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रामलीला मैदान में अन्ना हजारे: न पीने को पानी, न शौचालय के लिए, अव्यवस्था में व्यवस्था से इंसाफ की उम्मीद लिए गरीब-महिला-किसान

By कोमल बड़ोदेकर | Updated: March 27, 2018 07:37 IST

रामलीला मैदान में सरकार ने कतारबद्ध तरीके से शौचलय तो बना दिए हैं लेकिन शायद सूखाग्रस्त कैपटाउन के हालात को देखते हुए उसने यहां पानी की व्यवस्था नहीं की है।

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नई दिल्ली, 26 मार्च। भारत माता की जय... वन्दे मातरम के नारों के साथ अन्ना आंदोलन को समर्थन देने देश के कई हिस्सों से लोग दिल्ली पहुंच रहे हैं। कार्यकर्ताओं का जुनून चरम पर है। नरेंद्र मोदी विरोधी नारे... अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ गुस्सा यहां पहुंचे लगभग हर शख्स के मन में है। 

अन्ना की आंदोलन करती हुई तस्वरी लोगों के मन में हुंकार भरती नजर तो आ रही हैं लेकिन रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों के लिए की गई व्यवस्थाओं से लोग काफी नाराज है। एक ओर जहां विद्या बालन लोगों को खुले में शौच न करने की नसीहत दे रही है। वहीं दूसरी ओर अन्ना आंदोलनकारियों के लिए मजबूरी है कि वे ऐसे ही हालातों में अपनी दिनचर्या की शुरूआत करें। 

सरकार ने कतारबद्ध तरीके से शौचालय तो बना दिए हैं लेकिन शायद सूखा ग्रस्त कैपटाउन के हालात को देखते हुए उसने यहां पानी की व्यवस्था नहीं की है। इन शौचालयों में न पानी है न डब्बे। सबसे गंभीर बात महिलाओं का कौन सा शौचालय है और  पुरुष शौच के लिए कहां जाए।  इसका भी साइन बोर्ड नहीं लगाया गया है। हां  इतना जरूर है कि सरकार ने यहां तीन टॉयलेट वैन खड़ी की है लेकिन साफ-सफाई न होने से लोग उसे उपयोग करने से बच रहे हैं।रिपोर्टिंग के दौरान दूर किसी कोने में नीले रंग का पीने के पानी का टैंकर तो दिखा लेकिन शहरी लोग बाहर किसी दुकान से पानी की बोतल लाते दिखे। गेट के पास मशीन का ठंडा पानी बिक रहा है लेकिन गरीब और किसान उसे लेने से परहेज कर रहे हैं।

वहीं सुरक्षा के लिहाज से पुलिस तो काफी संख्या में तैनात की गई है लेकिन खराब हो चुके मैटल डिटेक्टर, बैग चैक करने में पुलिस की ढिलाई सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते नज़र आते हैं। पंडाल के अंदर कई राज्यों से आए किसानों से बातचीत हुई। पंजाब से आए किसान इंद्रजीत अन्ना के साथ स्वामीनाथ कमीशन की सिफारिशों को लागू करने किसानों की कर्ज माफी मांग कर रहे हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश के दोडापुर से आई महिला किसान हसीना फिलहाल मजदूरी करती है। उनका घर टूटा हुआ है और आर्थिक स्थिति भी लचर है। वे चाहती हैं कि उनका नाम पेंशन योजना में जुड़े और उन्हें समय से राशन मिले।

जबकि महाराष्ट्र के अहमद नगर से आए किसान ज्ञानेंद्र चाहते हैं कि सरकार कर्जमाफी के साथ ही किसान को प्रतिदिन सौ रुपये मजदूरी भी दे जिससे उनके हालात सुधर सके। पिछली बार हुए अन्ना आंदोलन ने सरकार का तख्ता पलट करने में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन देखना होगा कि इस बार अन्ना आंदोलन कितना सार्थक सिद्ध होता है। 

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