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विवेक शुक्ला का ब्लॉग: सरदार पटेल की सीख पर चलकर आगे बढ़ते सरकारी कर्मचारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 21, 2020 14:34 IST

कोरोना लॉकडाउन केबीच कई ऐसी खबरें आती हैं, जिसने इस जंग के लिए लोगों का उत्साह बढ़ाया तो वहीं, कुछ खबरों ने परेशान भी किया।

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रहस्यमयी कोरोना वायरस को मात देने के लिए लड़ रहे सरकारी कर्मचारियों को सरदार वल्लभभाई पटेल की सीख आजकल हर वक्त प्रेरित कर रही होगी. उन्होंने 21 अप्रैल, 1947 को दिल्ली के मेटकाफ हाउस में आजाद होने जा रहे देश की पहले बैच के आईएएस और आईपीएस अफसरों को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्हें ‘‘स्वतंत्र भारत में जनता के सवालों को लेकर गंभीरता और सहानुभूति का भाव रखना होगा.’’ इसके साथ ही सरदार पटेल ने उन कर्मचारियों को स्वराज व सुराज का भी अंतर समझाया था.

निश्चित रूप से सरकारी कर्मचारियों को गवर्नेंस का जो मूल मंत्र दिया गया था उसका आजकल कोरोना वायरस से लड़ने के दौरान सरकारी कर्मचारी शानदार उदाहरण पेश कर रहे हैं. सारी धरती पर आए संकट से दुनिया घुटनों पर आ गई है. संकट गहरा है. इससे निकलना अभी बाकी है. 

वैसे तो छोटे-बड़े पदों पर आसीन सरकारी कर्मी आपात कालीन परिस्थितियों में अपने दायित्वों का निर्वाह करते हैं लेकिन सरकार ने कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने के लिए जिस अखिल भारतीय लॉकडाउन को लागू कर रखा है, उसे लागू तो सरकारी कर्मचारी ही करा रहे हैं. अगर ये न हों या ये काहिली का परिचय दे रहे हों तो लॉकडाउन फेल हो जाए. कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो देशभर में लॉकडाउन का कमोबेश सही से पालन हो रहा है. 

इसलिए जरूरी है कि आज 21 अप्रैल को लोक सेवक दिवस पर उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले सरकारी मुलाजिमों की चर्चा हो. आज के दिन अखिल भारतीय सेवाओं के विभिन्न अधिकारियों को उनकी सर्वश्रेष्ठ सेवा के लिए सम्मानित किया जाता है. दरअसल कोरोना वायरस से लड़ाई के दौरान हमारे सामने बहुत से योद्धा आ रहे हैं. इनकी वीरता और कर्तव्य परायणता की कहानियां सुनकर कोई भी प्रेरित हुए बिना नहीं रह सकता. इनका नाम इतिहास में दर्ज होगा. 

इनमें से कुछ शहीद भी हो चुके हैं. पंजाब पुलिस के एसीपी अनिल कोहली की कोरोना से लड़ते हुए मौत हो गई है. वे 13 अप्रैल को कोरोना पॉजीटिव पाए गए थे. इसके पहले एक और अधिकारी गुरमैल सिंह की मौत हो गई. इंदौर में भी एक कोरोना वीर पुलिस अफसर की मौत हो गई है. आम तौर पर जनता पुलिस को लेकर सिर्फ शिकायत करती है, हम उनकी परेशानियों पर कभी बात नहीं करते. देश याद रखे कि कोरोना के खिलाफ जंग पुलिस बेहद कम संसाधनों के साथ लड़ रही है. हरेक पुलिस वाला आजकल 12-14 घंटे सड़कों पर गुजारता है.

हाल ही में गुजरात से खबर आई थी कि राज्य के वलसाड़ जिले के कलेक्टर सीआर खरसाण की मां का निधन हुआ. वे तुरंत गाड़ी लेकर निकल पड़े पांच सौ किलोमीटर दूर अपने गांव. घर पहुंचे. 15 अप्रैल को शाम तीन बजे तक अंतिम संस्कार करते हैं. फिर वापस पांच सौ किमी दूर ड्यूटी वाले जिले रवाना हो जाते हैं. 16 अप्रैल को फिर से काम पर आ जाते हैं. कहा मिलेंगे इस तरह के कर्मयोगी अफसर. पटियाला में कुछ निहंगों ने एक पुलिस अधिकारी का तलवार से सिर्फ इसलिए हाथ काट दिया क्योंकि उसने इन  निहंगों को लॉकडाउन में सड़कों पर आने से रोका था. 

सुखद है कि उस अधिकारी का हाथ फिर से चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल के डॉक्टरों ने जोड़ दिया है. उधर, उत्तर प्रदेश की पीतल नगरी मुरादाबाद में डॉक्टरों की टीम पर पथराव किए गए. उनका दोष इतना था कि वे पत्थर फेंकने वालों के स्वास्थ्य की जांच के लिए गए थे. पत्थर फेंकने वालों ने पुलिस सिपाहियों को भी नहीं छोड़ा.

डॉक्टर हों या कोई और सरकारी बाबू, वे हमें सुरक्षा देने के लिए खुद की जान खतरे में डाल रहे हैं. मान लें कि जो भी घर से बाहर है, उसकी जान खतरे में है. कौन इस भयानक महामारी की चपेट में  आ जाए, कोई नहीं जानता. अब समझ लें कि ये सरकारी मुलाजिम कितना बड़ा रोल अदा कर रहे हैं.

आज जब सारा प्राइवेट सेक्टर वर्क फ्रॉम होम कर रहा है, तब सरकारी मुलाजिम रणभूमि पर दिन-रात डटे हुए हैं. ये मानना होगा कि इन निष्ठावान और मेहनती कर्मचारियों की वजह से ही सरकारी योजनाएं तथा कार्यक्रम लागू हो पाते हैं. ये भ्रष्ट लोगों के हमेशा ही निशाने पर रहते हैं. शुरू से ही हमारे यहां एक से बढ़कर एक कुशल और मेहनती सरकारी कर्मचारी रहे हैं जो दिन-रात काम करते हैं. ये किसी लाभ के लिए नहीं, देश के हित में काम करते हैं.

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