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ब्लॉग: तालाब बुझा सकते हैं सबकी प्यास

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: May 13, 2024 11:02 IST

सूखती जल निधियों के प्रति यदि समाज आज सक्रिय हो जाए तो अगली गर्मी में उन्हें यह संकट नहीं झेलना होगा।

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ठळक मुद्दे1 अरब 44 करोड़ की विशाल आबादी को पानी देना महज सरकार के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकताएक दौर था कि अंधाधुंध नलकूप रोपे गये, जब तक हम संभलते भूगर्भ का कोटा साफ हो चुका थादो साल पहले केंद्र सरकार ने  देश के सभी तालाबों का सर्वेक्षण करवा कर क्रांतिकारी काम किया

इस बार गर्मी जल्दी आई और साथ में प्यास भी गहराई। वैसे हकीकत तो यह है कि अब देश के 32 फीसदी हिस्से को पानी की किल्लत के लिए गरमी के मौसम का इंतजार भी नहीं करना पड़ता है- बारहों महीने, तीसों दिन यहां जेठ ही रहता है।

समझना होगा कि एक अरब 44 करोड़ की विशाल आबादी को पानी देना महज सरकार के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता। सूखती जल निधियों के प्रति यदि समाज आज सक्रिय हो जाए तो अगली गर्मी में उन्हें यह संकट नहीं झेलना होगा।

यदि कुछ दशक पहले पलट कर देखें तो आज पानी के लिए हाय-हाय कर रहे इलाके अपने स्थानीय स्रोतों की मदद से ही खेत और गले दोनों के लिए भरपूर पानी जुटाते थे। एक दौर आया कि अंधाधुंध नलकूप रोपे जाने लगे। जब तक हम संभलते तब तक भूगर्भ का कोटा साफ हो चुका था।

भारत के  हर हिस्से में वैदिक काल से लेकर ब्रितानी हुकूमत के पहले तक सभी कालखंडों में समाज द्वारा अपनी  देश-काल-परिस्थिति के मुताबिक बनाई गई जल संरचनाओं और जल प्रणालियों के कई प्रमाण मिलते हैं, जिनमें तालाब हर एक जगह हैं।

हकीकत में तालाबों की सफाई और गहरीकरण अधिक खर्चीला काम नहीं है, न ही इसके लिए भारी-भरकम मशीनों की जरूरत होती है। यह सर्वविदित है कि तालाबों में भरी गाद सालोंसाल से सड़ रही पत्तियों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के कारण ही उपजी है, जो उम्दा दर्जे की खाद है। रासायनिक खादों ने किस कदर जमीन को चौपट किया है, यह किसान जान चुके हैं और उनका रुख अब कंपोस्ट व अन्य देसी खादों की ओर है।

किसानों को यदि इस खादरूपी कीचड़ की खुदाई का जिम्मा सौंपा जाए तो वे वे सहर्ष राजी हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के झालावाड़ जिले में ‘खेतों में पालिश करने’ के नाम से यह प्रयोग अत्यधिक सफल व लोकप्रिय रहा है।

दो साल पहले केंद्र सरकार ने  देश के सभी तालाबों का सर्वेक्षण करवा कर क्रांतिकारी काम किया। उसके बाद अमृत सरोवर योजना के तहत भी देश के कुछ तालाबों की तकदीर बदली है। यह समझना होगा कि जब तक सहेजे गए तालाबों का इस्तेमाल समाज की हर दिन की जल जरूरत के लिए नहीं होगा, जब तक समाज को इन तालाबों का जिम्मा नहीं सौंपा जाता, तालाब की समृद्ध विरासत को स्थापित नहीं किया जा सकता।

टॅग्स :Water Resources DepartmentCentral Government
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