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विवेक शुक्ला का ब्लॉग: संसद भवन में भगत सिंह का चित्र किसने बनाया?

By विवेक शुक्ला | Updated: September 29, 2020 18:14 IST

संसद भवन में लगा भगत सिंह का चित्र इतिहास की घटनाओं की भी याद दिलाता है. इसी संसद में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को बम फेंका था. इसे तब सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली कहा जाता था.

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ठळक मुद्देसंसद भवन में शहीद भगत सिंह और उनके साथी कामरेड बटुकेश्वर दत्त का चित्र, ए.बी. मणकपुरे ने बनाया है इसे36 बाय 28 साइज का है ये चित्र, सोनीपत की भारतीय स्वतंत्र स्मारक समिति की ओर से किया गया है इसे भेंट

संसद भवन में एक चित्र शहीद भगत सिंह और उनके साथी कामरेड बटुकेश्वर दत्त का भी लगा हुआ है. इसे चित्रकार ए.बी. मणकपुरे ने बनाया था. इस 36 बाय 28 साइज के चित्र में दोनों के चेहरे के भावों को मणकपुरे जी ने बेहद शानदार तरीके से उभारा है. 

हरेक शख्स इस चित्र को कुछ पल देखने के बाद नमन करके ही आगे निकलता है. इसी संसद में इन दोनों क्रांतिकारियों ने 8 अप्रैल 1929 को बम फेंका था. तब इसे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली कहा जाता था. इस चित्र को संसद सदस्य सुरेंद्र मोहन ने सोनीपत की भारतीय स्वतंत्र स्मारक समिति की ओर से भेंट किया था.

शहीद भगत सिंह ने कश्मीरी गेट के रामनाथ स्टूडियो से 4 अप्रैल, 1929 को फोटो खिंचवाया था. वह उन्होंने हैट पहन कर खिंचवाया था. तब उनके साथ बटुकेश्वर दत्त भी थे. उन्होंने भी फोटो खिंचवाया था. भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के साथ हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एचएसआरए) के सदस्य जयदेव कपूर भी रामनाथ फोटो स्टूडियो गए थे. 

कपूर ने ही संसद पर हमले की सारी योजना की रणनीति बनाई थी. रामनाथ फोटो स्टूडियो कश्मीरी गेट में सेंट जेम्स चर्च के पास खैबर रेस्तरां के पास से चलता था. भगत सिंह पर लंबे समय से शोध कर रहे राजशेखर व्यास बताते हैं कि रामनाथ स्टूडियो में भगत सिंह की बड़ी सी फोटो लगी हुई थी. 

बहरहाल, बम फेंकने की घटना के बाद रामनाथ फोटो स्टूडियो पर भी पुलिस बार-बार पूछताछ के लिए आने लगी थी. जयदेव कपूर ने भगत सिंह और दत्त के फोटो और निगेटिव बाद में रामनाथ फोटो स्टूडियो में जाकर लिए थे. 

भगत सिंह ने इसी दिल्ली में अपनी भारत नौजवान सभा का हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में विलय किया और काफी विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से एसोसिएशन को एक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन. ये अहम बैठक 8-9 अक्तूबर 1928 को फिरोजशाह कोटला मैदान से सटे मैदान थी.

इसमें चंद्रशेखर आजाद, विजय कुमार सिन्हा, भगवती चरण वोहरा, शिव वर्मा जैसे क्रांतिकारियों ने भाग लिया था. यहां 2005 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की बड़ी आदमकद मूर्ति लग गई है. 

कम से कम अब ये तो पता चल जाता है कि इस स्थान का भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन से क्या संबंध था. इससे पहले तो यहां एक मिटता हुआ स्मृति चिह्न् लगा था. इसे मूर्तिशिल्पी राम सुतार ने बनाया था. ये प्रतिमा 9 फुट ऊंची है. राजधानी में संभवत: पहली भगत सिंह की प्रतिमा सन 1995 में स्थापित हुई. इस अष्टधातु की प्रतिमा को स्थापित करने का श्रेय दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को जाता है.

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