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Pahalgam Terror Attack: दुनिया के अलग-अलग 33 देशों की यात्रा?, प्रतिनिधिमंडलों के व्यापक हैं उद्देश्य

By अवधेश कुमार | Updated: May 27, 2025 05:30 IST

Pahalgam Terror Attack: विपक्ष के सांसद भी इसमें शामिल हैं. यह इतिहास का अब तक का सबसे व्यापक समग्र और अभूतपूर्व प्रतिनिधिमंडल है.

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ठळक मुद्देदेशों को समाहित करते हुए संपूर्ण सर्वांग पक्षों के साथ प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा नहीं गया था. योजना कितनी सूक्ष्मता और व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाई गई.तीन देश तुर्किये, चीन और अजरबैजान इसमें शामिल नहीं हैं.

Pahalgam Terror Attack: इस समय सभी दलों के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल सात समूहों में दुनिया के अलग-अलग 33 देशों की यात्राओं पर है. इसके साथ विदेश मंत्रालय के कुछ पुराने और अनुभवी राजनयिक भी हैं. स्वाभाविक ही आवश्यकतानुसार विदेश मंत्रालय की ओर से भी प्रतिनिधि हैं और यात्रा से संबंधित देशों का दूतावास भी पूरी तरह इनके साथ लगा है. सामान्य तौर पर इसका लक्ष्य यही बताया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर और उसके पूर्व पहलगाम हमले को केंद्र में रखते हुए पाकिस्तान की दुर्नीतियों, संपूर्ण आतंकवादी विषयों पर भारत का पक्ष  सविस्तार रखने के साथ उन्हें अपने पक्ष से सहमत कराने की भी कोशिश होगी. विपक्ष के सांसद भी इसमें शामिल हैं. यह इतिहास का अब तक का सबसे व्यापक समग्र और अभूतपूर्व प्रतिनिधिमंडल है.

पूर्व में एक साथ इतने समूहों में इतने अधिक देशों को समाहित करते हुए संपूर्ण सर्वांग पक्षों के साथ प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा नहीं गया था. साफ है कि इसके उद्देश्य आम समझ से ज्यादा व्यापक होंगे और यह पूरी तरह इस समय स्पष्ट भी नहीं हो सकता. इसकी योजना कितनी सूक्ष्मता और व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाई गई,

यह इससे पता चलता है कि पाकिस्तान की मदद करने वाले तीन देश तुर्किये, चीन और अजरबैजान इसमें शामिल नहीं हैं. यानी उन देशों पर समय नष्ट क्यों करें जो हमारी बात न सुनेंगे न समझेंगे. देशों के चयन की दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच अस्थायी सदस्यों में से चीन को छोड़ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं.

साथ ही 10 अस्थायी सदस्यों में पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़ अन्य आठ अल्जीरिया, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, सियेरा लियोन, गुयाना, पनामा, स्लोवेनिया और ग्रीस भी शामिल हैं.  पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं चीन के अलावा सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों के प्रमुखों से बातचीत की थी.

इसी तरह विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी 10 अस्थायी सदस्यों में पाकिस्तान को छोड़कर और नौ के विदेश मंत्रियों से बातचीत कर चुके हैं. भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी यानी इस्लामिक सम्मेलन संगठन के भी कई देशों की यात्रा करेंगे. इनमें कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और मिस्र शामिल हैं.

ओआईसी देश जम्मू-कश्मीर पर बीच-बीच में भारत विरोधी प्रस्ताव पारित कर देते हैं. इस संगठन ने ऑपरेशन सिंदूर के विरुद्ध भी बयान जारी किया था. तो यह आवश्यक है कि उनसे भी संपर्क करके अपनी बात बताई जाए. इस तरह किसी को रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए कि प्रतिनिधिमंडल भेजने के पीछे उद्देश्य भारत की वर्तमान तथा भविष्य में होने वाली कार्रवाइयों के लिए व्यापक आधार बनाना है जिसमें पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भी स्थिति पैदा हो. प्रधानमंत्री ने बीकानेर के भाषण में साफ कहा है कि आतंकवादी हमले हुए तो पाकिस्तान की सेवा और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान उठाना पड़ेगा.

इस तरह आवश्यकतानुसार युद्ध के साथ आर्थिक, वित्तीय और व्यापारिक घेरेबंदी की भी लंबी योजना है. भारत का उद्देश्य सभी देशों में कार्यपालिका व विधायिका के सदस्यों, बड़े थिंक टैंकों, प्रभावशाली विदेश नीति विशेषज्ञों, मीडिया, जनता और राजनीतिक विचारों के विभिन्न वर्गों से बात कर उनको सहमत कराने के लिए पूरी घटना के आगे-पीछे का विवरण और वैश्विक आतंकवाद की स्थिति से अवगत कराते हुए बताना है कि आतंकवाद विश्व की साझी समस्या है और मिलकर इससे लड़ना होगा.

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