विश्व जनसंख्या दिवस: बढ़ती आबादी को देश के लिए बनाना होगा वरदान
By योगेश कुमार गोयल | Published: July 11, 2023 02:36 PM2023-07-11T14:36:24+5:302023-07-11T14:39:13+5:30
भारत में फिलहाल दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी है लेकिन इसका देश के विकास में भरपूर लाभ कैसे लिया जाए, यह हमारे तंत्र के लिए गंभीर चुनौती है.
प्रतिवर्ष 11 जुलाई को मनाया जाने वाला ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ जनसंख्या संबंधी समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करने का एक वैश्विक कार्यक्रम है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा यह आयोजन 1989 में स्थापित किया गया था और 11 जुलाई 1990 को पहला विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया था.
दरअसल जनसंख्या बढ़ने के कारण इको सिस्टम और मानवता को जो नुकसान पहुंच रहा है, उसके प्रति लोगों को इस दिन जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. भारत में वर्ष 1951 से ही जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है किंतु जोर-शोर से यह कार्यक्रम चलाए जाने के बावजूद देश में जनसंख्या बढ़ती गई.
आजादी के समय भारत की आबादी करीब 36 करोड़ थी, जो अब बढ़कर करीब 143 करोड़ हो चुकी है. ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ (यूएनएफपीए) की ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट’ के मुताबिक चीन को पछाड़कर भारत दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन चुका है.
भारत में फिलहाल दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी है लेकिन इसका देश के विकास में भरपूर लाभ कैसे लिया जाए, यह हमारे तंत्र के लिए गंभीर चुनौती है. इसके लिए ऐसे विशेष उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जहां उनके लिए समुचित शिक्षा तथा रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हों. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक भारत को खाद्य सुरक्षा से धीरे-धीरे पोषण सुरक्षा की ओर बढ़ना होगा.
परिवारों को यदि पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होने लगे तो उसकी आय का एक हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च होगा और सशक्त श्रमबल योगदान के लिए आगे आएगा. अर्थशास्त्रियों के अनुुसार भारत में विरोधाभासी नीतियों के कारण जनसंख्या भार हो चली है और यदि हम अपनी बड़ी आबादी का इस्तेमाल वरदान के रूप में करना चाहते हैं तो हमें अपनी आर्थिक नीतियों तथा विकास मॉडल की समीक्षा करनी होगी.
विकास का जो मॉडल हमने अपनाया है, उसमें संगठित क्षेत्रों, मशीनीकरण, स्वचालन आदि पर तो पूरा ध्यान दिया जाता है लेकिन असंगठित क्षेत्र को छोड़ दिया जाता है.
हमारी आर्थिक नीतियां रोजगार सृजन को महत्व देने के बजाय निवेश पर जोर देती हैं और करीब 80 फीसदी निवेश संगठित क्षेत्र में होता है, जहां नए रोजगार पैदा होने की संभावना कम होती है. करीब 45 फीसदी आबादी कृषि कार्यों में लिप्त है लेकिन वहां केवल 5 प्रतिशत ही निवेश होता है.
जनसंख्या के समुचित नियोजन के लिए हमारे नीति-नियंताओं को शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ युवाओं को किसी न किसी कौशल से लैस करने पर विशेष ध्यान देना होगा, जिससे उद्योग जगत की जरूरत के अनुरूप सक्षम युवा तैयार करने में मदद मिलेगी.