कुमार सिद्धार्थ
दुनिया के सबसे विशाल वर्षावन अमेजन पर खतरा अब कोई दूर की आशंका नहीं, बल्कि एक निकट आती सच्चाई है. वनों की अंधाधुंध कटाई, तेल और गैस के उत्खनन तथा जलवायु परिवर्तन ने इसे उस बिंदु तक पहुंचा दिया है जहां से लौटना शायद संभव नहीं रहेगा. वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अमेजन अब ‘कार्बन सोखने वाले’ वन से ‘कार्बन छोड़ने वाले’ क्षेत्र में बदलने के कगार पर है.ऐसे समय में, जब संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन सीओपी-30 ब्राजील के बेलेम शहर में चल रहा है, एक नई रिपोर्ट ने उस वित्तीय ढांचे को बेनकाब किया है जो अमेजन के विनाश की जड़ों में छिपा है.
पर्यावरण संगठन स्टैंड.अर्थ की रिपोर्ट ‘बैंक्स वर्सेस द अमेजन स्कोरकार्ड’ बताती है कि 2016 में पेरिस समझौते के बाद से अमेजन क्षेत्र में तेल और गैस परियोजनाओं को मिलने वाले वित्त का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा सिर्फ दस बैंकों से आता रहा है. इनमें जेपी मॉर्गन चेज, सिटी बैंक ऑफ अमेरिका, इताउ यूनिबैंको (ब्राजील) और एचएसबीसी जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
इन बैंकों ने अमेजन के भीतर जीवाश्म ईंधन से जुड़ी परियोजनाओं में 15 अरब डॉलर से अधिक झोंक दिए हैं. पिछले कुछ वर्षों में यूरोप के कई बैंकों ने अपने कदम पीछे खींचे हैं. फ्रांस का बीएनपी परिबा और ब्रिटेन का एचएसबीसी अब अमेजन से जुड़ी कंपनियों को ऋण देना बंद कर चुके हैं. उन्होंने ऐसी नीतियां अपनाई हैं जो अमेजन में तेल और गैस उत्खनन करने वाली कंपनियों को वित्त नहीं देतीं.
लेकिन जहां यूरोपीय बैंक पीछे हटे, वहीं अमेरिका और लैटिन अमेरिका के बैंक उस खाली जगह को भरने में लगे हैं. द इकोलॉजिस्ट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, अमेजन में तेल और गैस की खुदाई सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि स्थानीय जीवन को भी गहराई से प्रभावित कर रही है. ब्राजील, इक्वाडोर, पेरू और कोलंबिया में 6000 से अधिक तेल-दूषित स्थल दर्ज किए गए हैं.
उत्खनन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले समुदायों में कैंसर, गर्भपात और श्वसन रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसके बावजूद, सरकारें पीछे हटने को तैयार नहीं. ब्राजील ने इस साल की शुरुआत में 68 नए तेल ब्लॉक की नीलामी की. इक्वाडोर में यासुनी नेशनल पार्क में ड्रिलिंग रोकने के लिए 2023 में हुए जनमत-संग्रह के बाद भी काम जारी है.
पेरू में 31 नए तेल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, जिनमें से कई 400 से अधिक स्वदेशी समुदायों की भूमि से ओवरलैप करते हैं. आज अमेजन वह सांस है जिससे पृथ्वी जीवित है. यदि यह सांस रुक गई तो इसका असर पूरे ग्रह पर पड़ेगा. आने वाला दशक तय करेगा कि यह महान वन जीवित रहेगा या इतिहास बन जाएगा.
सीओपी-30 सम्मेलन के दौरान यह सवाल सिर्फ सरकारों या पर्यावरणविदों के लिए नहीं, बल्कि उन बैंकों के लिए भी है जिनके धन से यह विनाश चल रहा है. अगर उन्होंने दिशा बदली, तो बेलेम में चल रहा यह सम्मेलन अमेजन को बचाने की नई शुरुआत कर सकता है. और अगर नहीं, तो यह सभ्यता की सबसे हरी विरासत को खो देने की औपचारिक घोषणा होगी.