पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन के कारण उभर रहे हैं समुद्री तूफान

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: December 18, 2020 16:15 IST2020-10-30T10:31:04+5:302020-12-18T16:15:58+5:30

लगातार इतनी जल्दी-जल्दी आ रहे चक्रवाती तूफान के बीच जलवायु परिवर्तन बड़ा कारण है. सारी दुनिया के महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं. आगे ये संकट और भी बढ़ने की आशंका है.

Pankaj Chaturvedi blog: storm in ocean emerging due to climate change | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन के कारण उभर रहे हैं समुद्री तूफान

भारतीय उपमहाद्वीप में चक्रवाती तूफानों की बढ़ती संख्या (फाइल फोटो)

Highlightsऔसतन हर महीने 10 से अधिक चक्रवाती तूफान समुद्री रेखा पर बसे शहरों-गांवों के लिए चिंता का विषय1970 से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से उत्पन्न 90 फीसदी अतिरिक्त गर्मी ने बढ़ाया दुनिया भर के महासागर का तापमानठंड के दिनों में भी भारत में तूफान के हमले बढ़ना हमारे लिए गंभीर चेतावनी है

प्राकृतिक आपदाओं से बेहाल सन 2020 के आखिरी महीने की शुरुआत में ही ‘निवार’ की तबाही से दक्षिणी राज्य उबरे नहीं थे कि दक्षिणी तमिलनाडु व केरल पर फिर से भारी बरसात और समुद्री तूफान की चेतावनी जारी कर दी गई. 

यह इस साल का 124वां समुद्री बवंडर था. दिसंबर के पहले सप्ताह चक्रवाती तूफान निवार के कारण चेन्नई में हवाई अड्डा हो या रेलवे स्टेशन, सभी जगह पानी भर गया था. जब पुड्डचेरी के तट पर तूफान टकराया तो 140 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से बही हवा ने पांच लोगों की जान ली, एक हजार से ज्यादा पेड़ उखड़ गए, कई करोड़ की संपत्ति नष्ट हो गई थी. 

अभी उस बिखराव को समेटने का भी काम पूरा नहीं हुआ था कि श्रीलंका के त्रिंकोमाली के करीब कम दबाव से उत्पन्न तूफान ‘बुरेवी’ तटीय भारत में बारिश व आंधी का कारण बन गया.

चक्रवाती तूफानों की बढ़ती संख्या भारत के लिए चिंता की बात

मालदीव द्वारा नाम दिए गए ‘बुरेवी’ तूफान ने हालांकि हमारे देश में ज्यादा नुकसान नहीं किया लेकिन औसतन हर महीने 10 से अधिक चक्रवाती तूफान भारत की विशाल समुद्री रेखा पर बसे शहरों-गांवों के लिए चिंता का विषय हैं. 

सभी जानते हैं कि समुद्र तटीय बस्तियां आदिकाल से ही व्यापार का बड़ा केंद्र रही हैं. यहां आए दिन बवंडर की मार आर्थिक-सामाजिक और सामरिक दृष्टि से देश के लिए चुनौती है. अब समझना होगा कि यह एक महज प्राकृतिक आपदा नहीं है, असल में तेजी से बदल रहे दुनिया के प्राकृतिक मिजाज ने इस तरह के तूफानों की संख्या में इजाफा किया है. 

जैसे-जैसे समुद्र के जल का तापमान बढ़ेगा, उतने ही अधिक तूफान हमें ङोलने होंगे. यह चेतावनी है कि इंसान ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को नियंत्रित नहीं किया तो साइक्लोन या बवंडर के चलते भारत के सागर किनारे वाले शहरों में आम लोगों का जीना दूभर हो जाएगा.

जलवायु परिवर्तन पर 2019 में जारी इंटर गवर्नमेंट समूह (आईपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट ओशन एंड क्रायोस्फीयर इन अ चेंजिंग क्लाइमेट के अनुसार, सारी दुनिया के महासागर 1970 से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से उत्पन्न 90 फीसदी अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित कर चुके हैं. इसके कारण महासागर गर्म हो रहे हैं और इसी से चक्रवात का खतरनाक चेहरा जल्दी-जल्दी सामने आ रहा है.

समुद्र का बढ़ता तापमान खतरे की घंटी

निवार तूफान के पहले बंगाल की खाड़ी में जलवायु परिवर्तन के चलते समुद्र जल सामान्य से अधिक गर्म हो गया था. उस समय समुद्र की सतह का तापमान औसत से लगभग 0.5-1 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था, कुछ क्षेत्रों में यह सामान्य से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था. 

जान लें कि समुद्र का 0.1 डिग्री तापमान बढ़ने का अर्थ है चक्रवात को अतिरिक्त ऊर्जा मिलना. हवा की विशाल मात्र के तेजी से गोल-गोल घूमने पर उत्पन्न तूफान उष्णकटिबंधीय चक्रीय बवंडर कहलाता है. पृथ्वी भौगोलिक रूप से दो गोलार्धो में विभाजित है. ठंडे या बर्फ वाले उत्तरी गोलार्ध में उत्पन्न इस तरह के तूफानों को हरीकेन या टाइफून कहते हैं. 

इनमें हवा का घूर्णन घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में एक वृत्ताकार रूप में होता है. जब बहुत तेज हवाओं वाले उग्र आंधी-तूफान अपने साथ मूसलाधार वर्षा लाते हैं तो उन्हें हरीकेन कहते हैं. जबकि भारत के हिस्से दक्षिणी अर्ध गोलार्ध में इन्हें चक्रवात या साइक्लोन कहा जाता है. 

इस तरफ हवा का घुमाव घड़ी की सुइयों की दिशा में वृत्ताकार होता है. किसी भी उष्णकटिबंधीय अंधड़ को चक्रवाती तूफान की श्रेणी में तब गिना जाने लगता है, जब उसकी गति कम से कम 74 मील प्रति घंटे हो जाती है.

भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु से छेड़छाड़ ने बढ़ाई टेंशन

भारतीय उपमहाद्वीप में बार-बार और हर बार पहले से घातक तूफान आने का असल कारण इंसान द्वारा किए जा रहे प्रकृति के अंधाधुंध शोषण से उपजी पर्यावरणीय त्रसदी ‘जलवायु परिवर्तन’ भी है. इस साल के प्रारंभ में ही अमेरिका की अंतरिक्ष शोध संस्था नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने चेता दिया था कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रकोप से चक्रवाती तूफान और खूंखार होते जाएंगे. 

जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान बढ़ने से सदी के अंत में बारिश के साथ भयंकर बारिश और तूफान आने की दर बढ़ सकती है. यह बात नासा के एक अध्ययन में सामने आई है.

भारी बारिश के साथ तूफान आमतौर पर साल के सबसे गर्म मौसम में ही आते हैं. लेकिन जिस तरह ठंड के दिनों में भारत में ऐसे तूफान के हमले बढ़ रहे हैं, यह हमारे लिए गंभीर चेतावनी है.

Web Title: Pankaj Chaturvedi blog: storm in ocean emerging due to climate change

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