ब्लॉग: अमृत तालाब से बन रहा है भारत ‘पानीदार’
By पंकज चतुर्वेदी | Published: January 2, 2024 09:33 AM2024-01-02T09:33:13+5:302024-01-02T09:37:15+5:30
भारत की लगभग 52 फीसदी खेती इंद्र देवता की मेहरबानी पर निर्भर है। महज 48 फीसदी खेतों को ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है और इसमें भी भूजल पर निर्भरता अधिक है।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि देश में भूजल का स्तर कुछ सुधरा है। यह समझना होगा कि इस बदलाव का बड़ा कारण देश में बदल रही तालाबों की सूरत है। हमारी लगभग 52 फीसदी खेती इंद्र देवता की मेहरबानी पर निर्भर है। महज 48 फीसदी खेतों को ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है और इसमें भी भूजल पर निर्भरता अधिक है।
यह किसी से छुपा नहीं है कि सिंचाई की बड़ी परियोजनाएं लागत व निर्माण में लगने वाले समय की तुलना में कम ही कारगर रही हैं। ऐसे में समाज को सरकार ने अपने सबसे सशक्त पारंपरिक जल-निधि तालाब की ओर आने का आह्वान किया है। पिछले साल आजादी के 75 साल के अवसर पर देश के हर जिले में 75 सरोवरों की योजना पर काम शुरू हुआ तो देश की जलकुंडली धीरे-धीरे बदलने लगी।
22 अप्रैल 2022 को प्रारंभ की गई इस योजना के चलते 31 दिसंबर 2023 तक देश में कुल 1,90787 स्थानों को चिन्हित किया गया जबकि 84786 स्थानों पर काम भी शुरू हो गया। सरकारी आंकड़े कहते हैं कि ऐसे 69,081 तालाब बनकर भी तैयार हो गए। इनमें सबसे ज्यादा तालाब उत्तर प्रदेश में हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के विभागीय पोर्टल पर इस कार्य की प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट डाली जाती है, जो बानगी है इसकी तेज गति की। हालांकि सच्चाई यह है कि सरोवर तैयार करना अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है और उसके स्थान का चयन हमारा पारंपरिक जल-आगम स्थान की मिट्टी के मिजाज, स्थानीय जलवायु आदि के अनुरूप करता था।
केंद्र सरकार के निर्देश के जल्द क्रियान्वयन के लिए जिला सरकारों ने अभी तक पुराने तालाबों को ही चमकाया है। जरा सोचें देश के सभी जिलों में यदि योजना सफल हो गई तो लगभग नब्बे हजार ऐसे तालाब होंगे जिनका माप यदि प्रत्येक तालाब औसतन एक हेक्टेयर और दस फुट गहराई का भी हुआ तो 27 अरब क्यूबिक लीटर क्षमता का विशाल भंडार होगा।