कोविड-19 महामारी तो दम तोड़ चुकी है लेकिन उसका खात्मा करने में मददगार कोविशील्ड वैक्सीन अनचाहे कारणों से चर्चा में है। जिस वैक्सीन ने इस भयानक महामारी से करोड़ों लोगों की जान बचाई, उसी को लेकर संदेह खड़े किए जाने लगे हैं। यह आशंका पैदा हो रही है कि कोविड महामारी के बाद हार्टअटैक और ब्रेन हैमरेज से जो मौतें हुई हैं, उसके लिए वैक्सीन के साइड इफेक्ट ही जिम्मेदार हैं। कम उम्र में कोरोना काल के बाद दिल की बीमारी या मस्तिष्काघात से लोगों की मौत से यह आशंका ज्यादा बलवती हो गई है।
वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के ताजा खुलासे से कोरोना की वैक्सीन लेने वालों के मन में अनावश्यक डर पैदा हो गया है। वैक्सीन निर्माता कंपनी ने ब्रिटिश अदालत में माना कि कोविशील्ड के कारण दुर्लभ मामलों में हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। इससे प्लेटलेट काउंट भी कम हो सकते हैं. दुनिया के अन्य देशों की तरह 2020 से 2022 की शुरुआत तक कोविड-19 महामारी ने अकल्पनीय विनाश लीला रची। करोड़ों लोग इसकी चपेट में आए और लाखों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। जब इस महामारी का पता चला, तब इसकी कोई दवा उपलब्ध नहीं थी।
प्रयोग के तौर पर विभिन्न एंटीबायोटिक्स तथा अन्य दवाओं का चिकित्सकों ने इस्तेमाल किया, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिला. यह महामारी अप्रत्याशित थी। इसकी विकरालता से चिंता पैदा हो गई थी। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर वैक्सीन तैयार की, जो कोरोना को नियंत्रित करने में काफी हद तक कारगर साबित हुई। भारत में दो वैक्सीन लगाई गईं। वे थीं कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन।
दोनों ने भारत में इस महामारी को नियंत्रित करने में असरदार भूमिका अदा की। कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में ही चला। वैक्सीन को लेकर बीच-बीच में शंकाएं जरूर पैदा करने की कोशिश की गईं कि इससे हृदय, मस्तिष्क, अस्थि, स्नायु तथा त्वचा एवं आंखों से जुड़े विभिन्न रोग होते हैं। उस दौर में दिल के दौरे से कुछ युवाओं की मौत, कम उम्र के कुछ लोगों को ब्रेन हैमरेज, बालों के झड़ने, त्वचा में इंफेक्शन, आंखों की बीमारी, म्यूकोरमाइकोसिस के मामले सामने आने से वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर नकारात्मक चर्चाएं चलने लगीं। लेकिन उस वक्त भी दवा कंपनियों तथा चिकित्सकों ने दुष्प्रचारों का जोरदार खंडन किया। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि प्रत्येक दवा के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। लेकिन वे दुर्लभ मामलों में पाए जाते हैं।
यह सोचना भी हास्यास्पद होगा कि दवाएं मनुष्य के जीवन से खिलवाड़ करती हैं। जिन दवाओं को लेकर जरा सी भी शंका होती है, उन्हें बाजार से तुरंत हटा लिया जाता है। जहां तक कोविशील्ड का सवाल है, ब्रिटिश निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका तथा भारत में उसका उत्पादन करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ने शुरुआती दौर में ही दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट की बात कही थी। वैक्सीन निर्माताओं ने कुछ छुपाया नहीं था। लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर मुकदमों का सामना कर रही एस्ट्राजेनेका के अदालत में हार्टअटैक तथा ब्रेन हैमरेज जैसे साइड इफेक्ट्स स्वीकार करने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है।
वैक्सीन लेने वाले लोग भयभीत होने लगे हैं। लेकिन आशंकाएं दूर करने के लिए चिकित्सक फिर सामने आए हैं। उनका कहना है कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने पर दस लाख में से सात लोगों को ही हार्टअटैक या ब्रेन हैमरेज हो सकता है। साइड इफेक्ट भी टीका लगवाने के तीन से चार हफ्तों के भीतर ही हो सकते हैं। टीका लगवाए अब ढाई साल से ज्यादा का समय हो गया है। अब उससे कोई दुष्परिणाम होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। वैज्ञानिकों की मेहनत ने कई गंभीर बीमारियों को खत्म या नियंत्रित किया है। कोविड-19 उसका ताजा उदाहरण है। कोविशील्ड ने करोड़ों लोगों की जान बचाई। अत: उसकी उपयोगिता को लेकर किसी भी प्रकार का डर पैदा नहीं होना चाहिए।