लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग : निरंकुशता किसी की भी ठीक नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 31, 2022 13:21 IST

सुप्रीम कोर्ट को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं।

Open in App
ठळक मुद्देमहाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव ने भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया थाअपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं

सर्वोच्च न्यायालय को विधानसभा के एक अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं। 5 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव के साथ कुछ विधायकों ने काफी कहासुनी कर दी। उनका क्रोधित होना स्वाभाविक था। 

उन्होंने इन विधायकों को पूरे एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया। ये 12 विधायक भाजपा के थे। भाजपा महाराष्ट्र में विपक्षी दल है। शिवसेना गठबंधन वहां सत्तारूढ़ है। अध्यक्ष के गुस्से पर सदन ने भी ठप्पा लगा दिया। अब विधायक क्या करते? किसके पास जाएं? राज्यपाल भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री तो अध्यक्ष के साथ हैं ही। आखिरकार उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे खटखटाए।

अच्छा हुआ कि अदालत ने अपना फैसला जल्दी ही दे दिया, इन मुअत्तिल विधायकों को साल भर इंतजार नहीं करना पड़ा। अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा के सदन में उनकी उपस्थिति को बरकरार कर दिया। अपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं। वे जनता के प्रति विधानपालिका की जवाबदेही को वजनदार बनाते हैं। जजों ने कहा कि विधायकों की एक साल की मुअत्तिली उनके निष्कासन से भी ज्यादा बुरी है, क्योंकि उन्हें निकाले जाने पर नए चुनाव होते और उनकी जगह दूसरे जनप्रतिनिधि विधानसभा में जनता की आवाज बुलंद करते लेकिन यह मुअत्तिली तो जनता के प्रतिनिधित्व का अपमान है। 

इसके अलावा यदि विधायकों ने कोई अनुचित व्यवहार किया है तो उन्हें उस दिन या उस सत्न से मुअत्तिल करने का नियम जरूर है लेकिन उन्हें साल भर के लिए बाहर करने के पीछे सत्तारूढ़ दल की मंशा यह भी हो सकती है कि विरोधी पक्ष को अत्यंत अल्पसंख्यक बनाकर मनमाने कानून पास करवा लें। जहां महाराष्ट्र की तरह गठबंधन सरकार हो, वहां तो ऐसी तिकड़म की संभावना ज्यादा होती है। इस घटना में अध्यक्ष, सत्तारूढ़ और विरोधी दलों-सबके सबक लिए समुचित सबक है।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टBJPMLAMaharashtra Assembly
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतकौन थे स्वराज कौशल? दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति का 73 साल की उम्र में हुआ निधन

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतलालू प्रसाद यादव की कथित निर्माणाधीन आलीशान हवेली पर भाजपा ने साधा निशाना, कहा- “लालू का समाजवाद लूट-खसोट से संपन्न एकमात्र परिवार का मॉडल है”

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील