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ब्लॉग: अंगदान- जरूरतमंदों को मिलता है जीवनदान

By ललित गर्ग | Updated: August 13, 2024 10:08 IST

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विश्व अंगदान दिवस प्रतिवर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिए आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी संगठनों, सार्वजनिक संस्थानों और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है ताकि अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और लोगों को अंगदान से जुड़ी गलतफहमियों से अवगत कराया जा सके।

इस दिवस का एकमात्र उद्देश्य मुख्य रूप से लोगों को मृत्यु के बाद अंगदान के महत्व के बारे में प्रोत्साहित करना और शिक्षित करना है ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। गुर्दे, हृदय, अग्न्याशय, आंखें और फेफड़े जैसे अंग दान से पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों की जान बचाई जा सकती है। किसी के द्वारा दिए गए अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है, उसकी जिंदगी में बहार आ जाती है।

2024 के इस दिवस की थीम है ‘आज किसी की मुस्कान का कारण बनें!’भारत महर्षि दधीचि जैसे ऋषियों का देश है, जिन्होंने असुरों से जन सामान्य की रक्षा के लिए अपना देहदान कर दिया था। परंतु समय के साथ भारत में अंगदान की प्रवृत्ति में गिरावट देखी गई। पूरे देश में ज्यादातर अंगदान अपने परिजनों के बीच में ही होता है अर्थात कोई व्यक्ति सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही अंगदान करता है। विश्व स्तर पर और भारत जैसे विकासशील देशों में अंग की बढ़ती आवश्यकता को रोकने में मृत दाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि एक मृत दाता आठ व्यक्तियों को बचा सकता है।

2021 में, वैश्विक स्तर पर 1,44,302 अंग प्रत्यारोपण हुए, जिनमें से 26.44 प्रतिशत (38,156) मृतक अंगदान के हैं। भारत ने कुल 12,259 प्रत्यारोपण किए, जो वैश्विक प्रत्यारोपण में 8 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें प्रमुख प्रत्यारोपण गुर्दे (74.27 प्रतिशत), उसके बाद लीवर (23.22 प्रतिशत), हृदय (1.23 प्रतिशत), फेफड़े (1.08 प्रतिशत), अग्न्याशय (0.15 प्रतिशत) और छोटी आंत (0.03 प्रतिशत) के हैं।

हालांकि, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, मांग को पूरा करने के लिए लगभग 175,000 किडनी, 50,000 लिवर, हृदय और फेफड़े और 2,500 अग्न्याशय की आवश्यकता है।प्रत्यारोपण की संख्या और अंग उपलब्ध होने की संख्या के बीच एक बड़ा अंतराल है।

जीवित व्यक्ति के लिए अंगदान के समय न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। जीवित अंगदाता द्वारा एक किडनी, अग्न्याशय और यकृत के कुछ हिस्से दान किए जा सकते हैं। कॉर्निया, हृदय वाल्व, हड्डी और त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के पश्चात दान किया जा सकता है, परंतु हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेन डेड के मामले में ही दान किया जा सकता  है।

टॅग्स :बॉडी केयरHealth Department
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