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Maharashtra Interim Budget: गांवों तक गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने की पहल, अंतरिम बजट में सरकार के नेक इरादों की झलक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 29, 2024 2:59 PM

Maharashtra Interim Budget: डे-केयर कीमोथैरेपी सेंटर तथा 234 तहसीलों के ग्रामीण अस्पतालों में गुर्दे की बीमारी से परेशान लोगों के लिए डायलिसिस केंद्र शुरू करने की घोषणा वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को विधानसभा में की.

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ठळक मुद्देभाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन की सरकार ने आम आदमी को राहत पहुंचाने की दृष्टि से कई कदम उठाए हैं. देश में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं शहरी खासकर महानगरीय क्षेत्रों  तक सिमटी हुई हैं.छोटे शहरों, कस्बों तथा गांवों के लोगों को जाना पड़ता है. ये लोग महंगे इलाज का खर्च उठाने में सक्षम नहीं होते.

Maharashtra Interim Budget: महाराष्ट्र सरकार के अंतरिम बजट में राज्य में स्वास्थ्य ढांचे को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने तथा उसे और मजबूत बनाने के कदम उठाए गए हैं. पिछले सप्ताह बुलढाणा जिले में विषबाधा से पीड़ित लोगों का सड़क पर लिटाकर उपचार किया गया था. इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवा पर सवालिया निशान लगा दिए थे लेकिन कुछ देर से ही सही, कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनता को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने की ओर सरकार ने गंभीरता से गौर किया एवं अंतरिम बजट में सरकार के नेक इरादों की झलक भी दिखी. अंतरिम बजट में राज्य के सभी जिलों में कैंसर के मरीजों की सुविधा के लिए डे-केयर कीमोथैरेपी सेंटर तथा 234 तहसीलों के ग्रामीण अस्पतालों में गुर्दे की बीमारी से परेशान लोगों के लिए डायलिसिस केंद्र शुरू करने की घोषणा वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को विधानसभा में की.

विपक्ष ने अंतरिम बजट को चुनावी करार दिया है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन की सरकार ने आम आदमी को राहत पहुंचाने की दृष्टि से कई कदम उठाए हैं. इनमें स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी महत्वपूर्ण  घोषणाएं भी हैं.

देश में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं शहरी खासकर महानगरीय क्षेत्रों  तक सिमटी हुई हैं. महाराष्ट्र में भी अच्छे इलाज के लिए मुंबई, पुणे, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर, ठाणे जैसे महागरों में छोटे शहरों, कस्बों तथा गांवों के लोगों को जाना पड़ता है. ये लोग महंगे इलाज का खर्च उठाने में सक्षम नहीं होते.

ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा तहसील स्थानों पर उप जिला अस्पताल बनाए गए हैं लेकिन वहां पर गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए न तो विशेषज्ञ डाॅक्टर नियुक्त किए जाते हैं और न ही आधुनिक चिकित्सा उपकरण एवं पैथोलॉजी लैब उपलब्ध होती है. बुलढाणा जिले में विषबाधा से पीड़ित लोगों का जिस तरह इलाज किया गया, उससे प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की लचर व्यवस्था उजागर हो गई.

कैंसर और गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के  इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ कीमोथैरेपी एवं डायलिसिस की सुविधाएं बेहद  जरूरी होती हैं. निजी अस्पतालों में कीमोथैरेपी तथा डायलिसिस करवाना बहुत ज्यादा खर्चीला होता है. आजादी के 75 वर्षों बाद भी ग्रामीण एवं अधिकांश जिला मुख्यालयों में कीमोथैरेपी तथा डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.

बड़े शहरों में सरकारी अस्पतालों में ये सुविधाएं भले ही नि:शुल्क उपलब्ध हों लेकिन दूरदराज के ग्रामीण एवं दुर्गम इलाकों से कीमोथैरेपी या डायलिसिसि के लिए पहुंचने का खर्च वहन करना भी गांव, कस्बों तथा छोटे शहरों के लोगों के लिए बहुत कठिन होता है. इसके अलावा बड़े शहरों के जिन सरकारी अस्पतालों में ये सुविधाएं उपलब्ध हैं वहां अक्सर अव्यवस्था का साम्राज्य रहता है या लंबी वेटिंग लिस्ट रहती है.

अव्यवस्था तथा लंबी प्रतीक्षा से बचने के लिए गरीब भी महंगे  निजी अस्पतालों की शरण लेते हैं. इसके लिए उन्हें अपनी संपत्ति तक कई बार गिरवी रखनी पड़ती है  या उसे बेचने पर मजबूर होना पड़ता है क्योंकि मरीज की जान बचाना परिजनों की सबसे पहली प्राथमिकता होती है और वे इसके लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं.

कोविड-19 की महामारी स्वास्थ्य ढांचे में व्यापक सुधार की जरूरत महसूस करवा गई. उसका नतीजा यह हुआ कि महाराष्ट्र में भी बड़े पैमाने पर छोटे-छोटे शहरों तक चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने के प्रयास  तेज हो गए. इसके नतीजे भी दिखाई देने लगे हैं. महाराष्ट्र में अब जिला अस्पतालों में गुर्दा प्रत्यारोपण होने लगे हैं.

अमरावती जैसे मध्यम स्तर के शहर के जिला अस्पताल में पिछले एक वर्ष में गुर्दे के 37 सफल प्रत्यारोपण हो चुके हैं. राज्य के अन्य जिला मुख्यालयों में भी गुर्दा, कैंसर, हृदय एवं मधुमेह  एवं न्यूरो संबंधी गंभीर बीमारियों की विशेषज्ञतापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध होने लगी है मगर ग्रामीण इलाकों तक इन सुविधाओं को पहुंचाने के लिए अभी भी ठोस पहल करने की जरूरत है.

महाराष्ट्र सरकार ने कैंसर तथा गुर्दे के मरीजों को सुविधाएं मुहैया करवाने के कदम के साथ सकारात्मक तथा अनुकरणीय पहल की है. कैंसर तथा गुर्दे से संबंधित बीमारियों का प्रसार बड़ी तेजी के साथ हो रहा है. खान-पान, दिनचर्या आदि में अनियमितता एवं व्यसनों के कारण ये बीमारियां महामारी का रूप लेने की ओर बढ़ रही हैं. ग्रामीण इलाकों में भी कैंसर तथा गुर्दे के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है.

मगर चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में मरीज जान गंवा रहे हैं. कीमोथैरेपी तथा डायलिसिस जीवनदान देनेवाली चिकित्सा सुविधाएं हैं. महाराष्ट्र  ने ग्रामीण केंद्रों तक उनका विस्तार कर देश में अपने ढंग की अनोखी व सराहनीय पहल की है. वह इतना जरूर सुनिश्चित करे कि कीमोथैरेपी तथा डायलिसिस केंद्रों में विशेषज्ञ उपलब्ध रहें तथा मशीनें नियमित रूप से काम करती रहें.  

 

टॅग्स :कोविड-19 इंडियामहाराष्ट्र में कोरोनादेवेंद्र फड़नवीसएकनाथ शिंदेअजित पवार
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