट' की कमी से हमें काफी निराशा हो जाती है। 

जब भी इस बारे में सोचती हूं खुद को फंसा हुआ महसूस करती हूं, लगता है सोशल मीडिया हमे अपनों के करीब ला रहा है या उनसे दूर ले जा रहा है और जवाब साफ नहीं मिल पाता और बस मन करता है अभी इस सोशल मीडिया वाले नाम की गाड़ी को रोका जाए और मैं इससे कूद कर बाहर निकल जाऊं।

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