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हरीश गुप्ता का ब्लॉग: संसद के मानसून सत्र में दिल्ली में बड़ी भूमिका निभाते नजर आएंगे शरद पवार, नजर यूपीए अध्यक्ष पद पर भी!

By हरीश गुप्ता | Updated: July 14, 2022 12:44 IST

दिल्ली में ऐसी चर्चा है कि सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहती हैं. ऐसे में वे यूपीए अध्यक्ष पद से भी खुद को अलग कर सकती हैं. इसलिए अब शरद पवार की नजरें यूपीए अध्यक्ष के पद पर लगी हुई हैं.

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महाराष्ट्र का अपना गढ़ खोने के बाद, मराठा क्षत्रप शरद पवार की नजरें अब दिल्ली में यूपीए अध्यक्ष पद पर लगी हुई हैं. दिल्ली में विपक्षी नेताओं के बीच पवार का कद ऊंचा है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहले ही उनसे सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ समन्वय करने का अनुरोध कर चुकी हैं. पवार ने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

दिल्ली में चर्चा है कि सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहती हैं. इसलिए पवार की नजरें यूपीए अध्यक्ष के पद पर लगी हुई हैं, इस उम्मीद में कि सोनिया इस पद को भी छोड़ देंगी. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने शुरुआत में ही पवार को यूपीए का संयोजक बनने के लिए कहा था. पवार तब राजी नहीं हुए थे क्योंकि उनके दिल में महाराष्ट्र बसता है. 

हालांकि वे प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी पार्टियों के बीच समन्वय की भूमिका निभाते रहे हैं. अब संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के साथ, पवार मुंबई के बजाय दिल्ली में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि महाराष्ट्र के वरिष्ठ एनसीपी नेताओं का आग्रह है कि उन्हें एमवीए (महाविकास आघाड़ी) के मामलों में लगातार मार्गदर्शन करते रहना चाहिए. 

आखिरकार, पिछले दो वर्षों से अधिक समय तक पर्दे के पीछे से वे राज्य की सरकार चलाते रहे हैं. लेकिन नाना पटोले के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस उन्हें अपने नेता के रूप में स्वीकारने की इच्छुक नहीं है और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना अस्त-व्यस्त है. विपक्ष के नेता के रूप में अजित पवार मजबूती से जमे हुए हैं और अपने अधिकार भी जताते रहेंगे. 

महाराष्ट्र में भाजपा का मिशन

भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने आधार को बढ़ाने के लिए कांग्रेस सहित अन्य विधायकों के बीच से एक मजबूत मराठा नेता की तलाश में है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 15 विधायकों को लुभाने में उसकी दिलचस्पी नहीं है क्योंकि वह इसे शिवसेना का आंतरिक मामला मानती है. हालांकि कांग्रेस को भाजपा न सिर्फ अन्य राज्यों बल्कि महाराष्ट्र में भी कमजोर  करना चाहती है और मजबूत क्षेत्रीय नेताओं से अलग करना चाहती है.  

भाजपा को अपने पाले में एक मराठा नेता की जरूरत है और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस इस मिशन में लगे हुए हैं. कांग्रेस हाईकमान इससे अवगत है क्योंकि इस नेता का नाम उन सात अनुपस्थित लोगों की सूची में था जिन्होंने क्रॉस वोटिंग की और विश्वास मत पर भी समय पर उपस्थित होने में विफल रहे. कांग्रेस हाईकमान ने कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश के नेतृत्व में इसकी जांच का आदेश दिया है. लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है क्योंकि हाईकमान को उस नेता के बारे में पहले से ही पता है. 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने लोकमत से कहा कि पार्टी के खिलाफ जाने वाले विधायकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने खुलासा किया कि हाईकमान ने राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों से पहले इंग्लैंड के एक विशेषज्ञ की सेवाएं ली थीं और पार्टी के प्रत्येक विधायक के लिए एक विशेष कोड बनाया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘इस कोड की वजह से हाईकमान जानता है कि किसने वोट नहीं किया.’’ इसलिए पार्टी को जांच का आदेश देने के बजाय कार्रवाई करनी चाहिए. 

अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, जीशान सिद्दीकी, राजू आवले, मोहन हम्बर्डे, माधव राव जवलगावकर और शिरीष चौधरी विश्वास मत के दौरान मतदान के लिए भी लेट हुए थे. इन आठ विधायकों में से सात ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी. जबकि तीन विधायकों ने उपस्थित नहीं रह पाने के लिए पहले से अनुमति ली थी.

कौन थे राष्ट्रपति पद के 20 उम्मीदवार!

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 21 जून को देश को बताया था कि पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है. उन्होंने यह भी बताया था कि पार्टी ने इस पद के लिए 20 नामों पर विचार किया था और मुर्मू को उन्हीं में से चुना गया है. हालांकि संसदीय बोर्ड की बैठक में जिन अन्य 19 नामों पर विचार किया गया, उनका खुलासा उन्होंने नहीं किया था. 

पता चला है कि शीर्ष भाजपा नेतृत्व ने जिन अन्य 19 नामों पर विचार किया था उनमें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज सिख नेता प्रकाश सिंह बादल का भी समावेश था. प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार उन्हें भारत का नेल्सन मंडेला कहा था. अकाली दल के नेताओं ने भाजपा को याद दिलाया कि 2014 में भाजपा ने संकेत दिया था कि बादल को शीर्ष पद से नवाजा जा सकता है. 

यह पूछे जाने पर कि उन्हें यह आश्वासन किसने दिया था, उन्होंने एक वरिष्ठ नेता का नाम लिया जो अब दिवंगत हो चुके हैं. बात वहीं खत्म हो गई. एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश के नाम पर भी विचार किया गया था, जिन्हें शायद एक बार यह संकेत दिया गया था कि सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए उनके नाम पर विचार किया जा सकता है. तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और तीन अन्य आदिवासी महिला नेताओं के नाम पर भी विचार किया गया था. 

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी. विद्यासागर राव, जो तेलंगाना से हैं, का नाम भी उन लोगों में शामिल है जिन पर विचार किया गया था. थावरचंद गहलोत व कलराज मिश्र सहित कई राज्यपालों के नामों पर भी उनके व्यापक अनुभव को देखते हुए विचार किया गया था. 

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