शोभना जैन का ब्लॉग: जम्मू-कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दौरे पर सवाल उठाना ठीक नहीं

By शोभना जैन | Published: November 3, 2019 06:07 AM2019-11-03T06:07:43+5:302019-11-03T06:07:43+5:30

इन सांसदों ने स्वयं ही हालात देखे,  धारा  370  हटाया जाना हमारा आंतरिक मसला है और इस दौरे का हासिल भी यही रहा कि इस विदेशी शिष्टमंडल ने हमारे परिप्रेक्ष्य को समझा, जाना कि आतंकवाद पर हमारी चिंताएं क्या हैं.

Shobhana Jain blog: It is not right to question the visit of European MPs in Jammu and Kashmir | शोभना जैन का ब्लॉग: जम्मू-कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दौरे पर सवाल उठाना ठीक नहीं

शोभना जैन का ब्लॉग: जम्मू-कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दौरे पर सवाल उठाना ठीक नहीं

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटाए जाने के बाद वहां पहले विदेशी प्रतिनिधिमंडल के रूप में यूरोपीय  यूनियन (ईयू) के लगभग बीस सांसदों का निजी दौरा समाप्त हो चुका है, लेकिन इस दौरे को लेकर कुछ उलङो से सवाल हैं.
एक तरफ जहां इस दौरे के प्रयोजन, आयोजकों और सांसदों की पृष्ठभूमि, सांसदों के ‘चयन’ और दौरे के प्रति सरकार के ‘अनुकूल रुख’ को लेकर अनेक सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस दौरे को लेकर विपक्षी पार्टियों सहित कुछ प्रबुद्ध वर्गो ने भी कई सवाल उठाए हैं. 

उनका कहना है कि जब भारत की विपक्षी पार्टी के नेताओं को वहां नहीं जाने दिया जा रहा है तब एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल को वहां जाने की अनुमति क्यों दी गई है? एक तरफ सरकार इसे भारत का आंतरिक मामला बताती रही है और उसका साफ तौर पर यही पक्ष रहा है कि कश्मीर पर तीसरे पक्ष का दखल कतई मंजूर नहीं है, ऐसे में सरकार का इस कदम से जुड़ना क्या सरकार की कश्मीर मुद्दे पर घोषित नीति के उलट नहीं है? क्या अनचाहे ही यह कदम  मुद्दे  के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में नहीं जाता है?

 या फिर इस यात्ना के पक्षधरों का यह मत  ज्यादा सही है कि भारत ने इस कदम के जरिये कश्मीर को लेकर अपने व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को दुनिया के सामने रखा. इसे मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण कैसे समझा जा सकता है. इस पक्ष का कहना है कि इस दौरे के जरिये सरकार ने कश्मीर के हालात को लेकर दुनिया भर में निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा चलाए जा रहे झूठे प्रोपेगंडा का जवाब देने की कोशिश की है. 

इन सांसदों ने स्वयं ही हालात देखे,  धारा  370  हटाया जाना हमारा आंतरिक मसला है और इस दौरे का हासिल भी यही रहा कि इस विदेशी शिष्टमंडल ने हमारे परिप्रेक्ष्य को समझा, जाना कि आतंकवाद पर हमारी चिंताएं क्या हैं.
इसी बहस के घमासान के बीच विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी सरकारी पक्ष रखते हुए हुए कहा कि यह दौरा कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीय करने के लिए नहीं था. 

अहम बात यह है कि भारत के परिप्रेक्ष्य को दुनिया के सम्मुख रखना अंतर्राष्ट्रीयकरण नही हैं. इस तरह के संवाद से बड़े राष्ट्रीय हितों की पूर्ति होती है.

दरअसल इस दौरे से सांसदों के बीच भारत के इस पक्ष की ही पुष्टि हुई कि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है और वो उसकी चरमपंथ के खिलाफ जारी लड़ाई के साथ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी चिंता का विषय आतंकवाद है, जो दुनियाभर में परेशानी का सबब है और इसके खिलाफ लड़ाई में हमें भारत के साथ खड़ा होना चाहिए.

Web Title: Shobhana Jain blog: It is not right to question the visit of European MPs in Jammu and Kashmir

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