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ब्लॉग: हड़ताल के तौर-तरीकों पर जापान से ली जानी चाहिए सीख

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 11, 2024 10:32 IST

टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइंस एयर इंडिया एक्सप्रेस के चालक दल के दो सौ से अधिक सदस्यों के अचानक छुट्टी पर चले जाने से सैकड़ों उड़ानें रद्द होने के कारण यात्रियों को परेशानी हुई।

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ठळक मुद्देउड़ानें रद्द किए जाने के कारण यात्रियों को जो परेशानी हुई, क्या उसकी भरपाई हो सकती है जापान इस मामले में पूरी दुनिया के लिए आदर्श बनकर उभरा हैवहां जब कर्मचारियों को प्रबंधन के सामने अपनी कोई मांग रखनी होती है तो वे काली पट्टी बांध कर काम करते हैं

टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइंस एयर इंडिया एक्सप्रेस के चालक दल के दो सौ से अधिक सदस्यों के अचानक छुट्टी पर चले जाने से सैकड़ों उड़ानें रद्द होने के कारण यात्रियों को जो परेशानी हुई, उसने एक बार फिर हड़ताल के तौर-तरीकों पर सोचने के लिए विवश कर दिया है। हालांकि समझौता होने के बाद कर्मचारी अपने काम पर लौट आए लेकिन इस बीच उड़ानें रद्द किए जाने के कारण यात्रियों को जो परेशानी हुई, क्या उसकी भरपाई हो सकती है।

मुद्दा यह नहीं है कि हड़ताल किस वजह से हुई, जहां भी हड़ताल की जाती है उसके पीछे वजह तो कोई न कोई होती ही है, लेकिन क्या ऐसा रास्ता नहीं निकाला जा सकता कि हड़ताल से किसी को परेशानी भी न हो और हड़ताल करने वालों का मकसद भी पूरा हो जाए। निश्चित रूप से जापान इस मामले में पूरी दुनिया के लिए आदर्श बनकर उभरा है। कहा जाता है कि वहां जब कर्मचारियों को प्रबंधन के सामने अपनी कोई मांग रखनी होती है तो वे काली पट्टी बांध कर काम करते हैं और फिर भी प्रबंधन ध्यान न दे तो काम दोगुना करने लगते हैं।

इसके अलावा भी वे कई तरीके अपनाते हैं लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा नहीं होता जिससे आम लोगों को परेशानी हो। कुछ साल पहले जब वहां बस ड्राइवरों की हड़ताल हुई थी तो एक भी बस खड़ी नहीं हुई थी बल्कि उन्होंने यात्रियों को फ्री में सफर कराया था, उनसे कोई किराया नहीं लिया था। रेलवे में भी वहां इसी तरह हड़ताल की जाती है अर्थात यात्रियों के टिकटों की जांच नहीं की जाती। एक बार वहां जूता बनाने वाली कंपनी में हड़ताल हुई तो खाली बैठने के बजाय वहां के कर्मचारियों ने सिर्फ एक ही पैर का जूता बनाना शुरू कर दिया।

इससे कंपनी में हड़ताल के बावजूद काम चल रहा था लेकिन मालिक का व्यापार रुक गया था, जिससे उसे समझौता करना पड़ा। अपने देशवासियों की इस भावना के ही कारण जापान ने इतनी तरक्की भी की है। हमारे देश में हड़ताल का अर्थ ही पूरी तरह से नकारात्मक है जिसमें फायदा तो किसी को नहीं होता, नुकसान सबको होता है।

देश में आए दिन समाज का कोई न कोई वर्ग किसी न किसी मुद्दे को लेकर हड़ताल करता ही रहता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचता है। इसलिए शायद समय आ गया है कि हड़ताल के तौर-तरीकों को बदला जाए और विरोध प्रदर्शन के ऐसे तरीके अपनाए जाएं जिससे आंदोलनकारी अपनी मांगों के प्रति ध्यान भी आकृष्ट करा सकें और किसी को कोई नुकसान भी न पहुंचे।

टॅग्स :जापानभारतRailwaysAirports Authority of India
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