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अब मुश्किल होगा रिश्वतखोरों का बचना, इस नई व्याख्या के कारण अब ज्यादा मामले पकड़े जा सकेंगे

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 17, 2022 15:22 IST

सर्वोच्च न्यायालय ने फिलहाल जो कानूनी सुधार सुझाया है, उसका कुछ असर जरूर होगा लेकिन भ्रष्टाचार को यदि जड़-मूल से खत्म करना है तो हमें कई अत्यंत कठोर कदम उठाने होंगे।

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सर्वोच्च न्यायालय ने रिश्वतखोर सरकारी नौकरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब उनका अपराध सिद्ध करने के लिए ऐसे प्रमाणों की जरूरत नहीं होगी कि रिश्वत देनेवाला और लेनेवाला खुद स्वीकार करे कि मैंने रिश्वत दी है और मैंने रिश्वत ली है। यदि वे खुद स्वीकार न करें या अपने कथन से पलट जाएं या उनमें से कोई मर जाए तो भी अदालत को न्याय जरूर करना होगा। अदालतों को चाहिए कि वे दूसरे प्रमाणों की खोज भी करें। जैसे गवाहों से पूछें, बैंक के खाते तलाशें, रिश्वतखोरों की चल-अचल-संपत्तियों का ब्यौरा इकट्ठा करवाएं, उनके परिवारों के रहन-सहन और खर्चों का कच्चा-चिट्ठा तैयार करवाएं, सरकारी कागजातों को खंगलवाएं। इस तरह के कई प्रमाणों के आधार पर रिश्वत के लेन-देन को पकड़ा जा सकता है। अब तक रिश्वत के कई मामले रास्ते में ही बिखर जाते रहे हैं, लेकिन रिश्वत विरोधी कानून की इस नई व्याख्या के कारण अब ज्यादा मामले पकड़े जा सकेंगे।  

रिश्वतखोरी यानी भ्रष्टाचार अब राजनीतिक शिष्टाचार जैसा बन चुका है। इसका बोलबाला हमारे पड़ोसी देशों में तो इतना ज्यादा है कि हम भारतीय उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। कुछ देशों के नेताओं, फौजियों और अफसरों के ठाठ-बाट देखकर आप अपने आप से पूछेंगे कि ये लोग क्या अरबपति या खरबपति हैं? नेताओं से निकली भ्रष्टाचार की वैतरणी नदी सरकार के चपरासी तक सबको गंदा करती चली जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। भ्रष्टाचार ने हमारी राजनीति, प्रशासन, सार्वजनिक जीवन सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने फिलहाल जो कानूनी सुधार सुझाया है, उसका कुछ असर जरूर होगा लेकिन भ्रष्टाचार को यदि जड़-मूल से खत्म करना है तो हमें कई अत्यंत कठोर कदम उठाने होंगे। सबसे पहले तो नेताओं और अफसरों और उनके परिजन की चल-अचल संपत्ति तथा आय-व्यय का ब्यौरा प्रतिवर्ष सार्वजनिक करना अनिवार्य किया जाए। दूसरा, भ्रष्ट नेताओं और अफसरों पर चलनेवाले मुकदमों के फैसलों की समयावधि तय की जाए। तीसरे, कुछ अत्यंत भ्रष्ट नेताओं, अफसरों और भ्रष्टाचार करनेवालों को उम्र कैद की सजा दी जाए। चौथा, देश में सादगी और अपरिग्रह के आदर्शों का प्रचार खुद राजनेता, संपन्न सेठ लोग, नौकरशाह, धर्मध्वजीगण भी करें और अपना जीवन वैसा ही बनाकर लोगों के सामने जीवंत उदाहरण पेश करें।

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