वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बच्चों को देने चाहिए नशा विरोधी संस्कार

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 9, 2021 01:04 PM2021-11-09T13:04:49+5:302021-11-09T13:04:59+5:30

हरियाणा में बंसीलाल और आंध्र में रामाराव ने भी शराबबंदी की थी लेकिन वह चल नहीं पाई। अब तो कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्यों पर से भी शराबबंदी की पाबंदी हटाई जा रही है।

vedpratap vaidik blog children should be given anti drug rituals | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बच्चों को देने चाहिए नशा विरोधी संस्कार

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बच्चों को देने चाहिए नशा विरोधी संस्कार

बिहार में जहरीली शराब पीकर मरनेवालों की खबर दिल दहलानेवाली थी। जिस प्रांत में पूर्ण शराबबंदी हो, उसमें दर्जनों लोग शराब पीने के चलते मर जाएं और सैकड़ों लोग अधमरे हो जाएं, इसका अर्थ क्या निकला? क्या यह नहीं कि शराबबंदी के बावजूद शराब बिहार में दनदना रही है। यह तो जहरीली थी इसलिए इसका पता चल गया।

उसने खुद अपना पता दे दिया। अपने-आपको पकड़वा दिया लेकिन जिस शराब के चलते लोगों को सिर्फ नशा होता है, उनकी संख्या कितनी होगी, कुछ पता नहीं। यह भी हो सकता है कि अब पहले से भी ज्यादा शराब बन रही हो, ज्यादा बिक रही हो और ज्यादा पी जा रही हो। इसमें सरकारी अधिकारियों और पुलिसवालों की भी कई बार मेहरबानी होती है। नीतीश कुमार के साहस का मैं बड़ा प्रशंसक रहा हूं कि उन्होंने शराबबंदी का यह साहसिक कदम उठाया। उनके पहले हमारे समाजवादी मित्न मुख्यमंत्नी कर्पूरी ठाकुर ने भी बिहार में शराबबंदी कर दी थी। 2017 में जब पटना में नीतीश से मेरी भेंट हुई तो उन्होंने मेरे आग्रह पर पटना की होटलों में शराब की जो छूट थी, उसे भी तत्काल उठा लिया था। स्वयं नीतीश और नशाबंदी के आग्रही मेरे जैसे लोगों को इस तथ्य का जरा भी अंदाज नहीं है कि जिन्हें शराब की लत पड़ गई है, उसे कानून से नहीं छुड़ाया जा सकता है। जिसने पीने की ठान रखी है, वह बिहार की सीमा पार करेगा और किसी अन्य प्रांत या नेपाल के सीमांत में घुसकर पिएगा। आप शराब कंपनियों की बोतलें नहीं बिकने देंगे तो वह उन्हें तस्करी से प्राप्त करेगा और यदि आपने उसे रोकने का बंदोबस्त कर लिया तो वह घरों में बनी शराब पिएगा। घरों में बनी यह शराब पियक्कड़ों के होश तो उड़ाती ही है, उनकी जान भी ले बैठती है।

हरियाणा में बंसीलाल और आंध्र में रामाराव ने भी शराबबंदी की थी लेकिन वह चल नहीं पाई। अब तो कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्यों पर से भी शराबबंदी की पाबंदी हटाई जा रही है। मेरे कई प्रधानमंत्नी मित्नों को मैंने कई बार गुपचुप शराब पीते हुए देखा है। लेकिन मैं ऐसे सैकड़ों आर्यसमाजियों, सर्वोदय वालों, गांधीवादियों, रामकृष्ण मिशन वालों और मुसलमानों को भी जानता हूं, जिन्होंने लाख आग्रहों के बावजूद शराब की एक बूंद भी जीवन में कभी नहीं छुई।

मैं जब मास्को में पढ़ता था तो यह देखकर दंग रह जाता था कि नेताओं के साथ-साथ अन्य लोग भी चलती मेट्रो रेल में नशे में बेहोश पड़े होते थे। वैसे इस्लामी देशों और भारत में शराब का प्रचलन उतना नहीं है, जितना यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में है। इसका मूल कारण बचपन में पड़े दृढ़ संस्कार हैं। कानून तभी अपना काम करेगा, जब पहले माता-पिता और शिक्षकगण बच्चों में नशा-विरोधी संस्कार पैदा करेंगे।
 

Web Title: vedpratap vaidik blog children should be given anti drug rituals

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे