राजस्थान और हरियाणा में मेवात, भरतपुर, अलवर जैसे गुमनाम शहर एक शैतानी क्रांति का सूत्नपात कर रहे हैं. स्कूल छोड़ने वाले किशोर बच्चे और उनके चालाक मास्टरमाइंड सेक्सटॉर्शन रैकेट चलाते हैं जो कई देशों में फैले हैं और इससे वे लाखों कमाते हैं. इस जुर्म में पुलिस अधिकारी, राजनेता, व्यवसायी, डॉक्टर सभी उनकी साजिशों का शिकार हुए हैं. आपको बता दें कि भारत में सेक्सटॉर्शन के 500 से अधिक मामले प्रतिदिन देखे जाते हैं (जबकि 0.5 प्रतिशत से भी कम एफआईआर के रूप में पंजीकृत होते हैं), जिससे यह दुनिया की सेक्सटॉर्शन राजधानी बन गया है.
मुंबई में सत्तारूढ़ शिवसेना के एक जनप्रतिनिधि (विधायक) के मामले को देखें, जो नवंबर 2021 में इसका शिकार हुए थे. साइबर अपराधी ने विधायक को ब्लैकमेल करने के लिए अत्याधुनिक डीप फेक आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल किया था. मामले में शामिल अपराधी को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इससे पहले उसने 300 से अधिक लोगों का शोषण किया था और 20 लाख रुपए से अधिक की उगाही भी की थी.
फरवरी 2022 में राजस्थान के मंत्नी रामलाल जाट और भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर का मामला भी उतना ही चर्चित हुआ, जिसमें भरतपुर के साइबर अपराधी राविन खान और वारिस खान ने अश्लील वीडियो भेजकर धमकाने का दुस्साहस दिखाया था. हालांकि, सबसे दुखद मामला मार्च 2021 में हुआ जब बेंगलुरु में एक 26 वर्षीय एमबीए छात्र बी.एस. अविनाश ने छद्म प्रोफाइल नेहा शर्मा के साथ सेक्स चैट करते हुए लगातार जबरन वसूली से आहत होकर आत्महत्या कर ली थी.
वह यौन शोषण करने वालों के बुरे मंसूबों का शिकार हो गया और यहां तक कि 36000 रुपए का भुगतान भी किया. बताया जाता है कि लगातार फिरौती की मांग के कारण वह आत्महत्या के लिए मजबूर हुआ.
गुजरात में पूर्व कैबिनेट मंत्नी का मामला विशेष रूप से मार्मिक है जो सेक्सटॉर्शन का शिकार हुए हैं और वे पुलिस को जानकारी देने से पहले 2.5 लाख रु. का भुगतान कर चुके थे. पता चला कि जिस महिला के साथ वह सेक्सटिंग कर रहे थे वह कोई महिला नहीं थी, यह एक गहरी साजिश थी, जिसमें साइबर बदमाशों हकीमुद्दीन और उसके तीन रिश्तेदारों द्वारा उन्हें फंसाया गया था.
सेक्सटॉर्शन क्या है?सेक्सटॉर्शन एक दुर्भावनापूर्ण ऑनलाइन अपराध है जिसके तहत साइबर अपराधी अपनी मांगों को पूरा नहीं करने पर पीड़ित को उससे संबंधित निजी, संवेदनशील यौन सामग्री वितरित करने या वायरल करने की धमकी देते हैं. सन 2006 से 2022 तक सेक्सटॉर्शन के जरिये जबरन वसूली निम्नलिखित चार चरणों में सामने आई है-
फस्र्ट जेन सेक्सटॉर्शन 1.0इसमें मुख्य रूप से महिलाएं अलग-अलग प्रेमियों द्वारा पीड़ित थीं, जिन्होंने अपनी अंतरंग तस्वीरों को ‘रिवेंज पोर्न’ के रूप में जारी करने की धमकी दी थी. इसमें आरंभिक दौर के रिकॉर्डिंग उपकरणों का उपयोग किया गया था.
सेकेंड जेन सेक्सटॉर्शन 2.0इसमें आकर्षक लड़कियों के नकली प्रोफाइल पुरुष स्कैमर द्वारा बनाए जाते थे और वॉयस मॉड्युलेशन एप्प जैसे तकनीकी उपकरणों के उपयोग से वीओआइपी कॉल में पुरुष की आवाज को महिला की आवाज में बदल दिया जाता था. फिरौती की वसूली के लिए फर्जी कागजात के सहारे खोले गए बैंक खातों का उपयोग किया जाता था. इसी चरण में स्क्रीन रिकॉर्डिग, वीडियो एडिटिंग, मॉर्फिंग एप्प भी सामने आए हैं.
थर्ड जेन सेक्सटॉर्शन 3.0इस चरण में जबरन वसूली करने वालों ने पीड़ितों को फंसाने के लिए सुंदर लड़कियों को रोजगार और प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. यह बहुत बड़ा परिवर्तन था और एक संगठित अपराध के रूप में इसने सेक्सटॉर्शन को बढ़ावा दिया. वसूली के लिए इसमें फर्जी बैंक खातों की जगह क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल शुरू हुआ, जो अपराधियों के लिए ज्यादा सुरक्षित था.
फोर्थ जेन सेक्सटॉर्शन 4.0यह इनोवेटिव, नवीनतम फेज है, जहां शिकार को लुभाने या महिलाओं को हनी ट्रैप में लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है. डीप-फेक और डीप-न्यूड तकनीकों ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी को बिना ऑनलाइन यौन बातचीत या दुराचरण के भी यौन शोषण का शिकार बनाया जा सकता है.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि इंटरनेट कभी भी भूलता नहीं है और न ही माफ करता है. इसकी पहुंच और प्रसार बहुत तेज और व्यापक है. प्रभावशाली दिमाग वाली हमारी युवा पीढ़ी को यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए कि वे कभी भी अश्लील वीडियो कॉल में शामिल न हों और अगर कोई अजनबी अंतरंगता बढ़ाने की कोशिश करता है तो इसे खतरे की घंटी के रूप में समझना चाहिए. ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने और न्याय पाने के लिए निर्भीक होकर आगे आने की आवश्यकता है.