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गौरीशंकर राजहंस का नजरियाः इमरान और पाकिस्तान की सियासत

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 12, 2018 19:37 IST

इमरान खान के वक्तव्यों से ऐसा लग रहा है कि निकट भविष्य में भारत के साथ वे मधुर संबंध बनाने की कोई पहल नहीं करेंगे

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गौरीशंकर राजहंसपूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत

जैसी कि उम्मीद थी, सेना की मदद से इमरान खान की अपनी पार्टी ‘पीटीआई’ ने पाकिस्तान में जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद इमरान खान ने पाकिस्तान की जनता को रेडियो और टीवी पर संबोधित करते हुए कहा कि उनका सपना है ‘एक नया पाकिस्तान’ बनाने का। अपने संबोधन में उन्होंने जमकर चीन की तारीफ की और भारत को कोई खास तवज्जो नहीं दिया। भारत के बारे में बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि भारत के साथ संबंध तभी सुधर सकते हैं जब मूल समस्या ‘कश्मीर’ का समाधान हो।

इमरान खान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान से मधुर संबंध बनाना चाहता है परंतु सच यह है कि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान में अराजकता का माहौल बनाने में पूरी तरह सक्रिय है। ऐसी हालत में इमरान खान की बातों पर दुनिया कैसे विश्वास करेगी? पाकिस्तान की सेना ने अपने अनुभव से पाया है कि यदि पर्दे के पीछे रहकर काम चलाया जा सकता हो तो प्रत्यक्ष रूप से शासन की कमान अपने हाथ में क्यों ली जाए? इस काम के लिए उन्हें कठपुतली के रूप में इमरान खान उचित लगे।

प्रश्न यह है कि क्या इमरान भारत के साथ संबंधों को मजबूत करेंगे? इमरान ने पाकिस्तान से गरीबी हटाने, प्रधानमंत्री आवास समेत बड़े सरकारी बंगलों को जनता की भलाई के लिए समर्पित करने का वादा किया है। अमेरिका के बारे में इमरान ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध दोतरफा होने चाहिए जिससे द्विपक्षीय फायदा हो। अब तक ये रिश्ते एकतरफा रहे हैं। अमेरिका यह चाहता है कि आर्थिक मदद के बदले हम अमेरिका की लड़ाई लड़ें। मैं यह चाहता हूं कि दोनों देशों का फायदा हो।

पाकिस्तान की आर्थिक हालत अत्यंत नाजुक है। संसार की बड़ी मुद्रा की तुलना में पाकिस्तान की मुद्रा  की कीमत प्रतिदिन गिरती जा रही है। आज पाकिस्तान में जितनी बेरोजगारी है उतनी पहले कभी नहीं थी। पाकिस्तान के अस्पतालों की हालत नारकीय है। बिजली की व्यवस्था अत्यंत ही दयनीय है। ऐसी हालत में इमरान खान केवल सेना का मुंह ताकेंगे और सेना चाहती है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने में चीन की भरपूर मदद ली जाए। चीन ने वायदा भी किया है कि यदि अमेरिका और दूसरे देश पाकिस्तान की मदद को नकार देंगे तो चीन तुरंत उसकी मदद के लिए आगे आ जाएगा। परंतु इतिहास गवाह है कि जब चीन किसी की मदद करता है तो वह उसकी पूरी कीमत वसूलता है। 

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