शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: डिजिटल माध्यमों की भाषा बनती हिंदी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 14, 2019 06:38 AM2019-09-14T06:38:09+5:302019-09-14T06:38:09+5:30
दुनिया भर में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग की वजह से डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ी है. भारत में इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही समाचार पोर्टल और अखबारों के इंटरनेट संस्करण भी बढ़े. सबसे पहले अंग्रेजी के समाचार पोर्टल और अखबारों के इंटरनेट संस्करण ही शुरू हुए थे लेकिन अब यह हिंदी सहित हर भाषा में उपलब्ध हैं.
तकनीक में हिंदी का प्रसार तेजी से बढ़ा है. साथ ही इंटरनेट के बढ़ते उपयोग की वजह से पूरी दुनिया एक ग्लोबल विलेज में तब्दील हो गई है. डिजिटल तकनीक ने विश्वभर में संचार क्रांति में अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया. ऐसे में हिंदी में विज्ञान संचार की काफी संभावनाएं हैं जिससे देश की बहुसंख्य हिंदी आबादी को विज्ञान की समझ उन्हीं की भाषा में दी जा सके. वैज्ञानिक जागरूकता के लिए भी हिंदी काफी प्रभावी रूप में उपयोगी है. ऑनलाइन और डिजिटल संचार माध्यम में निहित अपार संभावनाओं की वजह से यह विज्ञान संचार के किए काफी उपयोगी साबित हो सकती है. डिजिटल माध्यमों के सही उपयोग से युवा वर्ग के बीच विज्ञान का लोकप्रियकरण किया जा सकता है. साथ ही विज्ञान को सरल और सहज तरीके से जनसामान्य तक पहुंचाया जा सकता है.
बाजार शोध एजेंसी कंटर आईएमआरबी के अनुसार देश में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या दहाई अंक की वृद्धि के साथ बढ़कर 2019 के अंत तक 62.70 करोड़ पर पहुंच जाएगी. ग्रामीण क्षेत्नों में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने से पहली बार देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 56.60 करोड़ के पार हो गई है. एजेंसी ने आईक्यूब 2018 रिपोर्ट में कहा कि देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई और ये दिसंबर 2018 तक बढ़कर 56.60 करोड़ पर पहुंच गई. यह कुल आबादी का 40 प्रतिशत है.
दुनिया भर में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग की वजह से डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ी है. भारत में इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही समाचार पोर्टल और अखबारों के इंटरनेट संस्करण भी बढ़े. सबसे पहले अंग्रेजी के समाचार पोर्टल और अखबारों के इंटरनेट संस्करण ही शुरू हुए थे लेकिन अब यह हिंदी सहित हर भाषा में उपलब्ध हैं. सोशल मीडिया के साथ ही यह वेब पोर्टल भी अपना विस्तार कर रहे हैं. समाचार और वेब पोर्टलों की संख्या बढ़ने का एक कारण यह भी है कि इसे बहुत कम जमापूंजी से भी शुरू किया जा सकता है.
अखबार, पत्रिका या टेलीविजन चैनल शुरू करने के लिए बहुत बड़ी पूंजी की जरूरत पड़ती है, प्रकाशन और प्रसार का बहुत बड़ा नेटवर्क खड़ा करना पड़ता है जबकि वेब पोर्टल शुरू करने का खर्च इतना बड़ा नहीं है. ऐसे में इन वेब पोर्टलों, ब्लाग्स या वेबसाइट के माध्यम से हिंदी में विज्ञान संचार सहज और प्रभावी तरीके से किया जा सकता है.
विज्ञान की सरल भाषा के प्रयोग के साथ-साथ आम आदमी की विज्ञान में रुचि को बढ़ाना पड़ेगा और अपने घर परिवार के बच्चों को डिजिटल माध्यम द्वारा हिंदी में विज्ञान संचार तकनीकों की जानकारी देते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना पड़ेगा. विज्ञान संचार के लिए डिजिटल माध्यम के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं लेकिन चुनौतियां भी हैं जिनसे मुकाबला करते हुए इस क्षेत्र को आम आदमी से जोड़ना होगा.