वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया वर्ष 2020-21 का आम बजट क्रय शक्ति बढ़ाने वाला उदार बजट है. नए बजट का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा. नए बजट के तहत आयकर की नई छूटों, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, छोटे उद्योग व जनकल्याणकारी योजनाओं से करोड़ों लोगों को लाभान्वित करके जहां आर्थिक सुस्ती का मुकाबला किया जा सकेगा, वहीं विकास दर बढ़ाई जा सकेगी. लेकिन नए बजट की सबसे बड़ी चुनौती वर्ष 2020-21 में 10 फीसदी विकास दर प्राप्त करने की है.
बजट में वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.5 प्रतिशत निर्धारित किया है, इससे अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी धनराशि अतिरिक्त खर्च करने की गुंजाइश बढ़ गई है.
वर्ष 2020-21 के बजट में वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण आर्थिक सुस्ती की चुनौतियों को सामने रखते हुए विभिन्न वर्गो की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए दिखाई दी हैं. बजट सबसे अधिक खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे रहा है. कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. कहा गया है कि यह बजट 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. बजट में किसानों के लिए 16 बड़े ऐलान किए गए हैं.
निस्संदेह नए बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्नों के लिए बजट आवंटन बढ़ते हुए दिखाई दिया है. नए बजट में नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने कहा कि जल्द नई शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा. बजट में शिक्षा के लिए 99 हजार 300 करोड़ रु. तथा कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रु. आवंटित किए गए हैं. बजट में स्वरोजगार और स्टार्टअप के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं.
निस्संदेह पूरा देश विभिन्न उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से राहत पाने की आस में नए बजट की ओर टकटकी लगाकर देख रहा था. ऐसे में वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण वर्ष 2020-21 के नए बजट के समक्ष दिखाई दे रही आर्थिक एवं वित्तीय चुनौतियों के बीच राजकोषीय घाटे की फिक्र न करते हुए अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा और रोजगार बढ़ाने वाली सार्वजनिक परियोजनाओं पर आवंटन बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं.