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ब्लॉग: चुनौती भाजपा को, जोर आजमाइश विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में !

By राजकुमार सिंह | Updated: October 28, 2023 11:09 IST

नवंबर में हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कम-से-कम चार दल कांग्रेस, आप, सपा और जदयू परस्पर ताल ठोंक रहे हैं। तेलंगाना और मिजोरम में क्षेत्रीय दल बीआरएस और मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में हैं। 

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ठळक मुद्देनवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने जा रहा हैंचुनाव राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम में हैंलेकिन, बात यहां पर अटक गई है कि आपस में ही इंडिया एलायंस में बात नहीं बन रही

दो दर्जन से भी ज्यादा विपक्षी दलों ने जब 18 जुलाई को बेंगलुरु में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) नाम से नए गठबंधन का ऐलान किया था तो उद्देश्य अगले लोकसभा चुनाव में केंद्रीय सत्ता से भाजपा सरकार की विदाई बताया था। राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा था कि भाजपा को हराने के लिए वे त्याग करने में संकोच नहीं करेंगे, क्योंकि यही राष्ट्रीय हित का तकाजा है। 

लेकिन, पहली बड़ी चुनावी परीक्षा में ही वे वायदे और दावे खोखले साबित हो रहे हैं। नवंबर में हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कम-से-कम चार दल कांग्रेस, आप, सपा और जदयू परस्पर ताल ठोंक रहे हैं। तेलंगाना और मिजोरम में क्षेत्रीय दल बीआरएस और मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में हैं। 

ये दल विपक्षी गठबंधन में शामिल भी नहीं हैं। इसलिए इन राज्यों में तो विपक्षी गठबंधन में परस्पर टकराव की संभावना नहीं, लेकिन शेष तीनों राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ये दल आपस में टकराते दिख रहे हैं। इन राज्यों में मुख्य रूप से सत्ता के लिए संघर्ष भाजपा और कांग्रेस के बीच होता रहा है, पर गठबंधन के बावजूद आप, सपा और जदयू भी जनाधार के बहाने या फिर विस्तार की आकांक्षा के सहारे उम्मीदवार उतार रहे हैं।

विपक्षी गठबंधन में चुनावी टकराव की स्थिति इसलिए भी बनी है, क्योंकि आपस में सीट बंटवारा नहीं हो पाया। गठबंधन बनने के बाद कहा गया था कि सब मिल कर चलेंगे और सीट बंटवारे समेत तमाम मुद्दों को प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा, पर वैसा हो नहीं पाया। इसका एक कारण कांग्रेस की रणनीति भी है। इसी साल हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की सत्ता भाजपा से छीन लेने के बाद कांग्रेस को लगता है कि देश का मूड उसके अनुकूल है। 

यह भी कि अगर वह राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2018 का करिश्मा दोहरा पाई, जब उसने भाजपा से सत्ता छीन ली थी, तब गठबंधन में वह निर्णायक भूमिका में होगी। गठबंधन के अन्य दल कांग्रेस की इस टालमटोल से आहत हैं और आशंकित भी। इसीलिए आप ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी। आप का इरादा राजस्थान में भी कई सीटों पर चुनाव लड़ने का है। तय है कि आप अंतत: कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगाएगी, जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा। 

सपा ने कांग्रेस पर सीट बंटवारे में धोखा देने का आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश में लगभग दो दर्जन सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि उन्हें छह सीटों का आश्वासन दिया गया था, लेकिन एक भी सीट नहीं छोड़ी गई। ध्यान रहे कि पिछली बार सपा एक सीट जीती भी थी। कुछ क्षेत्रों में सीमित असरवाली सपा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचाएगी। इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। आप और सपा के बाद अब जदयू ने भी मध्य प्रदेश में उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है।

 क्या इसे विपक्षी गठबंधन के बिखराव के संकेत के रूप में देखा जाए? इस निष्कर्ष पर पहुंचना शायद जल्दबाजी हो, पर इतना कहा जा सकता है कि अविश्वास की खाई पटने के बजाय और चौड़ी होती दिख रही है।

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