लाइव न्यूज़ :

प्रतिद्वंद्वी का उपहास नहीं, सीमाएं उजागर कर दिखाएं अपनी श्रेष्ठता, विश्वनाथ सचदेव का ब्लॉग

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: April 8, 2021 16:51 IST

पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों में ममता बनर्जी को अक्सर दीदी कहकर संबोधित किया जा रहा है. उनके समर्थक और विरोधी दोनों उन्हें दीदी कह रहे हैं.

Open in App
ठळक मुद्देसंसद में व राज्यों की विधानसभाओं में ‘असंसदीय भाषा’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.दुनिया भर में जनतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में इसका पालन किया जाता है.मर्यादा सड़क पर भी निभाई जानी चाहिए.

बांग्ला भाषा का बड़ा प्यारा-सा शब्द है-दीदी. दीदी बड़ी बहन या बहन को कहते हैं और अब तो बांग्ला भाषा का यह शब्द सारे उत्तर भारत में प्रचलित है.

पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों में ममता बनर्जी को अक्सर दीदी कहकर संबोधित किया जा रहा है. उनके समर्थक और विरोधी दोनों उन्हें दीदी कह रहे हैं. अच्छा लगना चाहिए यह देखकर कि राजनीतिक-विरोधी एक-दूसरे को इतने स्नेहसिक्त शब्द के माध्यम से संबोधित कर रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों ने कुछ लोगों के इस व्यवहार को गलत माना है.

उन्हें लग रहा है कि राजनेता इस शब्द का ही नहीं, इस शब्द के माध्यम से एक राजनेता का भी अपमान कर रहे हैं. सच पूछा जाए तो उन्हें इस संबोधन से नहीं, इस शब्द के बोले जाने के ढंग से आपत्ति है. प. बंगाल की चुनावी सभाओं में जिस तरह ‘दीदी..’ का उच्चारण हो रहा है, उस लहजे से शिकायत है कुछ लोगों को. यह लहजा सम्मान जताने का तो नहीं ही लगता. उसमें उपहास की गंध कहीं ज्यादा है.  

राजनीतिक विरोधियों की आलोचना करना, उनकी कथित खामियों को गिनाना, उनकी कथित कमजोरियों का बखान करके उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करना सामान्य बात है, पर यदि ऐसा करने में सामान्य शिष्टाचार और उचित व्यवहार की अनदेखी होती है तो इसे लेकर चिंता होनी ही चाहिए. इसी औचित्य के तकाजेसे हमारी संसद में व राज्यों की विधानसभाओं में ‘असंसदीय भाषा’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

सांसदों और विधायकों से अपेक्षा की जाती है कि वे सदन के भीतर घोषित आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे-और यदि कोई माननीय सदस्य जानबूझकर या अनजाने में ऐसा करता है तो उस शब्द को, या उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाता है. यह एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है और दुनिया भर में जनतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में इसका पालन किया जाता है.

सवाल उठता है जो शब्द संसद में बोलना-अस्वीकार्य है, उन्हें सड़क पर बोलना स्वीकार्य क्यों होना चाहिए? हर जिम्मेदार नागरिक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी वाणी और व्यवहार पर अंकुश रखेगा. यह बात हमारे नेताओं पर कहीं ज्यादा लागू होती है. अपेक्षा की जाती है कि वे अपने व्यवहार से इस दिशा में उदाहरण प्रस्तुत करेंगे. पर अक्सर वे गलत उदाहरण प्रस्तुत करते देखे जाते हैं.

यह दीदी वाला उदाहरण ही लें. बंगाल में सड़क किनारे बैठकर आती-जाती युवतियों पर, छींटाकशी करने वालों को अक्सर ‘दीदी, ऐ दीदी’ कहते सुना जाता है. सांसद महुआ मोइत्ना के अनुसार ऐसे लोगों को ‘रोक-अर-छेले’ कहा जाता है और उन्होंने हमारे कुछ नेताओं पर भी आरोप लगाया है कि वे चुनावी सभाओं में ऐसा ही व्यवहार कर रहे हैं.

सवाल चुनावी सभाओं में अपने प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने का नहीं है. जनतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की जायज कोशिश करना कतई गलत नहीं है, पर इस कोशिश में शिष्टाचार और व्यवहार की सीमाओं का अतिक्रमण किसी भी दृष्टि से सही नहीं ठहराया जा सकता. दुर्भाग्य से हमारे नेता, चाहे वे किसी भी रंग के झंडे वाले हों, अक्सर यह अतिक्रमण करते दिखते हैं.

यह प्रवृत्ति चुनावी सभाओं में और ज्यादा उभर कर सामने आती है. कभी जानबूझकर, और कभी अनजाने में वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए ऐसे शब्दों और ऐसे लहजे का उपयोग करते हैं जिसे सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं किया जाना चाहिए. आज भी हमारे नेता एक-दूसरे पर बेबुनियाद आरोपों की झड़ी लगाते दिखते हैं.

हमारे मंत्रियों तक को यह याद नहीं रहता कि सदन में किसी को झूठा कहना भी असंसदीय शब्द माना गया है! वहां भी यह अपेक्षा की जाती है कि माननीय सदस्य किसी को झूठा कहने के बजाय यह कहे कि ‘आप सच नहीं बोल रहे’. सच न बोलने और झूठ बोलने में भले ही कोई अंतर न होता हो, पर शब्दों की मर्यादा और शालीनता तो साफ दिखती है. यह मर्यादा सड़क पर भी निभाई जानी चाहिए.

 पचहत्तर साल का हो रहा है हमारा जनतंत्न. यह उम्र हम से एक परिपक्वता की अपेक्षा करती है. हमारी कथनी और करनी दोनों में यह परिपक्वता झलकनी चाहिए. प्रतिद्वंद्वी का मजाक उड़ाकर नहीं,  उसकी सीमाओं को उजागर करके हम अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सकते हैं. पता नहीं हमारे नेता कब यह समझेंगे कि दूसरे की खींची रेखा को छोटा सिद्ध करने के लिए उसे मिटाने की नहीं, उससे बड़ी रेखा खींचने की आवश्यकता होती है.

टॅग्स :पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावविधानसभा चुनावविधान सभा चुनाव 2021ममता बनर्जीभारतीय जनता पार्टीटीएमसीसंसद
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'अमित शाह ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन का आधार तैयार करने के लिए SIR का इस्तेमाल किया', ममता बनर्जी ने लगाया आरोप

भारतTMC ने MLA हुमायूं कबीर को पार्टी ने किया सस्पेंड, बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने पर दिया था बयान

भारतसांसद जब पढ़ेंगे नहीं तो संसद में गंभीर चर्चा कैसे कर पाएंगे?

भारतक्या नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे अभिषेक बनर्जी?, 2026 में बन सकते पश्चिम बंगाल सीएम?

भारतParliament Winter Session: संसद शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, विपक्ष के नेता मौजूद; SIR पर हो सकती है बहस

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई