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Happy Chhath Puja 2024: प्रदूषित यमुना में कैसे मनाएं छठ पर्व? 

By अवधेश कुमार | Updated: November 6, 2024 17:57 IST

Happy Chhath Puja 2024: यमुना की कुल लंबाई 1370 किलोमीटर के दो प्रतिशत से भी कम है. यमुना के पूरे कचरे, मल, गंदगी या प्रदूषण में 80 प्रतिशत अंशदान दिल्ली का है.

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ठळक मुद्देक्या दिल्ली के लोगों के लिए यह शर्म से डूब मरने वाली बात नहीं होनी चाहिए?सरकारों में यमुना की शुद्धता के लिए धन आवंटित करने निर्गत करने में कोई कंजूसी की है.8000 से 9000 करोड़ रुपए खर्च करने का आंकड़ा हमारे पास आ रहा है.

Happy Chhath Puja 2024: जब भी छठ पर्व आता है वर्ष में एक बार दिल्ली में प्रदूषित यमुना, जहरीले तत्वों से भरी हुई यमुना को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाता है. हालांकि इससे हमारे बीच यमुना मैया की दुखद सच्चाई सामने आ जाती है. पर हर अगले वर्ष छठ के समय यही स्थिति हम देखते आ रहे हैं. दिल्ली में यमुना की लंबाई 22 किलोमीटर है. यह यमुना की कुल लंबाई 1370 किलोमीटर के दो प्रतिशत से भी कम है. यमुना के पूरे कचरे, मल, गंदगी या प्रदूषण में 80 प्रतिशत अंशदान दिल्ली का है.

क्या दिल्ली के लोगों के लिए यह शर्म से डूब मरने वाली बात नहीं होनी चाहिए? ऐसा भी नहीं है की सरकारों में यमुना की शुद्धता के लिए धन आवंटित करने निर्गत करने में कोई कंजूसी की है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी या डीपीसीसी से इस दो प्रतिशत भाग के शुद्धिकरण के लिए 8000 से 9000 करोड़ रुपए खर्च करने का आंकड़ा हमारे पास आ रहा है.

इसमें सबसे बड़ा भाग दिल्ली की यमुना में गिरने वाले गंदे पानी के शोध पर खर्च किया जाना था. 2015 से 2023 की पहली छमाही तक केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड को लगभग 1200 करोड़ रुपए दिए. इसमें नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा या स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपए और यमुना एक्शन प्लान-3 के अंतर्गत 200 करोड़ रुपए थे.

जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसने 11 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार को  2361.08 करोड़ रुपए दिया था. इसका उपयोग यमुना में गिरने वाले गंदे जल को शोधित करने के लिए एसटीपी का निर्माण और संचालन किए जाने पर होना था. नमामि गंगे योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने 4290 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की थी.

इस धनराशि से भी यमुना में गिरने वाले गंदे जल को ट्रीट कर शुद्ध करने के लिए 23 परियोजनाओं पर काम किया जाना था. इसकी कुल क्षमता 1840 एमएलडी थी. इनमें 12 परियोजनाएं राजधानी दिल्ली में ही थीं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में एक, हरियाणा में दो और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाने थे.

यमुना के साफ न हो पाने के तीन कारण बहुत स्पष्ट हैं. केंद्र-राज्य सरकारों के द्वारा दिल्ली में पैदा हो रहे गंदे जल का पूर्ण शोधन न किया जाना और इसको यमुना में गिराया जाना यमुना की गंदगी का सबसे बड़ा कारण है. यदि एसटीपी बनाकर दिल्ली राजधानी क्षेत्र में पैदा हो रहे गंदे जल का शोधन कर इसे यमुना में गिराया जाए तो इसे गंदा होने से बचाया जा सकता है.

पूरी दिल्ली में जगह-जगह पर फैक्ट्रियां लगी हुई हैं. इनमें कपड़ों पर रंग चढ़ाने का काम भी होता है. कई अन्य फैक्ट्रियों में रसायनों का निर्माण होता है, लेकिन खतरनाक रसायनों को बिना शोधन किए सीधे यमुना में गिरा देना, इसे रोकने के लिए कोई उपयुक्त मैकेनिज्म का न होना इसकी गंदगी का सबसे बड़ा कारण है.

टॅग्स :छठ पूजादिल्ली सरकारYamuna Yatra
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