जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश के लिए सतर्कता जरूरी

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: August 24, 2024 10:08 IST2024-08-24T10:07:41+5:302024-08-24T10:08:40+5:30

पिछले दिनों 19 अगस्त को रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि यद्यपि देश में बेहतर मानसून, अच्छे मौद्रिक प्रबंधन और सरकार के द्वारा तत्परता से महंगाई नियंत्रण के उपायों से महंगाई घटने का सुकूनदेह परिदृश्य दिखाई दे रहा है, लेकिन अभी भी खाद्य कीमतों पर सतर्कता जरूरी है. 

Vigilance necessary to control food prices | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश के लिए सतर्कता जरूरी

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

हाल ही में 22 अगस्त को वित्त मंत्रालय के द्वारा प्रकाशित आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई 2024 में दक्षिण पश्चिम मानसून में प्रगति के कारण खरीफ की बुआई अच्छी हुई है और खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में और कमी आ सकती है. 

इसी तरह पिछले दिनों 19 अगस्त को रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि यद्यपि देश में बेहतर मानसून, अच्छे मौद्रिक प्रबंधन और सरकार के द्वारा तत्परता से महंगाई नियंत्रण के उपायों से महंगाई घटने का सुकूनदेह परिदृश्य दिखाई दे रहा है, लेकिन अभी भी खाद्य कीमतों पर सतर्कता जरूरी है. 

इसमें कोई दो मत नहीं है कि महंगाई सरकार की चिंता बनी रही है और अब सरकार ने संकेत दिया है कि महंगाई नियंत्रण के लिए बहुआयामी रणनीति की डगर पर आगे बढ़ती रहेगी. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि  वर्ष 2024-25 के बजट के तहत शीघ्र खराब होने वाले सामान की बाजार में समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी व्यवस्थाएं की गई हैं. 

बजट के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग को दाम स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के लिए 10,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जहां इस कोष का उपयोग दाल, प्याज और आलू के बफर स्टॉक को रखने के लिए किया जाएगा. वहीं जरूरी होने पर इन अन्य खाद्य वस्तुओं के बढ़े दामों को नियंत्रित करने के लिए भी इस कोष का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक थोक महंगाई जुलाई 2024 में घटकर तीन महीने के निचले स्तर 2.04 प्रतिशत पर आ गई. यह जून में 3.36 प्रतिशत थी. 

खास बात यह भी है कि 12 अगस्त को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2024 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.54 फीसदी रह गई है, जबकि जून 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.08 प्रतिशत थी. सुकूनदेह स्थिति यह है कि खुदरा महंगाई दर पिछले 5 वर्षों के सबसे कम और रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित 4 प्रतिशत के लक्ष्य से भी नीचे आ जाने से अर्थव्यवस्था को मजूबती मिलते हुए दिखाई देगी.

निश्चित रूप से रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, सरकार के वित्तीय नियंत्रण और बेहतर मानसून से  जिस तरह महंगाई में कमी आई है, अब इसे नियंत्रित रखने के साथ-साथ ग्रामीण भारत की आर्थिक ताकत में इजाफा करने के लिए कुछ अहम बातों पर ध्यान दिया जाना जरूरी होगा. 

इस समय ग्रामीण भारत में जल्द खराब होने वाले ऐसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला बेहतर करने पर प्राथमिकता से काम करना होगा, जिनकी खाद्य महंगाई के उतार-चढ़ाव में ज्यादा भूमिका होती है. ऐसे में सरकार को खाद्य उत्पादन में वृद्धि के साथ कृषि उपज की बर्बादी को रोकने के बहुआयामी प्रयासों की कारगर रणनीति पर आगे बढ़ना होगा.

Web Title: Vigilance necessary to control food prices

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे