ब्लॉग: एनएसई घोटाले में पी. चिदंबरम को अब घेरेगी सीबीआई!

By हरीश गुप्ता | Updated: February 24, 2022 08:03 IST2022-02-24T08:02:38+5:302022-02-24T08:03:07+5:30

एनएसई का रोजाना टर्नओवर 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. इसमें कोई भी हेराफेरी तबाही मचा सकती है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर शिकंजा कसने के लिए बेताब है.

Harish Gupta Blog: P. Chidambaram now on radar of CBI in NSE scam | ब्लॉग: एनएसई घोटाले में पी. चिदंबरम को अब घेरेगी सीबीआई!

एनएसई घोटाले में पी. चिदंबरम को अब घेरेगी सीबीआई! (फाइल फोटो)

शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले पांच करोड़ से अधिक निवेशकों के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है क्योंकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर एक और घोटाले की छाया पड़ रही है. मोदी सरकार पांच साल से अधिक समय के बाद इस संबंध में सक्रिय हुई है और अब सीबीआई और आयकर विभाग यह पता लगाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं कि 2004 से एनएसई में क्या गलत हुआ, किसने स्टॉक एक्सचेंज में भारी मुनाफा कमाने के लिए चालाकी से हेरफेर किया और सेबी ने अपनी जांच पूरी करने में पांच साल क्यों लगाए. सीबीआई सेबी के आकाओं के आचरण पर भी नजर रख रही है. 

हैरानी की बात यह है कि मोदी सरकार ने पिछले सात वर्षो के दौरान सेबी के दो चेयरमैन नियुक्त किए. सीबीआई मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मार्केट में हेरफेर किसने किया. आखिरकार एनएसई का रोजाना टर्नओवर 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है और इसमें कोई भी हेराफेरी तबाही मचा सकती है. 

यह कोई रहस्य नहीं है कि कई कॉरपोरेट घरानों और व्यक्तियों ने हेरफेर करके शेयर बाजार में भारी मुनाफा कमाने के लिए सेबी, एनएसई और अन्य संस्थानों पर अपने प्रभाव का उपयोग किया है. मोदी सरकार ने भी पहले इस मामले में अनदेखी की लेकिन अब सक्रिय हो गई है. संकेतों के मुताबिक, मोदी सरकार अब पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर शिकंजा कसने के लिए बेताब है, जिन्होंने 2004-2014 के बीच नॉर्थ ब्लॉक में लगभग सात साल तक यूपीए शासन के दौरान मामले को देखा. 

मोदी सरकार लंबे समय से उन पर अंकुश लगाने की इच्छुक रही है लेकिन किसी न किसी कारण से उन पर हाथ नहीं उठा सकी. हालांकि, अब उसे लगता है कि एनएसई घोटाले के रूप में उसे आसान मुद्दा मिल गया है. सरकार की सोच का एक सुराग खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस दिन दिया जब उन्होंने शिकायत की कि तत्कालीन प्रधानमंत्री (डॉ. मनमोहन सिंह) ने अपने ही वित्त मंत्री से सवाल नहीं किया कि एनएसई में क्या हो रहा है. एनएसई में घोटाले के मुद्दे को टालते हुए उन्होंने कहा कि इसका पता एजेंसियों को लगाना है.  

रहस्यमय योगी कौन?

सीबीआई यह पता लगाने के लिए माथापच्ची कर रही है कि रहस्यमय हिमालयी योगी कौन है जिसने चित्र रामकृष्ण का उस समय मार्गदर्शन किया जब वे एनएसई में एमडी और सीईओ थीं. सेबी के जांचकर्ताओं ने हिमालयी योगी की पहचान जानने के लिए इस मामले की पांच साल तक जांच की और चित्र से पूछताछ भी की. लेकिन उन्होंने कहा कि वे केवल ईमेल के माध्यम से मार्गदर्शन के लिए योगी से बातचीत करती थीं. 

यहां तक कि जब आयकर और सीबीआई के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते उन पर छापा मारा, तब भी उन्होंने कुछ बताने से इनकार कर दिया. सीबीआई द्वारा काफी मशक्कत करने के बाद, उन्होंने कबूल किया कि वह गंगा के किनारे और दिल्ली के स्वामीमलाई मंदिर में योगी से व्यक्तिगत रूप से मिली थीं. 

सीबीआई का मानना है कि योगी कोई और नहीं बल्कि एनएसई में भारी मुनाफा कमाने के लिए शेयर बाजार में हेरफेर करने वाला व्यक्ति है. मुंबई में चित्र के चेंबूर स्थित आवास पर छापा मारने वाली सीबीआई हिमालयी बाबा की पहचान जानने के लिए बेताब थी, जिसके साथ उन्होंने कई कोड-वर्ड वाले ईमेल का आदान-प्रदान किया. 

माना जाता है कि योगी ने एनएसई के फैसले को प्रभावित किया, जिसका व्यापक वित्तीय प्रभाव पड़ा. भाजपा का आधिकारिक बयान इस घोटाले के पीछे छिपे राजनीतिक हाथ की ओर भी इशारा करता है. इसमें कहा गया है कि चित्र रामकृष्ण की ‘योगी’ थ्योरी यूपीए शासन के तहत वित्त मंत्रलय के कुछ शीर्ष अधिकारियों को बचाने की एक चाल है.

भाजपा का मानना है कि 2011-2013 के दौरान, एक शीर्ष केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के बेटे ने एनएसई के माध्यम से मार्केट में हेरफेर किया. लेकिन ये केवल अटकलें हैं क्योंकि जांच के दौरान अब तक कुछ भी सामने नहीं आया है.

चित्र ने किया हैरान

चित्र रामकृष्ण का मामला इस मायने में चौंकाने वाला है कि उन्हें दिसंबर 2016 में एनएसई बोर्ड द्वारा सम्मानजनक विदाई दी गई थी, जबकि सरकार और सेबी को पता था कि वहां क्या हो रहा था. जब सेबी ने जांच शुरू की जिसमें पांच साल लग गए तो वित्त मंत्रलय ने इसकी अनदेखी की. सेबी के आकाओं ने सोचा कि उन पर और अन्य पर 3 करोड़ रु. का जुर्माना लगाने से योगी गाथा का अंत हो जाएगा. लेकिन वे गलत थे क्योंकि किसी ने पीएमओ को सतर्क कर दिया और उसके बाद सब गड़बड़ हो गया. 

अब सेबी कह रही है कि उसके पास आपराधिक दंडात्मक शक्तियां या उसके अधीन कोई जांच एजेंसी नहीं है. हैरान करने वाला सवाल यह है कि चित्र क्यों सोची-समझी चुप्पी साधे हुए हैं या कौन उनकी रक्षा कर रहा है. पता चला है कि सीबीआई ने उन्हें मामले में सरकारी गवाह बनाने की पेशकश की है. इससे ताकतवर लोगों के साथ उनके संबंधों की जानकारी मिल सकेगी, क्योंकि सीबीआई द्वारा उन पर शिकंजा कसते ही वे कुछ शक्तिशाली कंपनियों के बोर्ड से बाहर हो गई थीं.

Web Title: Harish Gupta Blog: P. Chidambaram now on radar of CBI in NSE scam

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