संसद मानसून सत्रः पक्ष-विपक्ष की गरज-बरस की मानसूनी परीक्षा,  21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा

By राजकुमार सिंह | Updated: July 21, 2025 05:21 IST2025-07-21T05:21:56+5:302025-07-21T05:21:56+5:30

Parliament Monsoon Session: पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के संघर्ष विराम संबंधी दावों, चीन से रिश्तों और बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची परीक्षण समेत तमाम मुद्दों के तीर विपक्ष के तरकश में आ गए हैं तो वह सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा.

Parliament Monsoon Session Monsoon test thunder rain ruling and opposition parties blog raj kumar singh | संसद मानसून सत्रः पक्ष-विपक्ष की गरज-बरस की मानसूनी परीक्षा,  21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा

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Highlightsविपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी.47 दिन पहले ही कर दिया, जो एक महीने यानी 21 अगस्त तक चलेगा.जातीय हिंसा से ग्रस्त मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी विधेयक भी शामिल है.

आम तो संसद का कोई सत्र नहीं होता, पर सोमवार से शुरू हो रहा मानसून सत्र बेहद खास है.  दरअसल बजट सत्र के बाद राजनीति की गंगा-जमुना में इतना पानी बह चुका है कि उसका असर मानसून सत्र पर पड़े बिना नहीं रहेगा. संसदीय कामकाज के आंकड़े जो भी कहें, पर सत्तापक्ष का आत्मविश्वास और आक्रामकता लौट आने के बावजूद विपक्ष के तेवर बजट सत्र में ढीले तो हरगिज नहीं थे.

अब जबकि पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के संघर्ष विराम संबंधी दावों, चीन से रिश्तों और बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची परीक्षण समेत तमाम मुद्दों के तीर विपक्ष के तरकश में आ गए हैं तो वह सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा.

जिन परिस्थितियों में पाक-प्रायोजित आतंकी पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 पर्यटकों की हत्या कर भागने में सफल हो गए और फिर जवाबी कार्रवाई के रूप में  किए गए ऑपरेशन सिंदूर से शुरू भारत-पाक संघर्ष में अचानक विराम का श्रेय लेने के दावे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने किए, उस पर चर्चा के लिए विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी.

विपक्ष ने अतीत के उदाहरण भी दिए थे. सरकार ने संसद में चर्चा का सही समय न होने का तर्क देते हुए उस मांग को न सिर्फ ठुकरा दिया, बल्कि विपक्ष के राष्ट्र प्रेम पर सवाल भी उठाए. हां, उसी के चलते संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से बुलाने का ऐलान अवश्य 47 दिन पहले ही कर दिया, जो एक महीने यानी 21 अगस्त तक चलेगा.

इस बीच विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों को लेकर भी सत्तापक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग हो चुकी है. कमोबेश इसी समय संसद का मानसून सत्र हर वर्ष होता है. इसलिए सरकार की विधायी कार्यों की अपनी तैयारी है. सरकार आठ महत्वपूर्ण विधेयक पेश और पारित कराने का इरादा रखती है, जिनमें लंबे अरसे से जातीय हिंसा से ग्रस्त मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी विधेयक भी शामिल है.

अनुभव बताता है कि संसदीय गतिरोध के बावजूद सरकार विधायी कार्य निपटाने का रास्ता निकाल लेती है, लेकिन पहलगाम से लेकर बिहार में विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण तक विपक्ष के तरकश में मौजूद मुद्दों के तीर उसकी मुश्किलें अवश्य बढ़ाएंगे. अगर आ पाया तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के विरुद्ध महाभियोग भी मानसून सत्र में बड़ा मुद्दा बनेगा.

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