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ब्लॉग: आदर्श गणराज्य की मिसाल है भारत, गरीब राष्ट्र कहे जाने वाला इंडिया आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: January 26, 2023 15:29 IST

आपको बता दें कि गणतंत्र भारतीय समाज तथा संस्कृति का हिस्सा रहा है। प्राचीन काल में जनमानस की इच्छा के अनुरूप शासन करने के सिद्धांत को तमाम शासकों ने अपनाया। आज से 2600 वर्ष पूर्व हमारे देश में गणतांत्रिक व्यवस्था का चलन शुरू हो चुका था।

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ठळक मुद्देपूरी दुनिया में भारत की छवि एक आदर्श गणराज्य के रूप में निकल कर सामने आई है।जिस भारत को पहले गरीब राष्ट्र कहा जाता था, वह आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है।हालांकि ‘गणराज्य’ का सफर अभी भी पूरा नहीं हुआ है और कई असमानताएं अभी भी पाटना होगा।

नई दिल्ली: भारत आज गणतंत्र दिवस की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है. सात दशकों से ज्यादा की इस यात्रा पर नजर डालने के बाद गर्व के साथ कहा जा सकता है कि जिन उद्देश्यों तथा लक्ष्यों के साथ हमारे जननायकों ने भारत को गणतांत्रिक देश बनाया, उन्हें हासिल करने की दिशा में ठोस कदम उठे. अब एक गणराज्य के रूप में भारत तथा उसके नागरिक अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं. 

आदर्श गणराज्य के रूप में भारत की बनी है छवि 

यह कहना निश्चित रूप से अतिशयोक्ति होगी कि भारत ने गणतांत्रिक मूल्यों को पूरी तरह से हासिल कर लिया, परंतु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि देश को जिन सपनों के साथ गणराज्य घोषित किया गया था, वह धीरे-धीरे पूरे होते जा रहे हैं तथा एक आदर्श गणराज्य के रूप में भारत की दुनिया में एक उज्ज्वल छवि बनी है. 

हमने प्रगति के नए सोपान तय किए, लोकतांत्रिक मूल्यों के नए प्रतिमान स्थापित किए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि वह देश के स्वतंत्र होने के बाद ऐसे संविधान के निर्माण के लिए प्रयास करेंगे जिसमें छोटे से छोटा व्यक्ति भी यह महसूस कर सके कि यह देश उसका है, इसके निर्माण में उसका योगदान है और उसके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि उसकी भावनाओं के अनुरूप राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का काम करेंगे. 

पड़ोसी देशों में ‘गण’ की आवाजों का नहीं है कोई मायने

संविधान बनने तक राष्ट्रपिता जीवित नहीं रहे लेकिन निर्विवाद रूप से यह कहा जा सकता है कि संविधान उनके सपनों को साकार करने वाला बना. यही नहीं, सत्ता में जिस किसी पार्टी को मौका मिला, उसने गणराज्य के मूलभूत सिद्धांतों तथा मूल्यों के अनुरूप आचरण किया. वैसे दुनिया के अधिकांश देशों ने खुद को गणतांत्रिक घोषित कर रखा है लेकिन उनमें से बहुत ही कम गणतंत्र की कसौटी पर खरे उतर पाए हैं. 

हमारे पड़ोस में चीन, पाकिस्तान, म्यांमार खुद को गणतांत्रिक देश कहते हैं लेकिन इन तीनों ही देशों में ‘गण’ की आवाज कोई मायने नहीं रखती. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भूमिका कठपुतली से ज्यादा की नहीं है. वहां असली सत्ता सेना के हाथों में है. म्यांमार में लोकतंत्र और गणतंत्र के नाम पर सेना शासन कर रही है. जनता की आवाज को वहां कुचल दिया जाता है. 

गणराज्य के मामले में भारत बना है आदर्श

चीन में भी लोकतांत्रिक एवं गणतांत्रिक मूल्यों के लिए कोई खास जगह नहीं है. उत्तर कोरिया में तो विशुद्ध तानाशाही है मगर उसने भी खुद को गणराज्य घोषित कर रखा है. वहां तो जनता को अपनी पसंद के वस्त्र पहनने, अपने विचार व्यक्त करने तथा अन्य सामान्य नागरिक गतिविधियां तक अपनी इच्छा से करने की छूट नहीं है. इस तथाकथित गणराज्य में जो तानाशाह चाहता है, वही होता है. 

भारत गणराज्य के मामले में एक आदर्श बनकर उभरा है. यहां सही अर्थों में जनता के द्वारा स्थापित शासन है. यहां गांव से लेकर लोकतंत्र के सर्वोच्च सदन संसद में भी जनता अपने प्रतिनिधियों को निर्वाचित करके भेजती है और अगर वे उसकी कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो चुनाव में वोट की ताकत का इस्तेमाल कर उन्हें बेदखल भी कर देती है. 

गरीब राष्ट्र से आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है भारत 

गणतंत्र भारतीय समाज तथा संस्कृति का हिस्सा रहा है. प्राचीन काल में जनमानस की इच्छा के अनुरूप शासन करने के सिद्धांत को तमाम शासकों ने अपनाया. आज से 2600 वर्ष पूर्व हमारे देश में गणतांत्रिक व्यवस्था का चलन शुरू हो चुका था. लिच्छवि राजवंश ने अपने वैशाली साम्राज्य में गणतंत्र को साकार किया. उस दौर में जनता के प्रतिनिधियों से बनी कई समितियां राजसत्ता को निरंकुश नहीं होने देती थीं. 

इन समितियों के सदस्य यह तय करते थे कि राजसत्ता किस तरह से और कौन से फैसले करेगी. गणराज्य के रूप में 73 वर्षों की यात्रा में हमारे देश की उपलब्धियां अनगिनत हैं. भारत एक गरीब राष्ट्र से आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. हमारे अंतरिक्ष यान चांद और मंगल तक पहुंच चुके हैं. 

भारत आज तकनीक की महाशक्ति भी बन गया है

आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ भारत आज तकनीक की महाशक्ति बन चुका है, अनाज के मामले में न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि दूसरे देशों की जरूरतें पूरी करने की स्थिति में भी है. भारत की महिलाएं अपने देश के साथ-साथ दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. 

शिक्षा तथा बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा उद्योग-व्यवसाय के क्षेत्र में भी भारत ऊंची उड़ान भर रहा है. भारत वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास रखता है. कोविड-19 महामारी के दौरान उसने कोविड निरोधक टीकों की जरूरतमंद देशों को आपूर्ति की. यही नहीं, उसने गरीब देशों को अनाज भी सहायता के रूप में भेजा. 

‘गणराज्य’ का पूरा सफर अभी नहीं हुआ है पूरा

तमाम उपलब्धियों तथा कीर्तिमानों के बावजूद अभी भी ‘गणराज्य’ को पूरी तरह साकार करने का सफर पूरा नहीं हुआ है. आर्थिक-सामाजिक असमानता की खाई को पाटना होगा, सांप्रदायिक सद्‌भाव की दीवारों की दरारों को पाटना होगा, कुपोषण, किसान आत्महत्या, दहेज जैसी विषमताओं पर विजय पानी होगी. राह कठिन है लेकिन मंजिल पाना असंभव भी नहीं है. 

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