शोभना जैन का नजरियाः भारत-पाक शांति वार्ता की कठिन है डगर

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: October 5, 2018 03:29 PM2018-10-05T15:29:33+5:302018-10-05T15:29:33+5:30

पाकिस्तान के साथ फिलहाल समग्र  द्विपक्षीय वार्ता तो फिलहाल संभव नहीं लगती है क्योंकि भारत भी अब आम चुनाव के मोड में आ रहा है।

Shobhana Jain's view: India-Pakistan peace talks are tough | शोभना जैन का नजरियाः भारत-पाक शांति वार्ता की कठिन है डगर

शोभना जैन का नजरियाः भारत-पाक शांति वार्ता की कठिन है डगर

शोभना जैन

पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां जारी रखने से भारत द्वारा न्यूयॉर्क में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच निर्धारित वार्ता रद्द किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच शीत युद्ध और तेज हो गया है तथा दोनों के बीच शांति वार्ता की संभावनाएं फिर से धूमिल हो गई हैं। अब जब कि भारत अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव के लिए ‘इलेक्शन मोड’ में आ रहा है और पाकिस्तान की नई इमरान सरकार भी भारत के खिलाफ आतंकी  गतिविधियां जारी रखे हुए है, ऐसे में कम से कम कुछ समय तक तो किसी प्रकार की शांति वार्ता की उम्मीद नजर नहीं आती है। 
वैसे भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और  विदेश मंत्री स्तर की इस प्रस्तावित वार्ता के रद्द होने पर पाक ने जिस तरह की तल्ख प्रतिक्रि या जाहिर की  और वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जिस तरह भारत पर आरोप लगाए, संयुक्त राष्ट्र में उसकी बयान बाजी से तल्खियां और बढ़ीं तथा दोनों देशों के बीच छत्तीस का आंकड़ा बना रहा।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने महासभा की बैठक में बातचीत के ऑफर पर साफ तौर पर कहा कि भारत हमेशा बातचीत से जटिल से जटिल मुद्दों को सुलझाने का पैरोकार रहा है, लेकिन पाकिस्तान हमेशा धोखा देता है।  पाक के साथ वार्ताओं के दौर चले हैं, लेकिन हर बार पाकिस्तान की आतंकी हरकतों के चलते बातचीत होते होते रुक गई। उन्होंने कहा कि हत्यारों को महिमामंडित  करने वाले देश के साथ  आतंकी रक्तपात के बीच कैसे वार्ता की जा सकती है।

दरअसल भारत सरकार का यही रुख रहा है कि आतंक और वार्ता साथ साथ नहीं चल सकते। दरअसल यहां यह बात भी खास मायने रखती है कि इमरान खान द्वारा संबंध सामान्य बनाने की जिम्मेदारी  भारत पर डाल देना निश्चय ही अंतर्राष्ट्रीय दुनिया के लिए दिखावा भर है। यह सिर्फ पाकिस्तान की पैंतरेबाजी है। सच यही है कि इमरान एक मजबूत बहुमत से सरकार बना कर नहीं आए हैं। उनकी सरकार  का भविष्य पाकिस्तानी सेना और पाक गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की बैसाखियों के भरोसे टिका है। 

ऐसे हालात में अनुभव तो यही बताता है कि पाकिस्तानी सेना भारत विरोधी नीति ही अपनाएगी और पाक आतंकी गतिविधियों को प्रश्रय देना जारी रखेगा ताकि भारत को संबंध सामान्य बनाने की पहल के जरिए राजनयिक सफलता नहीं मिल सके।

पाकिस्तान के साथ फिलहाल समग्र  द्विपक्षीय वार्ता तो फिलहाल संभव नहीं लगती है क्योंकि भारत भी अब आम चुनाव के मोड में आ रहा है। ऐसे में समग्र वार्ता फिलहाल भले ही नहीं हो अलबत्ता पाकिस्तान सीमा पार से आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगा कर, संघर्ष विराम का सम्मान कर कश्मीर में आतंकवाद को प्रश्रय नहीं दे कर और हाफिज सईद जैसे आतंकी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर दोनों देशों के बीच रिश्तों का बेहतर माहौल तो बना ही सकता है। ऐसे में ट्रैक टू डिप्लोमेसी का रास्ता भी खुल सकता है, साथ ही  विचाराधीन मुद्दों पर बातचीत और व्यापार वार्ताएं तो हो सकेंगी। 

Web Title: Shobhana Jain's view: India-Pakistan peace talks are tough

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