राज्य में बारह साल के एक बच्चे को वार्षिक 30 हजार रुपए में बंधुआ मजदूरी के लिए बेचे जाने का मामला सामने आया है। इसके अलावा 24 नाबालिग आदिवासी बच्चों को बंधुआ मजदूरी करते हुए भी पाया गया। बच्चों को मुक्त कराकर सभी मामले दर्ज कर लिए गए हैं। हाल के कुछ दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन गरीबी अभी भी बड़े स्तर पर व्याप्त है और समय-समय पर इस तरह के समाचार हमारे निगरानी तंत्र पर सवाल उठाते हैं।
आखिर हम इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त क्यों नहीं कर पा रहे हैं? पिछले कुछ सालों से बाल श्रमिकों की दर में कमी तो आई है। इसके बावजूद बच्चों को कुछ कठिन कार्यों में अभी भी लगाया जा रहा है. विभिन्न उद्योगों में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा जा सकता है। वे ईंट भट्ठों पर काम करते हैं, गलीचे बुनते हैं, घरेलू कामकाज करते हैं और खानपान की सेवाएं भी देते दिखाई पड़ जाते हैं।
इसके अलावा बच्चों का और भी कई तरह के शोषण का शिकार होने का खतरा बना रहता है जिसमें यौन उत्पीड़न तथा ऑनलाइन और अन्य चाइल्ड पोर्नोग्राफी शामिल है। वैसे, बाल मजदूरी और शोषण की मुख्य वजह गरीबी ही है. बच्चों की बदहाली केवल भारत में ही नहीं है. दुनियाभर में प्रत्येक 10 बच्चों में से एक बच्चा बाल मजदूर है। सब जानते हैं कि बच्चों का काम स्कूल जाना है, न कि मजदूरी करना। बाल मजदूरी बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेती है और वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
आए दिन बाल मजदूरी और बच्चों के शोषण के समाचार यह भी बताते हैं कि बाल श्रम को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से नीतियों और कानूनों में संशोधन करना होगा। बच्चों के शोषण के खिलाफ मुकदमा चलाना और अन्य कार्रवाई करना आसान बनाना होगा। बच्चों को अवैध रूप से काम पर रखने के लिए दंड को और अधिक कठोर बनाना होगा ताकि अधिक से अधिक रोकथाम हो सके।
उल्लंघन के लिए जुर्माने को बहुत अधिक बढ़ाना होगा। साथ ही बाल श्रम अपराधों के लिए दोषियों को कठोरतम सजा का प्रावधान करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे गरीब परिवारों की आय बढ़ाने के उपाय भी किए जाने चाहिए।
हमने वर्ष 2025 तक बाल श्रम को समाप्त करने और 2030 तक बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करना कठिन चुनौती तो है, लेकिन यदि निगरानी तंत्र को सुदृढ़ बनाया जाए तो इस सामाजिक बुराई का उन्मूलन किया जा सकता है।