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रवींद्र चोपड़े का ब्लॉग: कोरोना के चलते आईपीएल को रोकना देर से लिया गया सही फैसला

By रवींद्र चोपड़े | Updated: May 6, 2021 19:57 IST

कोरोना संकट के बीच आईपीएल के आयोजन को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे थे. हालांकि, बीसीसीआई पहले से ही पूरी कोशिश में था कि लीग को बिना किसी परेशानी के उसके अंजाम तक पहुंचाया जाए पर ऐसा नहीं हो सका.

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अंतत: कोविड-19 महामारी के बीच इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का चौदहवां संस्करण बीच में ही रोक देना पड़ा. बीसीसीआई के लिए आईपीएल कमाऊ पूत है. सो, महामारी के प्रकोप के बावजूद लीग को शुरू किया गया और जारी रखने के लिए बीसीसीआई हाड़तोड़ मेहनत करता रहा. 

इस आयोजन की आलोचनाएं भी होती रहीं, पर बीसीआई आईपीएल को मुकम्मल करने के लिए अपनी ही रौ में आगे बढ़ता रहा. लेकिन जब खिलाड़ी और सपोर्टिग स्टाफ पर ही संक्रमण का आक्रमण हो गया तो बीसीसीआई ने बेमन से ही सही, अपने कमाऊ पूत को घर में बैठ जाने को कहा. खै

र! देर आयद, दुरुस्त आयद. मुद्दा संवेदनशीलता और समाज के प्रति दायित्व का है. समाज हर किसी को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से काफी कुछ दे देता है. भारतीय समाज ने तो क्रिकेट को अपना मजहब मान लिया है और इतना अंगीकार कर लिया है कि यह खेल अब उसकी रगों में लहू बनकर दौड़ रहा है. 

ऐसे समाज के लिए क्रिकेट केवल गेंद और बल्ले का खेल नहीं बल्कि ‘संवेदनशील मुद्दा’ हो जाता है. इस लिहाज से बीसीसीआई  समाज के प्रति उत्तरदायी तो है ही.  

क्या असहाय, निरपराध, तड़प-तड़प कर मरे लोगों की लाशों के बीच कोई खेल हो सकता था? क्या क्रिकेट प्रेमियों को उनका अंतर्मन धधकती चिताओं से उठते धुंए के साये में क्रिकेट का लुत्फ उठाने की इजाजत दे रहा था? क्या क्रिकेट प्रेमियों का जमीर कब्र में दफ्न लाशों के रिश्तेदारों के रुदन के बीच अपनी पसंदीदा टीम की हौसला अफजाई करने की अनुमति दे रहा था? 

कितनी संवेदनहीनता थी कि लोग एक तरफ महामारी में प्रियजनों को गंवा रहे थे और दूसरी ओर क्रिकेट का उत्सव चल रहा था. हम भारतीय उन संस्कारों में पले-बढ़े हैं जब किसी त्यौहार पर पड़ोसी के घर पर मौत हो जाए तो हम अपने यहां त्यौहार मनाने से परहेज करते हैं. खाना तक नहीं बनाते. 

बड़ा वीभत्स लग रहा था. एक तरफ लाशें गिनी जा रही थीं तो दूसरी तरफ रन, विकेट, चौके-छक्के गिने जा रहे थे. एक तरफ स्वाधीनता के बाद की सबसे भीषण आपदा हर व्यवस्था को ललकार रही थी और दूसरी तरफ बीसीसीआई आईपीएल में उत्साह भरने की कोशिश में था.

इस स्पर्धा को बीच में ही खत्म कर देने से बीसीसीआई को दो हजार करोड़ से ढाई हजार करोड़ रुपए के बीच हानि उठानी पड़ सकती है लेकिन वही मौलिक सवाल है कि पैसा अहम है या लोगों की जिंदगियां. 

बहरहाल, बीसीसीआई ने आईपीएल को निलंबित करने का सराहनीय फैसला किया है. विश्व का यह सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड अब कोरोना के खिलाफ जंग में अपना योगदान दे सकता है. आर्थिक योगदान के साथ ही उसे स्टेडियम को मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराना चाहिए.

 

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