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सुरक्षित हवाई यात्रा के लिए बदलनी होगी व्यवस्था?, विमान की बदहाली की पोल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 3, 2025 05:51 IST

Boeing 787-8 Dreamliner: मृतकों के शोकाकुल परिजन शवों की तस्वीरों और अनुत्तरित प्रश्नों के साथ एक से दूसरे मुर्दाघर में दौड़ रहे थे.

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ठळक मुद्देसंकट के समय मदद करने के लिए कोई टीम नहीं थी. शायद ही केंद्रीय स्तर की कोई हेल्पलाइन थी.संसाधनों में 91 फीसदी कटौती की गई है.

Boeing 787-8 Dreamliner: 12 जून को 230 सवारियों वाली एयर इंडिया की उड़ान संख्या 171 ने अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरी. तीस सेकंड बाद बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिर पड़ा. उस हादसे को रोका जा सकता था. दुर्घटना ने उस विमान की बदहाली की पोल तो खोली ही, विमानन क्षेत्र से जुड़े पूरे तंत्र में व्याप्त सड़ांध को भी उजागर कर दिया. किसी भी लोकतंत्र में ऐसे हादसे जागने का अवसर होते हैं. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. इसके बजाय मृतकों के शोकाकुल परिजन शवों की तस्वीरों और अनुत्तरित प्रश्नों के साथ एक से दूसरे मुर्दाघर में दौड़ रहे थे.

संकट के समय मदद करने के लिए कोई टीम नहीं थी. शायद ही केंद्रीय स्तर की कोई हेल्पलाइन थी, जबकि उसका होना अनिवार्य था. भारत का तथाकथित विमानन विनियामक फंड और संसाधन की कमी के साथ राजनीतिक अंकुश से जूझ रहा है. इसमें 53 फीसदी पद खाली हैं, जबकि संसाधनों में 91 फीसदी कटौती की गई है.

नींद से जागकर 24 जून को उसने जो जांच रिपोर्ट जारी की, वह डरावने उपन्यास की तरह लगता था. उसने रिपोर्ट में व्यवहार के अयोग्य बैगेज ट्रॉली, गलत ढंग से रखे लाइफ वेस्ट्स, रखरखाव के प्रोटोकॉल की अनदेखी, लगातार होने वाली तकनीकी चूक आदि का जिक्र किया है. डीजीसीए ने इन कमियों पर क्या रुख दिखाया? उसने एक प्रेस रिलीज जारी की, अपनी पीठ थपथपाई, फिर लंबी नींद में सो गया.

भारत बड़े विमानन बाजार वाला इकलौता देश है, जिसके पास वैधानिक रूप से और स्वतंत्र विनियामक नहीं है. ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और पड़ोसी नेपाल तक में ऐसे स्वतंत्र निकाय हैं, जिन्हें विमानों पर उड़ान प्रतिबंध लगाने, जुर्माना लगाने, यात्री अधिकारों को लागू करने, यहां तक कि अधिकारियों को जेल में डालने के लिए भी मंत्रियों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

अमेरिका के संघीय विमानन प्राधिकरण (एफएए) में 45,000 कर्मचारी हैं और उसका 20 अरब डॉलर का सालाना बजट है. भारत में डीजीसीए समय पर हादसे की रिपोर्ट जारी कर दे, यही बहुत है. दूसरे देशों में विमान दुर्घटनाओं के बाद सुधार लागू होते हैं. वर्ष 2008 के स्पेनएयर हादसे के बाद यूरोपीय संघ ने सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया.

वर्ष 2018-19 में 737 मैक्स हादसे के बाद एफएए ने बोइंग जेट्स पर 20 महीने का उड़ान प्रतिबंध लगाने के साथ बदलाव भी किए. वर्ष 2023 में विमान के इंजनों का मुद्दा सामने आने के बाद ऑस्ट्रेलिया का सीएएसए हरकत में आया. जापान में इसी साल टोक्यो के रनवे में हुई टक्कर के तुरंत बाद जेटीएसबी सक्रिय हो गया.

अपने यहां अहमदाबाद विमान हादसे के दो सप्ताह बाद तक डीजीसीए चुप रहा. भारतीय विमानन क्षेत्र में सिर्फ फेयर मीटर ही तेज दौड़ता है. हां, हमारे यहां एयरपोर्ट क्वालिटी के लिए विनियामक है, क्योंकि रनवे के टाइल्स यात्रियों के जीवन से ज्यादा महत्व रखते हैं. विगत मार्च में कोलकाता से दिल्ली जा रही इंडिगो की एक उड़ान को खराब मौसम के कारण जब जयपुर में उतारा गया,

तो एक यात्री प्रिया शर्मा अपने पिता के अंतिम संस्कार में उपस्थित नहीं हो सकी. बेंगलुरु से हैदराबाद जा रही उड़ान में जब एक महिला बेहोश हो गई, तो क्रू ने उसकी अनदेखी की, तब महिला की बेटी को रोते हुए बताना पड़ा कि यह मेरी मां हैं. पिछले महीने गुवाहाटी से चेन्नई जा रहे इंडिगो के एक विमान के पायलट ने ईंधन भरने के लिए मे डे कॉल किया.

अहमदाबाद हादसे के बाद भारत को बड़ा कदम उठाने की जरूरत है. इसे सुधार के लिए जुबानी वादे की जरूरत नहीं है. न ही किसी कमेटी या 700 पेज की रिपोर्ट की जरूरत है. इसे मौजूदा व्यवस्था को खत्म कर नई व्यवस्था शुरू करनी होगी. देश को एक स्वतंत्र नागर विमानन विनियामक प्राधिकरण की जरूरत है, जो पूरी तरह वैधानिक हो,

जिसके पास अधिकार हो और जिस पर राजनीतिक दखल न हो. इस प्राधिकरण को विदेशी विशेषज्ञ नियुक्त करने दें. इसके पास बड़ा बजट हो. किराये के मामले में पारदर्शिता होनी चाहिए. हर विमान हादसे के पीछे खराब मौसम या तकनीकी गलती को कारण बताया जाता है, लेकिन कभी उस व्यवस्थागत सड़ांध का जिक्र नहीं होता, जो विमान हादसों के लिए जिम्मेदार होती है.  

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