जवाहर लाल नेहरू: अंतहीन प्रेरणा के बने रहेंगे स्रोत?, इतिहास के पन्नों पर एक अमिट छाप

By अश्वनी कुमार | Updated: May 27, 2025 05:34 IST2025-05-27T05:34:33+5:302025-05-27T05:34:33+5:30

दूरदृष्टि की विशालता ने भारत को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया है, जिसकी आवाज को दुनिया के मंचों पर सम्मान के साथ सुना जाता है.

Jawaharlal Nehru remain source endless inspiration May 27 former PM death in 1964 indelible mark pages history blog Ashwani Kumar | जवाहर लाल नेहरू: अंतहीन प्रेरणा के बने रहेंगे स्रोत?, इतिहास के पन्नों पर एक अमिट छाप

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Highlightsगणतंत्र के मूलभूत लक्ष्यों को साकार करने की प्रक्रिया को गति देने की जिम्मेदारी उन पर थी.व्यक्तिगत प्रतिष्ठा ने उन्हें अपने समय के राजनेताओं के बीच स्थान दिलाया. अपना एक अंतरिक्ष कार्यक्रम है जो दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है.

थॉमस कार्लाइल ने लिखा है कि इतिहास उन उत्कृष्ट व्यक्तियों द्वारा संचालित होता है और आकार पाता है जो खुद से ऊपर उठते हैं तथा मानव जाति की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं. साहस, करिश्मा, सफल होने की इच्छा और अपने उद्देश्य के सही होने के विश्वास से संपन्न, वे इतिहास के पन्नों पर एक अमिट छाप छोड़ते हैं. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रतिष्ठित नायक और इसके पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही एक व्यक्ति थे. उनकी दूरदृष्टि की विशालता ने भारत को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया है, जिसकी आवाज को दुनिया के मंचों पर सम्मान के साथ सुना जाता है.

नेहरू ने भारत को एक लोकतांत्रिक राज्य के रूप में देखा था, जो कानून के शासन द्वारा शासित हो और सभी के लिए धर्मनिरपेक्षता, समावेशिता, स्वतंत्रता, समानता, सम्मान और न्याय के लिए प्रतिबद्ध हो. देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में गणतंत्र के मूलभूत लक्ष्यों को साकार करने की प्रक्रिया को गति देने की जिम्मेदारी उन पर थी.

पंडितजी, जैसा कि नेहरू को उनके सहकर्मी प्यार से संबोधित करते थे, का मानना था कि भारत की प्रगति के लिए शांति पहली आवश्यक शर्त है और इसलिए उन्होंने शीत युद्ध की प्रतिद्वंद्विता से खुद को दूर रखा, साथ ही वे उपनिवेशवाद विरोधी वैश्विक राजदूत और दुनिया के शांतिदूत बन गए.

स्वतंत्रता सेनानी, मानवतावादी और साहित्यकार के रूप में उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा ने उन्हें अपने समय के राजनेताओं के बीच स्थान दिलाया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी पहल ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जिसका अपना एक अंतरिक्ष कार्यक्रम है जो दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है.

देश में आईआईटी और एम्स की स्थापना उनकी दूरदर्शिता का एक उदाहरण है. भारत में हरित और श्वेत क्रांतियों ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है, जिसका श्रेय नेहरू के दृष्टिकोण को जाता है. और सार्वजनिक क्षेत्र राष्ट्र के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने का उनका साधन था, एक ऐसा दृष्टिकोण जो सही साबित हुआ है.

प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उपलब्धियों की सूची और उनके व्यक्तित्व की उत्कृष्टता राष्ट्र की लोककथाओं का हिस्सा है. लेकिन यह उनकी नि:स्वार्थता, लोकतांत्रिक स्वभाव और विनम्रता ही थी जिसने उन्हें लोगों का प्रिय बना दिया, जिनका स्नेह उनकी सबसे बड़ी ताकत थी. दिल के साफ, उन्होंने उन लोगों पर विश्वास किया जिन्होंने दोस्ती का दावा किया.

उन लोगों के प्रति भी कठोर नहीं थे जो उनके अनिवार्य रूप से विरोधी थे. उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर विवेकपूर्ण असहमति के अधिकार और लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका के महत्व को पहचाना, रचनात्मक विपक्ष का स्वागत किया और यहां तक कि उसे प्रोत्साहित भी किया. ऐसे समय में, जब उनके काम का उपहास और दोषारोपण की कोशिश की जा रही है, यह नहीं भूलना चाहिए कि पंडितजी के महान नेतृत्व की यादों को दुष्प्रचार करने वाले मिटा नहीं सकते. जो लोग इतिहास को झुठलाना चाहते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि सत्य ठोस होता है और उसे दबाया नहीं जा सकता.

यह खुद को मजबूत करता है और समय-समय पर बयान करता है. वास्तव में, इतिहास को मनमाने ढंग से बदला नहीं जा सकता और इतिहास बनाने वाले नेहरू राष्ट्र के विचारों में जीवित हैं. नि:स्वार्थता और बलिदान भरा उनका जीवन उनके उत्कृष्ट नेतृत्व का एक स्थायी प्रमाण है. इस विखंडन और कलह के समय में इतिहास का कोई भी पुनर्लेखन उनके मानवतावाद या उनके विचारों की शक्ति की गगनभेदी गूंज को दबा नहीं सकता. कैफी आजमी द्वारा नेहरू के अंतिम संस्कार पर दी गई सम्मोहक और मार्मिक श्रद्धांजलि लोगों की यादों में अंकित है.

‘मेरी आवाज़ सुनो, प्यार का राग सुनो
क्यों सजाई है ये चंदन की चिता मेरे लिए,
मैं कोई जिस्म नहीं हूं, के जला दोगे मुझे,
राख के साथ बिखर जाऊंगा मैं दुनिया में,
तुम जहां खाओगे ठोकर, वहीं पाओगे मुझे...’

पंडित नेहरू की 61 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर तथा वर्तमान संकटपूर्ण समय को देखते हुए, हमें पंडितजी के निधन पर अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कही गई कविता को अवश्य याद करना चाहिए. उन्होंने उस समय अपनी चिरपरिचित वाक्‌पटुता के साथ नेहरू के बारे में कहा था: ‘यह एक स्वप्न था, जो अनंत में विलीन हो गया...

एक दीपक की लौ, जो रात भर जलती रही, हर अंधकार से लड़ती रही, हमें रास्ता दिखाते हुए एक सुबह स्वयं निर्वाण को प्राप्त हो गई...’ इस प्रकार नेहरू के नेतृत्व की असाधारणता स्थापित हुई, महान लोगों की श्रेणी में उनका स्थान सुनिश्चित हो गया. उनकी दूरदर्शिता की रोशनी, उनकी शालीनता की शक्ति, उनकी आत्मा की सौम्यता, उनके दृढ़ विश्वास की ताकत और देश की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा किए गए अंतहीन बलिदानों ने उन्हें अपने लोगों का सम्मान दिलाया.

जवाहरलाल नेहरू ने राजनीति के केंद्र में ‘विनम्रता का स्वर’ और गरिमा की शुरुआत की, इसे सत्ता के लिए स्वार्थ से परे ले गए. इन सभी, व अन्य कारणों से, नेहरू का परिवर्तनकारी नेतृत्व आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अंतहीन प्रेरणा बना रहेगा. उम्मीद है कि जो लोग उनकी विरासत आगे बढ़ाने का दावा करते हैं, वे अपने आदर्श को नहीं भूलेंगे.

Web Title: Jawaharlal Nehru remain source endless inspiration May 27 former PM death in 1964 indelible mark pages history blog Ashwani Kumar

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