निरंकार सिंह का ब्लॉग: कैंसर के खौफ से बचना जरूरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 4, 2019 02:10 PM2019-02-04T14:10:24+5:302019-02-04T14:10:24+5:30

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में कैंसर के एक करोड़ 80 लाख नए मामले सामने आ सकते हैं और इनमें से 96 लाख लोगों की इस कारण से मौत हो सकती है.

Nirankar Singh's blog: It is necessary to avoid the fear of cancer | निरंकार सिंह का ब्लॉग: कैंसर के खौफ से बचना जरूरी

निरंकार सिंह का ब्लॉग: कैंसर के खौफ से बचना जरूरी

 हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को कैंसर से बचाव के लिए जागरूक किया जा सके. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और दवाओं ने हैजा, प्लेग, पोलियो, टीबी जैसे कई असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है और कुछ को रोक दिया है. पर खतरनाक कैंसर सभी चिकित्सा विधियों को चकमा देकर आगे बढ़ने वाला रोग साबित हुआ है.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में कैंसर के एक करोड़ 80 लाख नए मामले सामने आ सकते हैं और इनमें से 96 लाख लोगों की इस कारण से मौत हो सकती है. यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है. कैंसर पर रिसर्च करने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञ संस्था (आईएआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर पांच में से एक पुरुष को कैंसर हो रहा है जबकि महिलाओं के मामले में यह अनुपात हर छह में से एक है. 

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के ताजा शोध के अनुसार केरल, कर्नाटक, असम, मिजोरम, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. यहां कैंसर के मरीजों की संख्या प्रति लाख करीब 100 से ऊपर जा चुकी है जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर में ये आंकड़ा प्रति लाख करीब 90 है.

इस समय देश में सबसे ज्यादा पेट, स्तन, मुंह और फेफड़ों के कैंसर हो रहे हैं. अभी देश मेंं 30 लाख से अधिक लोग कैंसर से पीड़ित हैं. आबादी बढ़ने के साथ-साथ कैंसर के रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. समय से इलाज कराकर ही इस बीमारी पर लगाम लगाई जा सकती है. पर कैंसर का नाम सुनते ही मरीज और उसके परिजन भयभीत हो जाते हैं.

अगर हम अपनी मौजूदा जानकारी को देखें तो कैंसर के 90 प्रतिशत से ज्यादा मरीजोंे का फस्र्ट स्टेज में इलाज हो सकता है. सेकेंड स्टेज में यह अनुपात करीब 70 प्रतिशत है. तीसरे चरण में 40 प्रतिशत और चौथे चरण में 10 प्रतिशत से भी कम रह जाता है. लेकिन दु:ख की बात यह है कि शुरू में ही बीमारी का निदान करा लेने के सहज लाभ के बावजूद हमारे देश में 80 प्रतिशत से अधिक कैंसर रोगी थर्ड और फोर्थ स्टेज में इलाज के लिए आते हैं और इस समय तक अधिकतर मामले लाइलाज हो जाते हैं. उसकी वजह से ही यह भ्रांति फैलती है कि कैंसर लाइलाज है.  इसलिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि कैंसर रोगियों की जान बचाई जा सके.

Web Title: Nirankar Singh's blog: It is necessary to avoid the fear of cancer

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