नई दिल्ली: वह भारतीय जनता पार्टी के प्रखर वक्ता भी हैं और नेता भी. पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया था. उस दिन एक टीवी चैनल की बहस में उन्होंने इस बात पर आपत्ति प्रकट की थी कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है! उनका तर्क था कि ‘भारत माता’ का पिता कोई कैसे हो सकता है?
बापु के ‘राष्ट्रपिता’ कहने को लेकर विवाद
उन्हें इस बात पर भी ऐतराज था कि हमारे संविधान में ‘राष्ट्रपिता’ शब्द का उल्लेख न होने के बावजूद किसी को यह पदवी कोई कैसे दे सकता है? और जब भाजपा के यह प्रवक्ता टीवी चैनल पर यह सब कह रहे थे तो सात समंदर पार अमेरिका में हमारे प्रधानमंत्री महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल चढ़ा रहे थे, प्रतिमा के सामने शीश झुका रहे थे.
इस दृश्य को देखने वालों ने यह भी देखा होगा कि राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री प्रतिमा को पीठ दिखा कर वहां से नहीं हटे थे- जैसे मंदिर में आराध्य की प्रतिमा को प्रणाम करके एक-एक कदम पीछे हटाते हुए हटा जाता है, ठीक वैसे ही प्रधानमंत्री राष्ट्रपिता की प्रतिमा से हटे थे.
भारत बुद्ध और गांधी का है देश
जब-जब प्रधानमंत्री मोदी विदेश गए हैं, और जब-जब उन्हें अवसर मिला है, उन्होंने इस बात को रेखांकित करना जरूरी समझा है कि भारत बुद्ध और गांधी का देश है. सच कहें तो विदेशों में गांधी भारत की पहचान का नाम है. सारी दुनिया इस पहचान को स्वीकारती-सराहती है. यह कोई संयोग नहीं है कि दुनिया के 141 देशों ने महात्मा गांधी की प्रतिमाएं लगा कर, या फिर प्रमुख मार्गों को उनका नाम देकर भारत के राष्ट्रपिता के प्रति श्रद्धा व्यक्त की है.
गांधीजी ने कभी नहीं कहा कि उन्होंने देश को आजाद कराया था. सच बात तो यह है कि उन्होंने देश को, और दुनिया को आजाद होने का मतलब समझाया था. आजादी की लड़ाई का एक तरीका सिखाया था उन्होंने हमें और भी तरीके हो सकते हैं इस लड़ाई के, पर वे कहते थे, मेरा तरीका मुझे बेहतर लगता है.
गांधीजी क्यों है महान
वे जीवन भर अपने तरीके पर चलते रहे. आज भी दुनिया उनके बताए तरीके को जानने-समझने का प्रयास करती दिखती है इसलिए गांधीजी महान हैं. गांधीजी की महानता को देख-समझ कर ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता कहा था.
गांधीजी ने जो कहा, जो किया उसे समझना हमारे आज की आवश्यकता ही नहीं, हमारे आने वाले कल की भी आवश्यकता है इसीलिए स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गांधी से परिचित कराना जरूरी है. इसीलिए, तब हैरानी होती है जब पता चलता है राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने इतिहास की पुस्तकों से गांधी-हत्या के प्रकरण को हटाने का निर्णय किया है. गांधी पर पर्दा डालकर गांधी के अस्तित्व को नहीं नकारा जा सकता.