नई दिल्ली से चीनी राजदूत सन वेइ दोंग की विदाई के समय हमारे विदेश मंत्री जयशंकर और राजदूत सन ने जो बातें कही हैं, उन पर दोनों देशों के नेता और नागरिक भी जरा गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इस 21वीं सदी में दुनिया की शक्ल बदल सकती है। जयशंकर ने कहा है कि यदि आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हितों को ध्यान में रखकर काम किया जाए तो न केवल दोनों देशों का भला होगा बल्कि विश्व राजनीति भी उससे लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव खत्म करने के लिए यह जरूरी है कि सीमा क्षेत्रों में शांति बनी रहे।
जयशंकर के जवाब में बोलते हुए चीनी राजदूत सन ने कहा कि दोनों राष्ट्र पड़ोसी हैं। पड़ोसियों के बीच मतभेद और अनबन कोई अनहोनी बात नहीं है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। चीन और भारत एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं। उन्हें अपने मतभेदों को आपसी संवाद द्वारा समाप्त करना चाहिए। दोनों की शासन-व्यवस्थाओं का चरित्र भिन्न है और दोनों की विकास-प्रक्रिया भी अलग-अलग है लेकिन यदि दोनों राष्ट्र एक-दूसरे का सम्मान करें और उनकी आंतरिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप न करें तो दोनों के संबंध सहज हो सकते हैं।
दोनों राष्ट्रों के संबंधों में इधर जो उतार-चढ़ाव आए हैं, उन्हें दूर करना मुश्किल नहीं है। इन दोनों कूटनीतिज्ञों ने जो कुछ कहा है, उसे कोरी औपचारिकता कहकर दरी के नीचे सरका देना ठीक नहीं है। भारत और चीन को एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी या शत्रु मानकर कुछ शक्तिशाली राष्ट्र फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन भारत उनसे जुड़ने के बावजूद काफी सतर्क है। हमारे विदेश मंत्री जयशंकर चीन में हमारे राजदूत भी रह चुके हैं। ये दोनों महान राष्ट्र मिलकर 21 वीं सदी को एशिया की सदी भी बना सकते हैं।