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नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉगः जनसंख्या के विस्फोट को रोकना आवश्यक

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: July 11, 2020 1:28 PM

world population day: बढ़ती आबादी के कारण केवल रोजगार या आवास की ही नहीं बल्कि खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी की कमी भी होने वाली है. एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है. इसमें 25 प्रतिशत भारतीय हैं.

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विश्व भर में जनसंख्या संबंधी मुद्दों की गंभीरता और महत्व पर ध्यान खींचने के लिए प्रति वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद द्वारा वर्ष 1989 में इस दिवस का आरम्भ किया गया था. उस वक्त विश्व की आबादी लगभग पांच अरब थी. वर्ष 2017 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की वर्तमान जनसंख्या 7.6 अरब है तथा वर्ष 2030 में यह 8.6 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है. विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन व भारत हैं. अनुमान है कि यह वृद्धि इसी प्रकार होती रही तो 2030 तक भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो जाएगी.

बच्चों को अगर बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, वातावरण व अन्य सुविधाएं देनी हैं तो इसके लिए छोटे परिवार की महती आवश्यकता है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या कई वजहों से समाज और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. देश के कई पिछड़े इलाकों में आज भी बाल विवाह की परम्परा है. इसके कारण कम उम्र में ही महिलाएं मां बन जाती हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए घातक है. रूढ़ियों के चलते बेटे की चाह में पुरुष और महिलाएं परिवार नियोजन अपनाने को तैयार नहीं होते. गरीबी और अशिक्षा भी जनसंख्या बढ़ने की वजहों में से है.  

बढ़ती आबादी के कारण केवल रोजगार या आवास की ही नहीं बल्कि खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी की कमी भी होने वाली है. एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है. इसमें 25 प्रतिशत भारतीय हैं. वाटर एड संस्था की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल जमीनी पानी का 24 प्रतिशत उपयोग भारतीय करते हैं. 

देश में जो बारिश होती है उसका केवल 6 फीसदी पानी ही हम सुरक्षित रख पाते हैं. यदि भूजल का दोहन नहीं रुका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. 75 फीसदी घरों में पीने का साफ पानी नही पहुंच रहा है. केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 प्रतिशत अधिक उपयोग हो रहा है.

विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्र म आयोजित किए जाते हैं. लेकिन यह दिवस मनाना तभी सार्थक होगा जब जनसंख्या विस्फोट में कमी लाने के प्रयासों पर अधिक ध्यान देकर उन पर अमल किया जाएगा. हर राष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि आज विश्व के अनेक विकासशील और विकसित देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं. विकासशील देश अपनी आबादी और जनसंख्या के बीच तालमेल बैठाने की कसरत में लगे हैं वहीं विकसित देश पलायन और रोजगार की चाह में बाहर से आकर रहने वाले शरणार्थियों के कारण परेशान हैं. 

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