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ब्लॉग: भारत और कनाडा के बीच बढ़ता गतिरोध चिंताजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: September 30, 2023 14:22 IST

परिपक्व लोकतंत्रों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रथा यह है कि पहले गुप्त चैनलों के माध्यम से ऐसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया जाता है और उन राजनयिकों को वापस लेने का अनुरोध किया जाता है, जो कथित तौर पर राजनयिक नियमों की सीमाओं से परे जा रहे हों, लेकिन कनाडा ने इस प्रथा का उल्लंघन किया है।

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ठळक मुद्देहरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले पर भारत-कनाडा के बीच तनावनिज्जर को भारत ने फरार खालिस्तान आतंकवादी घोषित किया थाट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार के पास हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने के पक्के सबूत हैं

नई दिल्ली: हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर 18 सितंबर को कनाडाई संसद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के ‘आपात्कालीन बयान’ के बाद भारत-कनाडाई संबंध अचानक खराब हो गए हैं। निज्जर को भारत ने फरार खालिस्तान आतंकवादी घोषित किया था। उसकी 18 जून को वैंकूवर उपनगर सरे में एक सिख मंदिर के बाहर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार के पास हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने के पक्के सबूत हैं और कहा, ‘एक कनाडाई नागरिक की हत्या हमारी संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन था।’ ट्रूडो के मुताबिक, उन्होंने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हत्या का मामला उठाया था और उनकी सरकार से इस मामले की तह तक जाने के लिए कनाडा के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया था। हम इस बात से भी आश्चर्यचकित थे कि नई दिल्ली से लौटने के बाद ट्रूडो ने सबसे पहले यह आश्चर्यजनक घोषणा कर दी और हमारे राजनयिक को निष्कासित कर दिया। परिपक्व लोकतंत्रों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रथा यह है कि पहले गुप्त चैनलों के माध्यम से ऐसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया जाता है और उन राजनयिकों को वापस लेने का अनुरोध किया जाता है, जो कथित तौर पर राजनयिक नियमों की सीमाओं से परे जा रहे हों, लेकिन कनाडा ने इस प्रथा का उल्लंघन किया है।

शीत युद्ध के दौरान भी अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा इस प्रथा का पालन किया गया था। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के कार्यकाल के दौरान जब उन्होंने मास्को द्वारा 5 अमेरिकी राजनयिकों के निष्कासन के प्रतिशोध में 22 अक्तूबर 1986 को 55 सोवियत राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। यह घटना आइसलैंड के रेक्जाविक में सफल शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद हुई। शिखर सम्मेलन में हथियार नियंत्रण के गंभीर उपायों पर चर्चा की गई थी। इस घटना ने वैश्विक समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया था। यह 11-12 अक्तूबर 1986 को रोनाल्ड रीगन और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव के बीच हुई बैठक थी।

दरअसल, 55 सोवियत राजनयिकों को निष्कासित करते समय रीगन ने उम्मीद जताई थी कि हथियार नियंत्रण वार्ता प्रभावित नहीं होगी। इसी तरह, उम्मीद है कि भारत और कनाडा के बीच मौजूदा गतिरोध हमारे दीर्घकालिक संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। ट्रूडो ने कुछ मामलों में भारत की भावनाओं का सहानुभूतिपूर्वक विचार किया था। वह पहले कनाडाई प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 23 जून 2018 को 1985 के एयर इंडिया कनिष्क 182 बम विस्फोट को कनाडा के इतिहास में ‘सबसे खराब आतंकवादी हमला’ बताया था। इस विस्फोट में 329 यात्री मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के थे।

टॅग्स :कनाडाभारतनरेंद्र मोदीजस्टिन ट्रूडो
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