ब्लॉग: स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अभी भी कर रही कई चुनौतियों का सामना
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 18, 2023 10:11 AM2023-08-18T10:11:06+5:302023-08-18T10:16:21+5:30
सरकार ने 'सभी के लिए स्वास्थ्य' का लक्ष्य तो बनाया है, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है। वरना क्या कारण है कि स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले लोगों की भर्ती की ओर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा?
राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सभी महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं। सरकार इन पदों की भर्ती को लेकर गंभीर नहीं है। उधर, कुछ खास लोगों को ऊंचे पदों पर बिठा देने से उच्च अधिकारियों में नाराजगी है। जाहिर है इससे स्वास्थ्य विभाग का कामकाज प्रभावित हो रहा है और मरीजों के उपचार पर भी इसका असर पड़ रहा है।
लोकतंत्र में लोगों की यह अपेक्षा रहती है कि सरकार उनके कल्याण के लिए काम करे, फिर वह सरकार केंद्र की हो या राज्य की। सरकार ने 'सभी के लिए स्वास्थ्य' का लक्ष्य तो बनाया है, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है। वरना क्या कारण है कि स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले लोगों की भर्ती की ओर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा?
सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि 'आयुष्मान भारत' और 'महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना' अब एक साथ लागू की जाएगी। सभी राशन कार्ड धारकों को दोनों योजनाओं के संयुक्त कार्ड जारी किए जाएंगे। लेकिन सरकारी अस्पतालों की स्थिति देखकर संदेह होता है कि इसका क्रियान्वयन सुचारु ढंग से संभव हो पाएगा। स्वास्थ्य की योजनाओं को निजी अस्पतालों से भी जोड़ा गया है।
इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार खुद भी यह मानती है कि योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त नहीं हैं। स्थिति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सेवा में डॉक्टरों के 62 प्रतिशत और विशेषज्ञों के 80 प्रतिशत पद खाली हैं।
हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, देश और प्रदेश की भी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें अपर्याप्त धन, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और अपर्याप्त आधारभूत संरचना शामिल हैं। स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर प्राथमिकता से ध्यान देने और इन चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि भारत के नागरिकों की अच्छी स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
सरकारी स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और गुणवत्ता को सुधारने की जरूरत है। चिकित्सक-रोगी अनुपात के अंतर को पाटना भी बहुत जरूरी है। जब तक सरकारी अस्पतालों की सुविधाएं बढ़ाई नहीं जाएंगी और उनमें सुधार नहीं किया जाएगा तब तक निजी अस्पताल लोगों से वास्तविक इलाज खर्च की तुलना में ज्यादा पैसे वसूलना जारी रखेंगे क्योंकि लोग इन अस्पतालों की शरण में जाने को मजबूर हैं।