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किल्लत से बचने के लिए जरूरी है ऊर्जा संरक्षण

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: December 13, 2025 08:01 IST

इनसे ऊर्जा-सुरक्षा, विकास के टिकाऊपन और पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं जन्म ले रही हैं.

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ऊर्जा के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती.   सामान्यत: अदृश्य सी रहने वाली ऊर्जा हमारे दृश्य जगत को रचते हुए हर जगह हावी है. ऊर्जा के नए-नए स्रोत खोजे जाते रहे हैं जो आणविक ऊर्जा तक पहुंचे हैं. दरअसल आधुनिक जीवनशैली, पारिस्थितिकी, प्रदूषण और ऊर्जा के उपयोग के प्रश्न आपस में बुरी तरह गुंथे हुए हैं.  विकास के साथ प्रतिव्यक्ति ऊर्जा की मांग बढ़ रही है. समृद्ध देशों में जीवन स्तर को उन्नत रखने के लिए अधिकाधिक ऊर्जा चाहिए, उभरते देशों में कृषि अर्थव्यवस्था से औद्योगिक व्यवस्था की तरफ आगे बढ़ने में भी ऊर्जा चाहिए.  

भारत की विशाल जनसंख्या और आर्थिक गतिविधि में तेजी के कारण यहां ऊर्जा की मांग निरंतर बढ़ रही है. आज भारत विश्व में ऊर्जा की खपत की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है. परंतु हमारा बुनियादी ढांचा कमजोर पड़ रहा है जिसके चलते बिजली की आपूर्ति में बड़ी बाधा पहुंचती है. यह भी गौरतलब है कि जीवाश्म ऊर्जा (फॉसिल फ्यूल) के अत्यधिक उपयोग से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा भी तेजी से बढ़ रही है. इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. भारत की ऊर्जा मुख्यतया जीवाश्म ईंधन यानी कोयला, तेल तथा गैस से उपलब्ध होती है. आज देश में बिजली उत्पादन का 70 प्रतिशत कोयले पर टिका है.  

आयात और घरेलू आपूर्ति में कमी के चलते यह अब महंगा पड़ रहा है. इस पर निर्भरता, ऊर्जा की बढ़ती मांग, अन्य देशों पर निर्भरता, पुराने किस्म का ढांचा और नवीकरण की संभावना वाले ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में धीमी गति ने देश के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. इनसे ऊर्जा-सुरक्षा, विकास के टिकाऊपन और पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं जन्म ले रही हैं.  सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में निवेश तो बढ़ा है, फिर भी कच्चे तेल और कोयले के आयात के कारण आर्थिक दबाव बहुत ज्यादा बना हुआ है. आज आवश्यकता है कि नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार हो और ऊर्जा का कुशल उपयोग किया जाए.

विशेषज्ञों के अनुसार वैश्विक स्तर पर ऊर्जा समस्या अगले सौ वर्षों में मानवता की शीर्ष दस समस्याओं में से एक गंभीर समस्या बनेगी. नवीकरणीय ऊर्जा समस्या से निपटने की एक अच्छी युक्ति है. सौर ऊर्जा मानव जाति की सभी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त भी है.  इस विशाल ऊर्जा स्रोत का दोहन एक समाधान है. कम खर्चीले और प्रदूषणमुक्त ऊर्जा स्रोतों की खोज जारी है. हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा के उपयोग की दिशा में प्रगति हुई है.

ऊर्जा संकट का एक व्यावहारिक पक्ष भी है. इस संकट का समाधान ऊर्जा-संरक्षण के लिए जरूरी अभ्यास की अपेक्षा करता है. आदतों में बदलाव द्वारा ऊर्जा के उपभोग में कमी लाकर ऊर्जा के दुरुपयोग को नियंत्रित और कम किया जा सकता है.  इस दृष्टि से विभिन्न कार्यों के लिए कम ऊर्जा की खपत वाली ऊर्जा-सक्षम तकनीकों का अवलंबन भी कारगर साबित होगा

टॅग्स :Energy DepartmentIndia
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