ब्लॉग: गुजरात, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में भाजपा, आप और कांग्रेस-तीनों पार्टियां गदगद पर तीनों को सबक
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 9, 2022 01:18 PM2022-12-09T13:18:54+5:302022-12-09T13:23:04+5:30
गुजरात में भाजपा ने इतिहास रचा तो कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में रिवाज को बरकरार रखने में कामयाब हासिल की। दिल्ली एमसीडी चुनाव में आप आदमी पार्टी ने जीत हासिल की। ऐसे में तीनों पार्टियों के लिए खुश होने की वजह है, साथ ही इनके लिे सबक भी हैं।
गुजरात, दिल्ली और हिमाचल के चुनाव परिणामों का सबक क्या है? दिल्ली और हिमाचल में भाजपा हार गई है और गुजरात में उसकी ऐतिहासिक विजय हुई है. हमारी इस चुनाव-चर्चा के केंद्र में तीन पार्टियां हैं- भाजपा, कांग्रेस और आप. इन तीनों पार्टियों के हाथ एक-एक प्रांत लग गया है.
दिल्ली का चुनाव तो स्थानीय था लेकिन इसका महत्व प्रांतीय ही है. दिल्ली का यह स्थानीय चुनाव प्रांतीय आईने से कम नहीं है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी को भाजपा के मुकाबले ज्यादा सीटें जरूर मिली हैं लेकिन उसकी विजय को चमत्कारी नहीं कहा जा सकता है. भाजपा के वोट पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़े हैं लेकिन आप के घटे हैं.
आप के मंत्रियों पर लगे आरोपों ने उसके आकाशी इरादों पर पानी फेर दिया है. भाजपा ने यदि सकारात्मक प्रचार किया होता और वैकल्पिक सपने पेश किए होते तो उसे शायद ज्यादा सीटें मिल जातीं.
भाजपा ने तीनों स्थानीय निगमों को मिलाकर सारी दिल्ली का एक स्थानीय प्रशासन लाने की कोशिश इसीलिए की थी कि अरविंद केजरीवाल के टक्कर में वह अपने एक मजबूत महापौर को खड़ा कर दे. भाजपा की यह रणनीति असफल हो गई है. कांग्रेस का सूपड़ा दिल्ली और गुजरात, दोनों में ही साफ हो गया है.
गुजरात में कांग्रेस दूसरी पार्टी बनकर उभरेगी, यह तो लग रहा था लेकिन वह इतनी दुर्दशा को प्राप्त होगी, इसकी भाजपा को भी कल्पना नहीं थी.
दिल्ली और हिमाचल में भाजपा की हार के असली कारण स्थानीय ही हैं. मोदी को कांग्रेस जरूर चुनौती देना चाहती है लेकिन उसके पास न तो कोई नेता है और न ही नीति है.
हिमाचल में उसकी सफलता का असली कारण तो भाजपा के आंतरिक विवाद और शिथिल शासन है. जब तक सारे प्रमुख विरोधी दल एक नहीं होते, 2024 में मोदी को कोई चुनौती दिखाई नहीं पड़ती. इन तीनों चुनावों ने तीनों पार्टियों को गद्गद् भी किया है और तीनों को सबक भी सिखा दिया है.