2020 में देश ने हासिल की हैं कई सफलताएं, अवधेश कुमार का ब्लॉग
By अवधेश कुमार | Updated: December 31, 2020 15:36 IST2020-12-31T15:35:14+5:302020-12-31T15:36:24+5:30
देश में कई टीकों का परीक्षण अंतिम दौर में है और जैसा स्वास्थ्य मंत्नी का कहना है कि शीघ्र ही लोगों को टीका लगना आरंभ हो जाएगा. कुछ विदेशी टीकों को भी भारत में आजमाया गया और और उनका भी उपयोग किया जाएगा.

सन 2020 में भारत ने अपने अभ्युदय का डंका फिर से बजाया है.
मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण ने दी. जिस तरह पूरी दुनिया हिल गई, उसी तरह हमारा देश भी हिला.
लेकिन अगर आप वर्ष के आरंभ को याद करिए तो मोदी ने देश की जनता से जो-जो अपीलें कीं, चाहे वह कोरोना से अग्रिम मोर्चे पर संघर्ष करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों आदि के पक्ष में ताली थाली बजाने का हो या दीप जलाने का या लॉकडाउन में अपने घरों में कैद होकर रहने का..लोगों ने उनका अक्षरश: पालन किया.
सन 2020 का अंत इसी माहौल में हो रहा है. हालांकि कोरोना संकट से निपटने में सरकार कई जगह हिचकोले खाती भी नजर आई लेकिन मोदी देश को यह विश्वास दिलाने में अभी तक सफल रहे हैं कि भारत इस बीमारी पर काबू पाकर रहेगा. देश के विश्वास को पुष्ट करने के लिए ही उन्होंने वर्ष का अंत आते-आते उन संस्थानों का दौरा किया जहां टीके तैयार हो रहे हैं.
देश में कई टीकों का परीक्षण अंतिम दौर में है और जैसा स्वास्थ्य मंत्नी का कहना है कि शीघ्र ही लोगों को टीका लगना आरंभ हो जाएगा. कुछ विदेशी टीकों को भी भारत में आजमाया गया और और उनका भी उपयोग किया जाएगा. सन 2020 ने देश के अंदर और बाहर यह संदेश दिया है कि भारत की आने वाले समय में विश्व की एक अत्यंत प्रभावी शक्ति बनने की अग्रसरता का परवान चढ़ना निश्चित है.
भारत अगर अपनी आंतरिक सुरक्षा करने, आर्थिक-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में स्वयं सक्षम है तो सीमा की रक्षा करने में भी. अगर वह राजधानी दिल्ली जैसे क्षेत्न में सांप्रदायिक दंगे पर काबू पा सकता है तो जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की समस्त कारगुजारियों के बावजूद आतंकवाद को कमजोर कर सकता है.
वहां सफल स्थानीय चुनाव आयोजित कर सकता है तो विश्व मंच पर चाहे वह कोरोना के काल में दक्षिण एशिया देशों को आगे बढ़कर नेतृत्व देना हो या समूह 20 की बैठक आयोजित करवाना या पूर्वी एशिया के देशों को एकत्रित करना हो, वह अग्रिम मोर्चे पर पहल करने वाले किरदार के रूप में खड़ा मिला है. इसका व्यापक मनोवैज्ञानिक असर विश्व समुदाय पर पड़ा है. सन 2020 में भारत ने अपने अभ्युदय का डंका फिर से बजाया है, अपना लोहा मनवाया है.