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ब्लॉग: अंतरिक्ष में नया इतिहास रचने को तैयार

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 19, 2023 10:15 IST

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को गगनयान मिशन तथा अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली परीक्षण यान की पहली प्रदर्शन उड़ान की तैयारियों की समीक्षा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों के साथ की।

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री ने मंगलवार को गगनयान मिशन की तैयारियों पर इसरो के वैज्ञानिकों से बात कीइसके साथ ही पीएम मोदी ने देश के वैज्ञानिकों के समक्ष बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा प्रधानमंत्री ने 2035 में भारत का अंतरिक्ष स्टेशन को भी स्थापित करने की बात भी की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों के समक्ष बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हमारी वैज्ञानिक प्रतिभाएं मंजिल को हासिल कर लेंगी।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को गगनयान मिशन तथा अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली परीक्षण यान की पहली प्रदर्शन उड़ान की तैयारियों की समीक्षा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों के साथ की। इसके अलावा अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनकी शानदार उपलब्धियों को देखते हुए उनके लिए नए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। 

प्रधानमंत्री ने 2035 में भारत का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने तथा 2040 में चांद पर भारतीय नागरिक के कदम पड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया। बैठक के दौरान इसरो की भावी योजनाओं पर भी चर्चा की। भारत ने अंतरिक्ष में सफलता के झंडे रातों रात नहीं गाड़े हैं। इसके पीछे दशकों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों के त्याग तथा समर्पण एवं विलक्षण प्रतिभा है। 

भारत के अंतरिक्ष विज्ञान का सफर साइकिल से शुरू हुआ और आज हम इस क्षेत्र में एक महाशक्ति बन गए हैं। चंद्रयान तथा मंगलयान ने दुनिया के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में नए आयाम जोड़े। 

आदित्य एल-1 सूर्य की ओर बढ़ रहा है। वह पृथ्वी से 15 लाख किमी की ऊंचाई पर सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता का ताजा उदाहरण है। उन्होंने चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारा।

चंद्रयान-3 ने सिर्फ दो हफ्ते काम किया लेकिन इस छोटी सी अवधि में उसने चांद पर खनिजों की खोज की तथा कई नए तथ्यों की जानकारी भी भेजी। इन तथ्यों से न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा के बारे में भावी अनुसंधान में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।

चंद्रमा और मंगल ग्रह पर जाने का मनुष्य का सपना सदियों से रहा है। जैसे-जैसे अंतरिक्ष विज्ञान प्रगति करता गया, यह सपना साकार होने के करीब पहुंचता गया और 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री बने।

उनकी इस उपलब्धि के 19 मिनट बाद उनके सहयोगी एडवर्ड एल्ड्रिन चांद पर कदम रखने वाले दूसरे मनुष्य बने। भारत अंतरिक्ष के किसी ग्रह पर अपना अंतरिक्ष यात्री भेजने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। 3 अप्रैल 1984 को भारत ने राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा। 

अविभाजित सोवियत संघ के मिशन में सहयोग के तहत भारत ने बहादुर सैन्य अफसर राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा था। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की यह अविस्मरणीय उपलब्धि थी। नई सदी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कर भारत को अमेरिका, फ्रांस, चीन जैसी अंतरिक्ष महाशक्तियों के बराबर खड़ा कर दिया। 

आज भारत विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक करने लगा है और अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में नए-नए स्वर्णिम अध्याय जोड़ रहा है। चंद्रयान, मंगलयान तथा सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए आदित्य की सफलता ने हमारे वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। शुक्र सहित कई अन्य ग्रहों पर इसरो मिशन भेजने की तैयारी में जुट गया है। 

प्रधानमंत्री मोदी और उनके पूर्ववर्ती नेतृत्व ने हमारे वैज्ञानिकों की क्षमताओं का हमेशा लोहा पाना तथा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लक्ष्यों को हासिल करने में हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने चांद पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भोजने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उस पर देश-दुनिया की निगाहें रहेंगी।

अंतरिक्ष में भी चीन हमारा प्रतिस्पर्धी बनने की कोशिश हमेशा करता रहा है लेकिन भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम किसी से प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं बल्कि मानव कल्याण के लिए समर्पित है। भारत के वैज्ञानिक की प्रतिभा तथा संकल्प असाधारण है जिनके बल पर वह देश की जनता के सपनों को निश्चित रूप से साकार करेंगे।

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