विजय दर्डा का ब्लॉग: हमारे हाथ में है केवल बचाव का विकल्प

By विजय दर्डा | Published: March 23, 2020 06:27 AM2020-03-23T06:27:29+5:302020-03-23T06:27:29+5:30

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयम और संकल्प की जो बात की है वह बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार की जिम्मेदारी यदि यह है कि वह बड़ी संख्या में जांच की व्यवस्था करे तो आम आदमी की जिम्मेदारी है कि वह बेवजह घर से न निकले.

Vijay Darda blog on Coronavirus: We have only the option of protection | विजय दर्डा का ब्लॉग: हमारे हाथ में है केवल बचाव का विकल्प

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

कोरोना वायरस की जन्म स्थली चीन ने तो करीब-करीब इस पर काबू पा लिया है लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में कोरोना कहर बरपा रहा है. इटली, ईरान और स्पेन में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. यूरोप के दूसरे शहरों से लेकर अमेरिका तक में हालात ठीक नहीं हैं. यह उन देशों की हालत है जहां लोग ज्यादा मेलजोल नहीं रखते. आधुनिक मेडिकल सुविधाओं से सुसज्जित हैं. इसके बावजूद कोरोना पर काबू नहीं कर पा रहे हैं तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि हम किस हालत में हैं?

तुलना के लिए हमारे सामने चीन है क्योंकि आबादी के मामले में हम दोनों लगभग एक जैसे हैं लेकिन चीन का क्षेत्रफल हमसे तीन गुना ज्यादा है. जब आप जनसंख्या घनत्व यानी डेंसिटी पर नजर डालेंगे तो हमारी स्थिति ज्यादा गंभीर नजर आती है. भारत की आबादी 138 करोड़ से ज्यादा है जबकि चीन की आबादी 143 करोड़ है. हिसाब लगाएं तो चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर 147 लोग रहते हैं जबकि भारत में यह आंकड़ा 400 से ज्यादा है! चीन ने तो कोरोना का पता चलते ही वुहान को पूरी तरह से लॉक कर दिया. वुहान को सैनिटाइज किया. क्या हम ऐसा करने में सक्षम हैं? क्या हमारे पास इतनी सुविधाएं हैं?

इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे चिकित्सक, हमारी नर्से, वार्ड ब्वाय, हमारा पैरामेडिकल स्टाफ और हमारे अधिकारी न केवल सक्षम हैं बल्कि पूरी तरह से समर्पित भी हैं. मौजूदा दौर में वे जिस तरह से काम कर रहे हैं, वह काबिले तारीफ है. हमारे पास महाराष्ट्र में राजेश टोपे जैसे स्वास्थ्य मंत्री भी हैं जो अपनी मां के अस्पताल  में भर्ती होने के बावजूद कोरोना से जंग में दिन-रात एक कर रहे हैं. सजगता और तत्काल फैसला लेने के लिए मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भी तारीफ करता हूं. मैं सलाम करता हूं पुणो के डिवीजनल कमिश्नर दीपक म्हैसकर, कलेक्टर नवल किशोर राम तथा यवतमाल के कलेक्टर एम. देवेंदर सिंह को जो कोरोना की खबर के साथ ही जबर्दस्त एक्शन में आए और हालात को काबू में किया.

मैं सलाम करता हूं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों, घरों तक अखबार पहुंचाने वाले हॉकरों व सभी मीडिया कर्मियों को, जो इस संकट की घड़ी में बिना डरे काम कर रहे हैं ताकि पूरी खबर लोगों तक पहुंचती रहे.
मगर सवाल यह है कि यदि दुर्भाग्य से कोरोना का स्टेज बढ़ता रहा और वह छोटे शहरों से होता हुआ गांवों तक पहुंच गया तो क्या हमारे पास इतने साधन हैं कि गांवों में भी हालत संभाल सकें? मेरा सुझाव है कि गांव के लोगों को ही अपने गांव को लॉकडाउन कर देना चाहिए ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके. वैसे शहरों में भी हालात संभालने के लिए जितनी बड़ी क्षमता चाहिए, वह नजर नहीं आती. आपको बता दें कि हमारे मुंबई शहर में प्रति वर्ग किलोमीटर 21 हजार लोग रहते हैं! खैर, स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा फिर कभी करेंगे.

अभी तो मैं एक अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी की यह खबर पढ़कर चौंक गया कि भारत के पास  प्रतिदिन 8 हजार टेस्ट की क्षमता है लेकिन क्षमता से बहुत ही कम टेस्ट हो रहे हैं. यह रिपोर्ट 18 मार्च की है. उस दिन तक केवल 11500 टेस्ट ही हो सके थे और 22 मार्च तक केवल 17 हजार टेस्ट हुए हैं. इसे पर्याप्त तो नहीं ही कहा जा सकता है. साउथ कोरिया, ताइवान, सिंगापुर और जापान हमारी तुलना में अत्यंत छोटे देश हैं लेकिन उन देशों में लाखों की संख्या में टेस्ट हो चुके हैं. साउथ कोरिया ने तो टेस्ट की बदौलत ही कोरोना पर करीब-करीब काबू पा लिया. वहां उन लोगों के भी टेस्ट किए जा रहे हैं जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं हैं. निश्चय ही वहां के आम लोगों ने भी वायरस की चेन तोड़ने में बड़ा सहयोग दिया है.

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयम और संकल्प की जो बात की है वह बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार की जिम्मेदारी यदि यह है कि वह बड़ी संख्या में जांच की व्यवस्था करे तो आम आदमी की जिम्मेदारी है कि वह बेवजह घर से न निकले. यदि उसे सामान्य खांसी-सर्दी और बुखार भी है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे और खुद को दूसरों से दूर रखे. हम देवभूमि के वासी हैं, आस्थावान हैं और कई काम भगवान भरोसे ही चलते हैं. लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि लोग स्थिति की गंभीरता को समङोंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बातों पर पूरी तरह अमल करेंगे. जनता कफ्यरू की सफलता से अच्छे संकेत भी मिले हैं.

थोड़ा वक्त जरूर लगेगा लेकिन कोरोना से यह जंग हम जरूर जीतेंगे. लेकिन उसके बाद दूसरी जंग शुरू होगी जो कोरोना अपने पीछे छोड़ जाएगा. वह होगा आर्थिक संकट का दौर. भारत आर्थिक रूप से पहले से ही संकट में है इसलिए हमारी चुनौती अत्यंत गंभीर है. विचारवान उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ठीक ही कहा है कि कोरोना को तो हम जीत लेंगे लेकिन उसके बाद की मंदी को जीतना बहुत बड़ी चुनौती होगी.  

दो बातें और कहना चाहूंगा. एक तो यह कि जो शहर लॉकडाउन हुए हैं वहां बड़ी संख्या में रोज कमाकर पेट भरने वालों की संख्या बहुत बड़ी है. उनका ध्यान रखना होगा. उन उद्योग धंधों के बारे में भी विचार करना होगा जो कोरोना संकट के कारण तबाह हो रहे हैं. और दूसरी बात यह है कि हमें हर तरह के संकट से निपटने के लिए खुद को तैयार करना होगा यानी डिजास्टर मैनेजमेंट पर ध्यान देना होगा. ओडिशा में पिछले साल चक्रवाती तूफान फानी के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का ही परिणाम था कि नुकसान करीब-करीब नहीं के बराबर हुआ. आज सारी दुनिया उस डिजास्टर मैनेजमेंट का अध्ययन कर रही है. हमें उसी तरह की तैयारी बायोलॉजिकल संकट से निपटने के लिए भी करनी होगी.
बहरहाल, कोरोना से डरिए मत. खुद का खयाल रखिए, अपने आसपास सफाई बनाए रखिए. ये जंग हम जरूर जीतेंगे.
 

Web Title: Vijay Darda blog on Coronavirus: We have only the option of protection

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे