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ब्लॉग: भारतीय वैज्ञानिकों ने आमजन के कल्याण की दिशा में कार्य किया

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: January 5, 2023 17:34 IST

आपको बता दें कि जगदीशचंद्र बोस अपने आविष्कार को पेटेंट नहीं करवा सके अन्यथा रेडियो के आविष्कार के साथ आज उनका नाम जुड़ा होता। आज अपराधियों को पकड़ने में उंगलियों की छाप या फिंगर प्रिंट का बड़ा महत्व है लेकिन इसकी खोज का श्रेय अंग्रेजों को दिया जाता है।

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ठळक मुद्देपीएम मोदी के अनुसार, भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं।वे किसी भी मामले में किसी अन्य देश के वैज्ञानिकों से कम नहीं है। इस बात को उन्होंने हाल में ही हुए कोरोना महामारी में इसे साबित भी कर दिया है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक, भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं. मंगलवार से नागपुर में शुरू हुए इंडियन साइंस कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में मोदी ने भारतीय विज्ञान की कीर्ति का जो गुणगान किया, यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि यथार्थ है. 

जब दुनिया के अन्य देशों में मानव सभ्यताएं पूरी तरह से विकसित भी नहीं हुई थीं, तब भारत में वैज्ञानिक गतिविधियां परिपक्व हो चुकी थीं तथा विज्ञान के कई सूत्र विकसित हो चुके थे. विज्ञान और प्रौद्योगिकी भारतीय जीवन शैली तथा संस्कृति का हिस्सा रही हैं. 

भारतीय जनजीवन में गहराई तक समाया है विज्ञान

विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रत्येक गतिविधि मानव कल्याण तथा मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण रही हैं. भारतीय विज्ञान की बुनियाद ही मानवता के व्यापक कल्याण में निहित है. भारतीय जनजीवन में विज्ञान गहराई तक समाया है. यहां तक कि भोजन बनाने की प्राचीन भारतीय शैली, जमीन पर बैठकर भोजन करने की भारतीय विधि तक विज्ञान सम्मत है. 

भारतीय व्यंजन तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण हैं. उनमें इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का मानव स्वास्थ्य के लिहाज से वैज्ञानिक महत्व है. वैज्ञानिक अनुसंधान से ये सब चीजें प्रमाणित हो चुकी हैं. विज्ञान के जिन सूत्रों का श्रेय पश्चिमी वैज्ञानिकों को दिया जाता है, उन पर कई सदियों पूर्व भारत में काम हो चुका था. 

भारतीय वैज्ञानिक भी कम नहीं नहीं है

पश्चिमी सभ्यता का इतना प्रचार किया गया कि तमाम आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा आविष्कारों का श्रेय यूरोप तथा अमेरिकी वैज्ञानिकों को दे दिया गया. भारतीय ऋषि-मुनि सिर्फ धार्मिक  सिद्धांत या धर्म का उपदेश ही नहीं देते थे, बल्कि विज्ञान को मानव कल्याण के लिए विकसित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. 

एलोपैथी से सैकड़ों वर्ष पूर्व चरक तथा सुश्रुत चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा दे चुके थे. चरक तथा सुश्रुत के सिद्धांतों पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की नींव रखी गई है. आयुर्वेद दुनिया का सबसे पुराना तथा पहला चिकित्सा शास्त्र है जिसमें बीमारियों के वैज्ञानिक रूप से निदान एवं उनके उपचार को सिद्ध किया गया है. 

भारतीय वैज्ञानिकों ने भी की है बड़ी खोज

पहिया और शून्य नहीं होते तो शायद मानव सभ्यता आज इतनी विकसित भी नहीं हुई होती. इनका आविष्कार भारत ने किया. भास्कराचार्य, ऋषि कणाद, आर्यभट्ट, नागार्जुन जैसे प्राचीन भारतीय मनीषियों का विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. 

आधुनिक वैज्ञानिकों में श्रीनिवास रामानुजन, जगदीशचंद्र बोस, सी.वी. रमण, सत्येंद्रनाथ बोस, होमी जे. भाभा, विक्रम साराभाई, जयंत विष्णु नारलीकर, रघुनाथ अनंत माशेलकर, शांतिस्वरूप भटनागर, मेघनाद साहा, हरगोविंद खुराना ने भारतीय विज्ञान की प्राचीन लेकिन समृद्ध परंपरा में अपने अनुसंधान से नए आयाम जोड़े हैं. 

आविष्कार करने के बावजूद भी कई भारतीय वैज्ञानिकों को नहीं मिल पाया सही से क्रेडिट

जगदीशचंद्र बोस अपने आविष्कार को पेटेंट नहीं करवा सके अन्यथा रेडियो के आविष्कार के साथ आज उनका नाम जुड़ा होता. आज अपराधियों को पकड़ने में उंगलियों की छाप या फिंगर प्रिंट का बड़ा महत्व है लेकिन इसकी खोज का श्रेय अंग्रेजों को दिया जाता है. 

सच्चाई यह है कि फिंगर प्रिंट तकनीक से अपराधियों की शिनाख्त करने की तकनीक के विकास में 19वीं सदी के उत्तरार्ध में कोलकाता में पदस्थ पुलिस उपनिरीक्षक अजीजुल हक का योगदान रहा. तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने इस तकनीक के विकास में योगदान के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया था. 

भारत ने और देशों के मुकाबले विकसित किया बेहद सस्ती एवं टिकाऊ तकनीक 

एकदम नए जमाने की बात करें तो मंगलयान और चंद्रयान का ही उदाहरण ले लें. अमेरिका, चीन तथा अन्य देश मंगल एवं चांद पर यान भेजने के लिए जो तकनीक इस्तेमाल करते आ रहे थे, वह काफी महंगी एवं अल्पजीवी थी लेकिन भारत ने बेहद सस्ती एवं टिकाऊ तकनीक विकसित की. भारत के मंगलयान तथा चंद्रयान काफी सस्ते में बने एवं दीर्घजीवी सिद्ध हुए हैं. 

कोरोना काल में भी भारतीय वैज्ञानिक हुए सफल साबित

कोरोना काल में भी भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने चिकित्सा के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात किया. भारतीय चिकित्सकों की मेहनत का नतीजा रहा कि कोविड महामारी के सस्ते टीके विकसित हुए. उससे न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई गरीब देशों को कोविड महामारी से लड़ने में सफलता मिली. 

विज्ञान का मूल उद्देश्य ही मानव कल्याण रहा है और दुनिया में प्रत्येक आविष्कार ने मनुष्य को ज्यादा सभ्य एवं विश्व को रहने के लिए एक बेहतर स्थान बनाने में मदद की है. इस कार्य में भारतीय विज्ञान के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. भारत ही ऐसा पहला देश है जिसने विज्ञान के लाभ को जन-जन तक पहुंचाया.

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