विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मनाया जाता है। इस दिन आध्यापकों को सामान्य रूप से और कतिपय कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1966 में यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की उस संयुक्त बैठक को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिसमें अध्यापकों की स्थिति पर चर्चा हुई थी और इसके लिए सुझाव प्रस्तुत किए गए थे।
इसे 1994 के बाद से प्रतिवर्ष लगभग 100 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है और इस प्रकार वर्ष 2024 में यह 30वां विश्व शिक्षक दिवस होगा। 2024 में इस दिवस की थीम है ‘शिक्षकों को सशक्त बनाना, लचीलापन मजबूत करना, स्थिरता का निर्माण करना। ’ यह थीम इस बात पर जोर देती है कि शिक्षकों को सामाजिक जिम्मेदारी और पर्यावरण जागरूकता विकसित करने में छात्रों का समर्थन करने के लिए आवश्यक संसाधन और जानकारी देना कितना महत्वपूर्ण है।
विभिन्न देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है। भारत के राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, चिंतक, शिक्षाशास्त्री डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में प्राचीन काल में शिक्षा का उद्देश्य ‘सा विद्या या विमुक्तये’ रहा अर्थात् विद्या वही है, जो मुक्ति दिलाए. आज शिक्षा का उद्देश्य ‘सा विद्या या नियुक्तये’ हो गया है अर्थात् विद्या वही जो नियुक्ति दिलाए।
इस दृष्टि से शिक्षा के बदलते अर्थ ने समाज की मानसिकता को बदल दिया है। यही कारण है कि आज समाज में लोग केवल शिक्षित होना चाहते हैं, सुशिक्षित नहीं बनना चाहते। वे मानते हैं कि ज्ञान का सीधा संबंध उनके अर्थोपार्जन से ही है।
विश्व शिक्षक दिवस उन समर्पित शिक्षकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है जो अगली पीढ़ी के दिमाग को आकार देते हैं और ज्ञान देते हैं। यह विश्वव्यापी उत्सव शिक्षकों को उनके अमूल्य प्रयासों और भावी पीढ़ियों को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित करता है। विश्व शिक्षक दिवस का उद्देश्य मानवता को बढ़ावा देना, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देना और भविष्य के नेताओं को तैयार करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना है। यह शिक्षकों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर विचार करने और दुनिया भर में शिक्षकों के लिए अधिक धन, तैयारी और सम्मान के लिए दबाव बनाने का अवसर है।